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इस दवा से तो बीमारी भली, जानिये आयरन कैप्‍सूल के नाम पर क्‍या बिक रहा

गर्भवती महिलाओं को आयरन के नाम पर खिलाए जा रहे हैं लोहे के पार्टिकल्स। फीफॉल-जेड नाम से बाजार में बिक रहे कैप्सूल, चुंबकीय क्षेत्र मिलते ही लगते हैं चिपकने।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Mon, 18 Feb 2019 05:59 PM (IST)Updated: Mon, 18 Feb 2019 05:59 PM (IST)
इस दवा से तो बीमारी भली, जानिये आयरन कैप्‍सूल के नाम पर क्‍या बिक रहा
इस दवा से तो बीमारी भली, जानिये आयरन कैप्‍सूल के नाम पर क्‍या बिक रहा

आगरा, वीरभान सिंह। अगर आप भी अपनी शाारीरिक कमजोरी दूर करने के लिए आयरन के कैप्‍सूल का सेवन कर रहे हैं तो थोड़ा सावधान हो जाएं। आयरन के कैप्सूल के नाम पर बाजार में 'आयरन' (लोहे का बुरादा) बेचा जा रहा है। फीफॉल-जेड नामक आयरन के कैप्सूल चुंबकीय क्षेत्र में आते ही चिपकना शुरू हो जाते हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कैप्सूल के इस गुण से हैरान हैं। ज्यादातर गर्भवती महिलाओं को निजी अस्पतालों के चिकित्सक ये दवाएं धड़ल्ले से लिख रहे हैं। 

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महिलाओं में खून की कमी (एनीमिया) आम समस्या है। अक्सर, चिकित्सक उन्हें आयरन कैप्सूल लेने की सलाह देते हैं। बाजार में 10 रुपये में बिक रहा आयरन का फीफॉल-जेड नामक कैप्सूल चुंबक से चिपकने लगता है। महिला चिकित्सक डॉ. शैलजा का कहना है कि उन्होंने कभी ऐसी दवा नहीं देखी जो चुंबक से चिपकती हो।दरअसल आयरन कैप्‍सूल में आयरन की इतनी मात्रा होनी चाहिए कि वह चुंबक के साथ न चिपके जबकि बाजार में बिक रही दवा चुंबक के संपर्क में आते ही चिपकने लगती है। 

ऐसा है तो खतरनाक

मैनपुरी जिला महिला चिकित्सालय में तैनात स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. निशिता यादव का कहना है कि यदि ऐसा है तो यह गर्भवती महिलाओं के लिए बेहद हानिकारक है। इसका सीधा असर उनके गर्भाशय व गर्भस्थ शिशु पर पड़ेगा। इसके अलावा पेट के रोग, गैस, दस्‍त के अलावा गुर्दे में पथरी भी इन कैप्‍सूल के सेवन से हो सकती है। उन्‍होंने कहा कि सौ मिलीग्राम से अधिक लोहा होने पर कैप्‍सूल चुंकब से चिपकता है जबकि आयरन कैप्‍सूल में आयरन की मात्रा 50 एमजी तक ही होनी चाहिए। इससे अधिक मात्रा होने पर सेहत बिगड़ सकती है। 

हो सकता है आंतों का कैंसर

जिला चिकित्सालय के वरिष्ठ जनरल फिजीशियन डॉ. आरके सिंह का कहना है कि लोहे में फेरिक ऑक्साइड होता है। जो जंग की वजह है। यदि कैप्सूल के अंदर के ग्रेन्यूल चुंबक में चिपक रहे हैं तो निश्चित ही उनमें लोहे का अंश है। इसका सेवन करने वालों को आंतों और किडनी के कैंसर के साथ पथरी और पेट संबंधी गंभीर बीमारियों का सामना भी करना पड़ सकता है। यदि किसी महिला का ऑपरेशन हुआ है और उसे इस प्रकार की दवा खिलाई जाती है तो घाव में कैंसर की संभावना रहती है। चिकित्‍सकों की सलाह है कि आयरन कैप्‍सूल का सेवन बहुत सावधानी से करना चाहिए। 

वेबसाइट भी दे रही चेतावनी

वेबसाइट टेबलेट वाइज डॉट कॉम भी फीफॉल-जेड कैप्सूल के साइड इफेक्ट को लेकर चेतावनी देती है। लिखा है कि एलर्जी, गर्भावस्था या सर्जरी के दौरान इसके साइड इफेक्ट हो सकते हैं। आंतों में सूजन, पेट की दूसरी बीमारियों, थैलेसीमिया और डायबिटीज में भी इसका सेवन खतरनाक हो सकता है।

जिम्मेदारों की जुबानी

हमें तो ऐसे किसी भी कैप्सूल की जानकारी नहीं है। हां, कई वर्ष पहले भी फीफॉल-जेड को लेकर कुछ शिकायतें मिली थीं। यदि कैप्सूल चुंबक से चिपक रहे हैं तो निश्चित ही उनमें लोहे के पार्टिकल हैं। सभी केमिस्टों से खरीद और बिक्री का डाटा लिया जाएगा। कैप्सूल भी जांच के लिए लैब भेजा जाएगा।

- उर्मिला, ड्रग इंस्पेक्टर, मैनपुरी

यदि दवा चुंबक से चिपक रही है तो यह बेहद खतरनाक है। जांच कराने के बाद नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।

- डॉ. एके पांडेय, सीएमओ, मैनपुरी।  


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