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मथुरा में अभिलेखों में हेरफेर कर प्राचीन मंदिर की जमीन पर बनाई मजार, कोरोना काल में ध्वस्त कर हुआ कब्जा

मथुरा में कोसीकलां के गांव शाहपुर का मामला। पुलिस की जांच में हुआ पर्दाफाश दो साल बाद दर्ज हुई रिपोर्ट। तत्कालीन तहसीलदार लेखपाल राजस्व निरीक्षक समेत दो दर्जन पर मुकदमा। प्राचीन बिहारी जी मंदिर का है प्रकरण। अब मामला पकड़ रहा है तूल।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Mon, 11 Jul 2022 11:30 AM (IST)Updated: Mon, 11 Jul 2022 11:30 AM (IST)
मथुरा में अभिलेखों में हेरफेर कर प्राचीन मंदिर की जमीन पर बनाई मजार, कोरोना काल में ध्वस्त कर हुआ कब्जा
कोसीकलां में प्राचीन बिहारी जी मंदिर की जगह पर बनाए गए मजार की जानकारी देते धर्म रक्षा संघ के पदािधकारी।

आगरा, जागरण टीम। मथुरा के कोसीकलां में शाहपुर गांव के प्राचीन बिहारी जी मंदिर के जमीन के अभिलेखों में हेरफेर किया गया था। दस्तावेजों में गड़बड़ी कर मंदिर की जमीन को कब्रिस्तान के रूप में दर्ज कराया गया। इसके बाद मंदिर का सिंहासन तोड़ उस पर मजार बना दी गई। मामले की शिकायत हुई, तो पुलिस ने जांच की। दो साल चली जांच में फर्जीवाड़ा सामने आया है। गांव के एक व्यक्ति की तहरीर पर तत्कालीन तहसीलदार, लेखपाल समेत दो दर्जन के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई गई है।

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खंडहर हो गया था मंदिर परिसर

शाहपुर में बिहारी जी का काफी पुराना मंदिर है। देखरेख न होने के कारण मंदिर खंडहर में तब्दील हो गया था। 2 सितंबर 2004 को तत्कालीन ग्राम प्रधान रामवीर सिंह ने गांव के भोला पठान, सपा नेता नवाब खां, असगर, शकील खां, सलीम खां, शमशाद खां, जफरू, इरशाद खां, इकबाल खां, हनीफ खां, अहसान खां, अशफाक, नासिर पठान, नवाब कुरैशी, लुकमान, अजीज, युसुफ, अहमद, सौकत, समसु, उपप्रधान कुरशीद के साथ मिलकर कब्रिस्तान के लिए भूमि का प्रस्ताव दिया।

अभिलेख में कर दिया मंदिर से कब्रिस्तान

इस भूमि का खसरा नंबर 108/4 और 108/5 था। इस प्रस्ताव की लखनऊ तक फाइल चली। गांव के रामअवतार बताते हैं कि 108 खसरा एक चकरोड का है। बाद में तहसीलदार छाता, लेखपाल, राजस्व निरीक्षक शाहपुर के साथ साठगांठ कर प्रस्ताव में खसरा नंबर 108 को बदकर 1081 कर दिया गया। ये खसरा बिहारी जी मंदिर का है और आबादी का था। अभिलेखों में मंदिर के स्थान पर इस नंबर पर कब्रिस्तान दर्ज कर दिया गया।

आरोप है कि 2019 में यहां पर मुस्लिम पक्ष ने मंदिर के पास कुएं को तोड़ दिया। 15 मार्च 2020 की रात गांव के ईदु, नासिर, हनीफ, शाहिद, अशफाक, रिजवान, सलीम, राजू, जमाल, अख्तार, सुलेमान उर्फ सुल्ला, अजीज, शकील, इंसाद, जहिरा, मुश्ताक उर्फ मुस्सा, जमील, शाहिद आदि ने लाठी, डंडे, बल्लम और बंदूकें लेकर बिहारी जी का सिंहासन तोड़कर यहां मजार बना दी।

तब बिहारी जी महाराज सेवा ट्रस्ट और धर्म रक्षा संघ से जुड़े गांव के रामअवतार सिंह ने कुछ लोगों के खिलाफ मजार बनाने की रिपोर्ट दर्ज कराई। पुलिस ने शांति भंग की कार्रवाई की। इसके बाद शिकायत पर पुलिस ने जांच की। एसपी देहात श्रीश्चंद्र ने जांच की तो पाया कि जमीन के अभिलेखों में हेरफेर कर मंदिर की जमीन पर कब्रिस्तान दर्ज किया गया। जांच के बाद रामअवतार ने शनिवार को राजस्व अधिकारी समेत दो दर्जन के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई है। 

अभिलेखों में हेरफेर साबित करने में लग गए दो साल

शाहपुर गांव मेवात के बार्डर का इलाका है। यहां पचास प्रतिशत आबादी मुस्लिम और इतनी ही आबादी हिंदुओं की है। बिहारी जी मंदिर के अभिलेखों में हेरफेर बेहद शातिराना तरीके से किया गया था। जिस 108 नंबर खसरे की जमीन का प्रस्ताव कब्रिस्तान के लिए किया गया। लखनऊ तक फाइल 108 की ही चली। लेकिन तहसील में साजिश रच 1081 कर दिया गया। धर्म रक्षा संघ के दबाव पर पुलिस ने जांच की तो खेल सामने आया।

कोरोना काल में तोड़ा मंदिर का सिंहासन

जिस वक्त मंदिर का सिंहासन तोड़ा गया था, उस वक्त कोरोना काल था। ऐसे में पुलिस ने भी मामले को तूल नहीं दिया। उस वक्त मामला शांत हो गया। कोरोना काल के बाद धर्मरक्षा संंघ फिर सक्रिय हुआ। जमीन से जुड़े एक-एक अभिलेख को जुटाया गया।

इस मामले में संघ के अध्यक्ष सौरभ गौड़, मोहिनी बिहारी शरण और शाहपुर के रामअवतार सिंह अधिकारियों से मिले। उन्हें दस्तावेज सौंपे, बताया गया कि ये खेल तहसील स्तर से हुआ है। तब तत्कालीन एसएसपी डा. गौरव ने मामले की जांच एसपी देहात श्रीचंद्र को सौंपी। इधर, मंदिर की जमीन कब्रिस्तान में बदलने के मामले को तूल दिया और शाहपुर में बड़ी धर्म पंचायत बुलाने का ऐलान किया।

इसके बाद पुलिस सक्रिय हुई और आनन-फानन में जांच पूरी हुई। एसपी देहात ने बताया कि मैंने जांच की तो खसरे के नंबर में फर्जीवाड़ा पाया। इसी के आधार पर मंदिर की जमीन को कब्रिस्तान के रूप में दर्ज किया गया था।

अब फिर से मंदिर के नाम दर्ज करने की तैयारी

मुकदमा दर्ज कराने वाले रामअवतार सिंह ने जागरण को बताया कि जांच के दौरान वक्फ बोर्ड को भी दस्तावेज भेजे गए थे। वक्फ बोर्ड ने ये रिपोर्ट भेजी है कि 1081 खसरा नंबर पर कोई भी कब्रिस्तान दर्ज नहीं है। इसलिए अब फिर से जमीन को मंदिर के नाम पर दर्ज कराया जाएगा।


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