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Mehtab Bagh in Agra: बताते थे जिसे काला ताजमहल, आज आ रहा वही काम

Mehtab Bagh in Agraताजमहल बंद होने से मेहताब बाग में पहुंच रहे हैं सर्वाधिक पर्यटक। ढाई दशक पूर्व तक नजर आता था यहां रेत का टीला और अवशेष।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Sat, 05 Sep 2020 05:11 PM (IST)Updated: Sun, 06 Sep 2020 08:23 AM (IST)
Mehtab Bagh in Agra: बताते थे जिसे काला ताजमहल, आज आ रहा वही काम
Mehtab Bagh in Agra: बताते थे जिसे काला ताजमहल, आज आ रहा वही काम

आगरा, निर्लोष कुमार। मेहताब बाग आजकल पर्यटकों की पहली पसंद बना हुआ है। ताजमहल की बंदी में उसके दिलकश नजारों के दीदार के अरमान संजोए पर्यटक मेहताब बाग पहुंच रहे हैं। ऐसा होना लाजिमी है, अाखिर ताज के पार्श्व में यमुना पार उसकी लोकेशन इसके लिए मुफीद जो है। इस बाग को कभी ताजमहल देखने आने वाले पर्यटकों को गाइड काला ताजमहल बताया करते थे। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) ने ढाई दशक पूर्व यहां उत्खनन कर भ्रांतियों को दूर कर जमीं के गर्भ में छुपी हकीकत से लोगों को रूबरू कराया।

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ताजनगरी में साढ़े पांच माह की बंदी के बाद फतेहपुर सीकरी, सिकंदरा, एत्माद्दौला, मेहताब बाग, रामबाग, मरियम टॉम्ब एक सितंबर से खुले हैं। ताजमहल और आगरा किला फिलहाल बंद हैं। ताजमहल की बंदी में उसके दीदार काे सबसे अधिक पर्यटक मेहताब बाग पहुंच रहे हैं। मंगलवार से शुक्रवार तक चारों दिन मेहताब बाग में ही सर्वाधिक पर्यटक पहुंचे। आज मेहताब बाग जैसा नजर आता है, ढाई दशक वर्ष पूर्व उसकी यह स्थिति नहीं थी। यमुना में समय-समय पर आई बाढ़ और ग्रामीणों द्वारा पहुंचाई गई क्षति के चलते यह रेत के टीले में तब्दील हो गया था। यहां नजर आते अवशेषों को गाइड ताजमहल देखने आने वाले पर्यटकों को काले ताजमहल का भाग बताते थे। उन्हें बताते थे कि औरंगजेब द्वारा बंदी बनाए जाने से शाहजहां का काला ताजमहल बनवाने का ख्वाब अधूरा रह गया। वर्ष 1978 में यमुना में आई बाढ़ में यमुना किनारे प्राचीन दीवार निकलने पर यहां किसी प्राचीन स्मारक की मौजूदगी का सच सामने आया था। एएसआइ ने वर्ष 1993-94 में यहां उत्खनन कराया था, जिसमें सेंट्रल टैंक में लगा फुव्वारा, अष्टकोणीय टैंक व उसमें लगे फुव्वारों, बारादरी और दीवार के नीचे कुओं वाली नींव के साक्ष्य भी मिले थे। इसके बाद एएसआइ ने पुरावशेषों का संरक्षण कर यहां बाग विकसित किया था। आज यहां सूर्योदय और सूर्यास्त के समय ताजमहल देखने पर्यटक पहुंचते हैं।

2014 में फिर हुआ उत्खनन

वर्ष 2014 में एएसआइ ने वर्ल्ड मॉन्यूमेंट फंड के सहयोग से मेहताब बाग में उत्खनन कराया था। इसमें नदी किनारे की दीवार के नीचे कुआें वाली नींव में लगे लकड़ी के टुकड़े को जांच के लिए फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट, देहरादून को जांच के लिए भेजा गया था। जांच में लकड़ी को साल (वैज्ञानिक नाम शोरिया रोबुस्टा) की बताया गया था। साल की लकड़ी टिकाऊ और मजबूत होती है, जिसके चलते उसका प्रयोग बीम, पिलर, वुडन ड्रेन और नींव बनाने में किया जाता है। रिपोर्ट में लोगों के साल की लकड़ी के गुणों से परिचित होने और देश में दो हजार वर्ष से भवन निर्माण में लकड़ी का प्रयोग होने की बात कही गई थी। ताजमहल की नींव में भी साल की लकड़ी लगी है, जिससे मेहताब बाग के भी उसके समकालीन होने की बात उठी थी।

1652 के अौरंगजेब के पत्र में जिक्र

शहजादे औरंगजेब ने आठ दिसंबर, 1652 को शहंशाह शाहजहां को अकबराबाद पहुंचने पर पत्र लिखा था। एसएएन. नदवी ने अपनी पुस्तक 'रुक्कात-ए-आलमगीर' खंड-2 आजमगढ़ में वर्ष 1930 में इस पत्र को प्रकाशित किया था। पत्र में औरंगजेब ने बारिश में ताजमहल के गुंबद से पानी टपकने के साथ ही मेहताब बाग (चंद्र वाटिका) का जिक्र भी किया था। औरंगजेब ने पत्र में लिखा था कि बरसात में चंद्र वाटिका पानी से भर गई थी, जिससे उसकी स्वच्छता नष्ट हो गई। निकट भविष्य में यह अपना बदला हुआ नया स्वरूप प्राप्त कर लेगी। अष्टकोणीय सरोवर (हौज-ए-मुसम्मन) आैर इसके समीप स्थित भवन पवित्र तथा अछूते हैं। यमुना की बाढ़ के बारे में जो भी सुना गया है, वह आश्चर्यजनक है। नदी अब उतर गई है अौर इसके समीप बह रही है।

फ्रेंच यात्री टेवर्नियर ने किया था काले ताजमहल का दावा

लेखक अाइएन. खान ने अपनी किताब 'ब्लैक ताज' में काले ताज से जुड़े कई दावे किए थे। इनमें से एक 17वीं शताब्दी में भारत यात्रा पर आए फ्रेंच यात्री जीन बेप्टिस्ट टेवर्नियर का दावा भी था। टेवर्नियर वर्ष 1666 में शाहजहां की मौत होने के 10 वर्ष बाद वर्ष 1676 में यहां आया था। उसने दावा किया था कि शाहजहां अपने लिए काले संगमरमर से ताजमहल के ठीक सामने यमुना पार मकबरा बनवाना चाहता था। दोनों स्मारकों को यमुना पर पुल बनाकर एक-दूसरे से जोड़ा जाता, लेकिन औरंगजेब द्वारा बंदी बनाए जाने से उसका यह ख्वाब अधूरा रह गया।

कार्लायल ने बताया था बाग

ब्रिटिश पुरातत्वविद एसीएल. कार्लायल ने वर्ष 1871 में काले ताजमहल की अवधारणा को नकार दिया था। उन्हाेंने मेहताब बाग को भारत में मुगल वंश के संस्थापक बाबर द्वारा यमुना किनारे बनवाए गए 11 बागों में से एक बताया था।

किस दिन कितने आए पर्यटक

दिन, पर्यटक

मंगलवार, 142

बुधवार, 115

गुरुवार, 134

शुक्रवार, 98 


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