Guru Parb: ब्रज की धरती पर पड़े हैं सिख गुरुओं के चरण, जानिए क्या है आगरा से जुड़ाव
Guru Parb आगरा में ही चार एतिहासिक गुरुद्वारे। सिख विद्वानों ने भी किया है यहां से सिखों का प्रचार। श्री गुरु नानक देव महाराज दक्षिण की पहली यात्रा के ...और पढ़ें

आगरा, प्रभजोत कौर। ब्रज की धरती सिख गुरुओं के चरण रज से धन्य हुई है। गुरुओं के प्रताप से आगरा का सिख समाज संपूर्ण देश में साहस व उद्यमिता का संदेश देता है।यहीं से त्याग का संदेश दिया और सिख धर्म का प्रचार किया गया।
चार गुरु आए हैं यहां
श्री गुरु नानक देव महाराज दक्षिण की पहली यात्रा के दौरान वापसी समय वर्ष 1509 से 1510 ईस्वी में आगरा आए। श्री गुरु हरगोबिंद साहिब वर्ष 1612 ईस्वी में आगरा पधारे। श्री गुरु तेग बहादुर साहिब का वर्ष 1675 ईस्वी में आगरा आगमन हुआ। श्री गुरु गोविंद सिंह जी वर्ष 1707 ईस्वी में आगरा आए थे। इसके साथ-साथ सिखों के प्रसिद्ध विद्वान भाई नंद लाल और भाई गुरदास भी आगरा रहकर सिखों का प्रचार किया करते थे।वर्तमान में आगरा में जहां गुरु नानक देव आए वहां गुरुद्वारा दुख निवारण नया बांस लोहा मंडी, जहां गुरु हरगोबिंद साहिब आए वहां गुरुद्वारा दमदमा साहिब और जहां गुरु तेग बहादुर साहिब पधारे वहां गुरुद्वारा माईथान है। जहां गुरु गोविंद सिंह का आगमन हुआ , वहां गुरुद्वारा हाथी घाट है। जहां गुरु तेग बहादुर साहिब के चरण पड़े, वह गुरुद्वारा दुख निवारण गुरु का ताल है।
गुरु गोविंद ने की थी बहादुरशाह की मदद
गुरु गोविंद सिंह का आगरा की धरती से एक गहरा नाता है। बहादुर शाह की मदद के लिए गुरु गोविंद सिंह ने आगरा में तारा आजम के साथ जंग कर बहादुर शाह को राज दिलवाया था। बहादुर शाह ने गुरु गोविंद सिंह जी को खुदा का रूप जानते हुए एक सैफ नामा शास्त्र भेंट किया जो कि आज भी तख्त श्री आनंदपुर साहिब में शोभायमान है। रोज शाम को उस शास्त्र के दर्शन करवाए जाते हैं। सभी श्रद्धालुओं को जानकारी दी जाती है कि यह शास्त्र गुरु गोविंद सिंह को बहादुर शाह ने आगरा किले में भेंट किया था। गुरु गोविंद सिंह आगरा में लगभग पौने दो महीने रहे। गुरु गोविंद सिंह महाराज बहादुर शाह के साथ लाल किले में दीवान-ए-आम में घोड़े पर सवार होकर बहादुर शाह को ताजपोशी करने पहुंचे थे।
आगरा के प्रमुख गुरुद्वारे
शहर में 40 गुरुद्वारा है, इनमें चार गुरुद्वारे ऐतिहासिक हैं-
- गुरुद्वारा लोहामंडी में पहले गुरु नानक देव जी महाराज आए थे।
- गुरुद्वारा दमदमा साहिब में छठे गुरु हरगोविंद साहिब पधारे थे।
- गुरुद्वारा माईथान में माता जस्सी ने नवें गुरु तेगबहादुर को कपड़े का थान दिया था, तभी से इसका नाम माईथान पड़ गया।
- गुरुद्वारा गुरु का ताल में मंजी साहिब से गुरु तेग बहादुर साहिब ने गिरफ्तारी दी थी।
- हाथीघाट गुरुद्वारा में दसवें गुरु गोविंद सिंह महाराज के पावन चरण पड़े।
सिख विद्यालय
- दीवान बहादुर खालसा इंटर कालेज(डीवी खालसा ), प्रतापपुरा
- गुरुतेग बहादुर स्कूल, माईथान
- गुरुनानक बाल विद्यालय, काछीपुरा
सिख बाहुल्य क्षेत्र
बालूगंज, छीपीटोला, बुन्दूकटरा, मधु नगर,बल्केश्वर।
मुख्य व्यवसाय
पहले ज्यादातर लोग ट्रांसपोर्ट का काम करते थे। यहां से देशभर में ट्रक जाते थे। अब शूज एक्सपोर्ट सहित बडे बडे उद्योग से जुड़े हैं।

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