आंवला नवमी: ये गुण बनाते हैं खास, जानिए आयुर्वेद क्यों में कहा जाता है आंवला अमृत तुल्य Agra News
आयुर्वेदाचार्य डॉ कविता गोयल ने बताया आंवला का औषधिये प्रयोग। आहार विशेषज्ञ मनोज वर्मा ने कहा आंवले में भरपूर होता है एंटी ऑक्सीडेंट।
आगरा, तनु गुप्ता। मंलगवार को सुबह से ही आंवला नवमी के अवसर पर श्रद्धालु पुण्य कमाने के मथुरा वृंदावन की परिक्रमा के लिए पहुंच चुके हैं। घर घर में महिलाएं आवंला के पौधे की पूजा कर रही हैं तो मंदिरों में विशेष अनुष्ठान रखे गए हैं। आंवला की ये साधना सिर्फ पुण्य लाभ के लिए ही नहीं बल्कि स्वास्थ्य लाभ के लिए भी है। आहार विशेषज्ञ मनोज वर्मा के अनुसार आंवला को आयुर्वेद में अमृत तुल्य बताया गया है। कुदरत ने इसमें कई रोगों को जड़ से खत्म करने की ताकत दी है। आंवले में कई ऐसे तत्व पाये जाते हैं जो न केवल शरीर में रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं, बल्कि रोगों को खत्म भी करते हैं। आंवले में भरपूर मात्रा में एंटी ऑक्सीडेंट पाया जाता हैं। पोटासियम, केल्सियम, कार्बोहाइड्रेट, फाइबर, मैग्नीशियम, आयरन, विटामिन सी के साथ इसमें डाययूरेटिक एसिड, विटामिन 'एबी' कॅाम्प्लेक्स समेत खनिज तत्व पाए जाते हैं। खास बात यह है कि गर्म किए जाने के बाद भी इसके तत्व खत्म नहीं होते। आंवले को अचार, मुरब्बा, जूस या फिर चूर्ण के रूप में खाया जा सकता है। आंवले का दो चम्मच जूस प्रतिदिन लेने से कई समस्याओं का समाधान हो जाता है। इसका अचार या फिर मुरब्बा भी शरीर में विटामिन्स व खनिज तत्वों की पूर्ति करता है।
इन रोगों में रामबाण है आंवला
मष्तिक रोग
मनोज वर्मा बताते हैं कि आंवले में कई ऐसे तत्व पाए जाते हैं जो मस्तिष्क को शीतल रखते हैं। आंवला के सेवन से नींद अच्छी आती है। मष्तिस्क हलका रहता है। तनाव से भी मुक्ति मिलती है। आंवला के सेवन से हमेशा आने वाले उतेजना से शांति मिलती है। धातु के रोग, प्रमेय, प्रदर, बार बार कामुक विचार का आना इत्यादि चीजों से आराम मिलता है।
संक्रमण से बचाव
आंवला में बैक्टीरिया से लडऩे की गजब की क्षमता होती है। आंवला शरीर को पुष्ट कर उसे रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा है और विषाक्त पदार्थों को हमारे शरीर से बाहर कर देता है। आंवला अल्सर, अल्सरेटिव, कोलेटीस, पेट में संक्रमण जैसे विकारों को खत्म करता हैं। इसके लिए आंवले का जूस या पाउडर लिया जा सकता है।
नेत्ररोग
आंवले का रस आंखों के लिए बेहद फायदेमंद है। इससे आंंखों की ज्योति बढ़ती है। मोतियाबिंद में, कलर ब्लाइंडनेस, रतौंधी या कम दिखाई पड़ता हो तो प्रतिदिन दो चम्मच आंवले के जूस का सेवन इसमें लाभकारी साबित हो सकता है।
पाचन तंत्र
आंवला मेटाबोलिक क्रियाशीलता को बढाता है, जो हमें स्वस्थ रखने में मदद करता है। आंवला भोजन को पचाने में बहुत मददगार है। खाने में अगर प्रतिदिन आवले की चटनी, मुरब्बा ,अचार ,रस, चूर्ण या च्यवनप्रास शामिल कर लें तो इससे कब्ज की शिकायत हो जाएगी। पेट हल्का रहेगा, भूख अच्छी लगेगी और रक्त विकार भी दूर होगा।
हड्डियों का दर्द
वर्तमान में 40 की उम्र के बाद हड्डियों और जोड़ों में दर्द की समस्या आम हो गई है। चूने के पानी से तैयार मुरब्बे का सेवन इसके लिए रामबाण तो है ही, साधारण आंवला भी इसके लिए लाभकारी है। आंवला में भरपूर केल्सियम होता है। ये ऑस्ट्रोपोरोसिस एवं अर्थराइटिस के लिए फायदेमंद है।
मोटापा
आंवला शरीर के मोटाबॉलिज्म को मजबूत करता है, जिससे मोटापा रुकता है और वजन भी कम होने लगता है। आंवला के सेवन से भूख भी लगती है। वहीं स्किन चमकदार हो जाती है। यह कुष्ठ रोग के निदान में भी बेहद फायदेमंद है।
किडनी के लिए फायदेमंद
आंवला किडनी में संक्रमण होने से रोकता है। इसकी पत्तियां और छाल तो मूत्र विकारों में बेहद लाभकारी हैं। नकसीर में भी इसका सेवन फायदेमंद है। आंवले का रस पाइल्स यानी बवासीर में भी राहत दिलाता है। इसकी छाल पायरिया रोग में लाभप्रद है। गुणों के भंडार की वजह से ही आंवला को आयुर्वेद में अमृत तुल्य माना गया है।
दिल के रोग
आंवला में क्रोमियम नामक तत्व पाया जाता हैं जो डायबिटिक लोगों के लिए अच्छा माना जाता है। आवला इंसुलिन हार्मोंस को सुदृढ़ करता हैं और खून में शुगर की मात्रा को भी नियंत्रित करता हैं। यह क्रोमियम बीटा ब्लॉकर के प्रभाव को भी कम करता हैं, जो की ह्रदय के लिए बेहद अच्छा होता हैं। आंवला के नियमित सेवन से हृदय मजबूत होता है। आमला ह्रदय की रक्त नालिकाओ में होने वाली रुकावट को भी ख़त्म करता हैं। इसमें एंटी ऑक्सीडेंट के रूप में एमिनो एसिड और पेक्टिन पाए जाते हैं। जोकि कलेस्ट्रोल को नहीं बनाने देता और ह्रदय की मांशपेशियों को मजबूती देता हैं। इससे राहत के लिए आंवले के रस का इस्तेमाल किया जा सकता है।
प्रजनन संबंधी समस्या
आंवला प्रजनन संबंधी समस्याओं के लिए भी बहुत कारगर है। इसमें मौजूद खनिज पुरुषों में शुक्राणुओं के साथ महिलाओं में अंडाणुओं की संख्या को भी बढ़ाते व नियंत्रित करते हैं। खास बात ये है कि इसके प्रभाव से अंडाणु और शुक्राणु स्वस्थ रहते हैं, जिससे प्रजनन क्षमता बढ़ती है। माहवारी की अनियमितता की समस्या हो तो महिलाएं इसका नियमित सेवन करके इसमें लाभ पा सकती हैं।
ऐसे करें प्रयोग तो दूर होंगे रोग
आयुर्वेदाचार्य डॉ कविता गोयल के अनुसार आंवले को हर मर्ज की दवा भी कहा जाता है। आंवले का नियमित सेवन दिल की बीमारी, डायबिटीज, बवासीर, अल्सर, दमा, ब्रॉन्काइटिस और फेफड़ों की बीमारी में रामबाण का काम करता है। कुछ अन्य सामग्रियों के साथ आंवला का प्रयोग कर विभिन्न रोगों में लाभ मिलता है।
बवासीर
आंवला को पीसकर उस पीठी को एक मिट्टी के बर्तन में लेप कर देना चाहिए। फिर उस बर्तन में छाछ भरकर उस छाछ को रोगी को पिलाने से बवासीर में लाभ होता है। बवासीर के मस्सों से अधिक रक्तस्राव होता हो, तो 3 से 8 ग्राम आंवला चूर्ण का सेवन दही की मलाई के साथ दिन में दो-तीन बार करना चाहिए।
अतिसार
5 या 6 नग आंवलों को जल में पीसकर रोगी की नाभि के आसपास लेप कर दें और नाभि की थाल में अदरक का रस भर दें। इस प्रयोग से अत्यन्त भयंकर अतिसार का भी नाश होता है।
नेत्र रोग
20- 50 ग्राम आंवलों को कूट कर दो घंटे तक आधा किलोग्राम पानी में भीगोकर उस पानी को छानकर दिन में तीन बार आंखों में डालने से आंखों के रोगों में लाभ मिलता है।
चिरयौवन
लंबी उम्र के लिए आंवला चूर्ण रात के समय घी, शहद या पानी के साथ सेवन करना चाहिए। इसी तरह आंवला चूर्ण 3 से 6 ग्राम लेकर आंवले के रस और 2 चम्मच शहद और 1 चम्मच घी के साथ दिन में दो बार चाटकर दूध पीएं।
कालेे बाल
आंवला, रीठा, शिकाकाई तीनों का काढ़ा बनाकर सिर धोने से बाल मुलायम, घने और लंबे होते हैं। सूखे आंवले 30 ग्राम, बहेडा 10 ग्राम, आम की गुठली की गिरी 50 ग्राम और लोह चूर्ण 10 ग्राम रातभर कढ़ाई में भिगोकर रखें। बालों पर इसका प्रतिदिन लेप करने से छोटी आयु में सफेद हुए बाल कुछ ही दिनों में काले पड़ जाते हैं।
नकसीर
जामुन, आम और आंवले को बारीक पीसकर मस्तक पर लेप करने से नासिका में ब्लड रुक जाता है।
हिचकी
आंवला रस 10- 20 ग्राम और 2-3 ग्राम पीपर का चूर्ण 2 चम्मच शहद के साथ दिन में दो बार सेवन करने से हिचकी में लाभ होता है।
मितली
हिचकी और उल्टी में आंवले का 10-20 मिली रस 5-10 ग्राम मिश्री मिलाकर देने से आराम होता है। यह दिन में दो-तीन बार दिया जा सकता है।
खट्टी डकारें
1 या 2 ताजा आंवला मिश्री के साथ या आंवला रस 25 ग्राम शहद के साथ सुबह-शाम लेने से खट्टी डकारों की शिकायतें दूर हो जाती हैं।
पीलिया
लिवर की दुर्बलता और पीलिया निवारण के लिए आंवले को शहद के साथ चटनी बनाकर सुबह-शाम लिया जाना चाहिए।
कब्ज
लिवर बढ़ने, सिरदर्द, कब्ज, बवासीर और बदहजमी रोग से आंवला से बने त्रिफला चूर्ण को प्रयोग किया जाता है।