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    तीन साल की बच्ची का अपहरण कर दुष्कर्म करने वाले को उम्र कैद, 1.20 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया

    Updated: Wed, 08 Oct 2025 12:07 PM (IST)

    आगरा में तीन साल की बच्ची का अपहरण और दुष्कर्म करने वाले आरोपी को अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर प्रसारित करने वाले दोषी को पांच साल की कैद हुई है और 1.20 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। अदालत ने संस्कृत के श्लोक के माध्यम से समाज में स्त्रियों के सम्मान की आवश्यकता पर बल दिया।

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    प्रस्तुतीकरण के लिए सांकेतिक तस्वीर का प्रयोग किया गया है।

    जागरण संवाददाता, आगरा। तीन वर्षीय बालिका का अपहरण करके दुष्कर्म करने के आरोपित को न्यायालय ने दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है। वीडियो बनाकर इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित करने के दोषी को पांच साल के कारावास की सजा सुनाई गई है। न्यायालय ने 1.20 लाख रुपये का अर्थदंड भी लगाया है।

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    वीडियो बनाकर प्रसारित करने के दोषी को पांच वर्ष का कारावास

    थाना बमरौली कटरा में वारदात के संबंध में मुकदमा दर्ज कराया गया था। पिता ने मुकदमे में कहा था कि तीन वर्षीय बेटी को 28 फरवरी 2023 की दोपहर दो बजे बेटी घर के बाहर खेल रही थी। तभी मदन व अंकित निवासी नगला थोक उसका अपहरण कर ले गए थे। मदन ने बच्ची के साथ दुष्कर्म किया। अंकित ने बेशर्मी की सभी हद पार करते हुए घटना का वीडियो बनाकर इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित कर दिया।

    अदालत ने 1.20 लाख रुपये का अर्थदंड भी लगाया

    पुलिस ने मदन के विरुद्ध अपहरण, दुष्कर्म व पाक्सो एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया था। वहीं अंकित के विरुद्ध, अपहरण, आईटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज हुआ था। अदालत में पिता, मां, पीड़िता, उसकी मां, स्कूल की प्रधानाचार्य, थानाध्यक्ष सहित अन्य गवाहों की गवाही दर्ज कराई गई।

    विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट ने मदन के जघन्य कृत्य पर उसे ता उम्र कैद एवं अंकित को पांच वर्ष कैद की सजा सुनाई। 1.20 लाख रुपये का अर्थदंड भी लगाया गया। अदालत ने अर्थदंड की राशि पीड़िता को दिलाने के आदेश दिए हैं।

    आदेश में न्यायालय ने की टिप्पणी

    अदालत ने अपने आदेश में संस्कृत के श्लोक को अंकित कर उसका हिंदी अनुवाद भी अंकित कर कथन किया कि जहां स्त्रियों की पूजा होती है, वहां देवता निवास करते हैं। जहां स्त्रियों की पूजा नहीं होती उनका सम्मान नहीं होता वहां किए गए समस्त अच्छे कर्म भी निष्फल हो जाते हैं। अदालत ने कथन किया कि आज उक्त श्लोक मात्र ग्रंथों में ही अंकित रह गए हैं। श्लोक के अर्थ को समाज आत्मसात करने में असफल रह गया है।