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    आगरा की सदर तहसील में फर्जीवाड़े का नहीं धुला दाग, दबा दी गई 30 लाख से अधिक के बैनामों की जानकारी

    By Amit Dixit Edited By: Prateek Gupta
    Updated: Wed, 26 Nov 2025 10:00 AM (IST)

    आगरा के उप निबंधक कार्यालयों में फर्जी बैनामों का मामला अभी भी जारी है। एसआईटी की जांच में कई अधिकारी दोषी पाए गए हैं। आयकर विभाग के सर्वे में 30 लाख से अधिक के बैनामों की जानकारी छिपाई जाने की बात सामने आई है। वित्तीय लेनदेन और स्टांप कमी की जानकारी भी सही से नहीं दी जा रही है, जिससे राजस्व को नुकसान हो रहा है।

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    आगरा की सदर तहसील।

    जागरण संवाददाता, आगरा। उप निबंधक कार्यालयों में अभी फर्जी बैनामों का दाग नहीं धुला है। विशेष जांच दल (एसआइटी) इसकी जांच कर रही है। अब तक 100 से अधिक बैनामों में दो दर्जन लोगों को दोषी मानते हुए जेल भेजा जा चुका है।

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    इसमें छह निबंधन विभाग के सेवानिवृत्त अधिकारी और कर्मचारी भी शामिल हैं। अब आयकर विभाग की टीम ने उप निबंधक कार्यालय किरावली में सर्वे किया। इससे विभाग की और भी पोल खुल गई।

    30 लाख से अधिक बैनामों की जानकारी उप निबंधकों को सीधे आयकर विभाग को देनी होती है। दस्तावेजों की भी ठीक से जांच होनी चाहिए। स्टेटमेंट आफ फाइनेंशियल ट्रांसजेक्शन (एसएफटी) की जानकारी नहीं दी जा रही है। यह स्थिति बाकी के कार्यालयों की भी है।

    यहां तक 50 लाख से अधिक के बैनामों की सूचना को भी दबाया जा रहा है। तहसील में 10 उप निबंधक कार्यालय में पांच तहसील सदर में हैं। हर दिन 750 बैनामा होते हैं और विभाग को 15 से 17 करोड़ रुपये का राजस्व मिलता है।

    बैनामा में दो लाख से अधिक का कैश नहीं लिया जा सकता है। पैनकार्ड होना जरूरी है। 30 लाख रुपये के जितने भी बैनामा हर दिन होते हैं। इसकी सूची बनती है। साल में एक बार सभी उप निबंधकों को आयकर विभाग को एसएफटी देनी होती है।

    इसमें क्रेता-विक्रेता की जानकारी सहित अन्य विवरण शामिल होता है। कई सालों से जिले के अधिकांश उप निबंधक आयकर विभाग को यह जानकारी नहीं दे रहे हैं। इसी तरह से 50 लाख या फिर एक करोड़ रुपये से अधिक के जो भी बैनामा होते हैं।

    इसकी जानकारी एडीएम वित्त एवं राजस्व, डीएम और सहायक महानिरीक्षक (एआइजी) निबंधन को देनी होती है। उप निबंधकों द्वारा इसे भी समय पर नहीं भेजा जा रहा है। यहां तक ऐसे बैनामों को छिपा लिया जाता है।

    इसी बात का फायदा फर्जी बैनामा गिरोह के सदस्य उठाते हैं। ऐसे बैनामों को तहसील सदर स्थित रिकार्ड रूम में बदल दिया जाता है। जनवरी 2025 में ऐसे गिरोह का पर्दाफाश भी हो चुका है।

    एसआइटी पूरे प्रकरण की जांच कर रही है। इसके बाद भी उप निबंधकों की कार्यशैली में सुधार नहीं आया है। एडीएम वित्त एवं राजस्व शुभांगी शुक्ला का कहना है कि नियमित अंतराल में उप निबंधकों को नियमों की जानकारी दी जाती है।

    30 लाख से अधिक के बैनामों की सूची साल में एक बार आयकर विभाग को सीधे उप निबंधकों को भेजनी चाहिए।

     

    स्टांप कमी के बड़े बैनामों की देनी होती है सूची

    प्रत्येक उप निबंधक को स्टांप कमी के बड़े बैनामों की सूची तैयार करनी होती है। हर माह यह सूची डीएम को भेजी जाती है। पांच सबसे बड़े स्टांप कमी के वादों की जांच डीएम द्वारा की जाती है।

    10 से 25 लाख रुपये के 25 बैनामों की जांच एडीएम वित्त एवं राजस्व, 10 लाख से ऊपर के 50 बैनामों की जांच एआइजी निबंधन द्वारा की जाती है। उप निबंधकों द्वारा यह कार्य भी ठीक तरीके से नहीं हो रहा है।