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Krishna Janmashtami 2022: एक या दो दिन नहीं, ब्रज में होती है तीन दिन जन्माष्टमी, अलग है इस मंदिर का पंचांग

Krishna Janmashtami 2022 रंग जी मंदिर में 21 को मनेगी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी। नंदोत्सव के रूप में आयोजित होने वाला लट्ठा का मेला 22 अगस्त की शाम को मंदिर परिसर में आयोजित होगा। वेदमंत्रों की अनुगूंज के मध्य आराध्य का पूजन होता है।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Sat, 13 Aug 2022 05:54 PM (IST)Updated: Sat, 13 Aug 2022 05:54 PM (IST)
Krishna Janmashtami 2022: एक या दो दिन नहीं, ब्रज में होती है तीन दिन जन्माष्टमी, अलग है इस मंदिर का पंचांग
वृंदावन स्थित रंगनाथ मंदिर, जहां दक्षिण भारतीय पंचांग के अनुसार मनती है जन्माष्टमी।

आगरा, विपिन पाराशर। दक्षिण भारतीय परंपरा के रंगजी मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव उल्लास पूर्वक मनाया जाता है। लेकिन, मंदिर में दक्षिण भारतीय पंचांग के अनुसार ही उत्सव मनाए जाते हैं, जिसकी तिथि उत्तर भारत के पंचांग से अलग होती है। इसलिए इस बार रंगजी मंदिर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 21 अगस्त को मनाई जाएगी और नंदोत्सव के रूप में आयोजित होने वाला लट्ठा का मेला 22 अगस्त की शाम को मंदिर परिसर में आयोजित होगा।

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भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव देश-विदेश में कृष्णभक्त अपने तरीके से मनाते हैं। इसी तरह दक्षिण भारतीय परंपरा के रंगजी मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव उल्लास पूर्वक मनाया जाता है। श्रीकृष्ण जन्मोत्सव पर रात में ठाकुरजी का पंचगव्य से महाभिषेक कर सुंदर पोशाक और आभूषण धारण करवाए जाते हैं। वेदमंत्रों की अनुगूंज के मध्य आराध्य का पूजन होता है और दूसरे दिन शाम को नंदोत्सव के तौर पर लट्ठे का मेला आयोजित होता है।

मंदिर की मुख्य कार्यकारी अधिकारी अनघा श्रीनिवासन के अनुसार मंदिर के मुख्य प्रवेशद्वार के बाहर करीब चालीस फीट का खंभा स्थापित किया जाता है। जिसे इस तरह तेल से चिकना कर दिया जाता है, ताकि उस पर चढ़ने वाले पहलवानों को किसी तरह की दिक्कत न हो। खंभे के शिखर मचान बनाकर बड़े बर्तनों पर तेल-पानी और हल्दी का मिश्रण रखा जाता है। नीचे से अंतरयामी अखाड़े के पहलवान खंभे पर चिपकते हुए एक के ऊपर एक चढ़ते जाते हैं और ऊपर मचान से मंदिर कर्मचारी मिश्रण को खंभे पर डालते हैं, जिससे कई बार पहलवान फिसलकर नीचे आ गिरते हैं। सात बार इस तरह का प्रयास होता है। इसमें अगर पहलवान जीत जाते हैं, तो ठाकुरजी का आशीर्वाद लेकर उन्हें प्रसादी उपहार स्वरूप भेंट की जाती है।


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