Move to Jagran APP

अब एक माह तक नहीं बजेगा बैंड- बाजा और न चढ़ेगी कोई बरात, बस इन तिथियों पर ही सुनाई देगी शहनाई

खरमास 14 मार्च से हो रहा है आरंभ। सूर्य ग्रह कुंभ से करेगा मीन राशि में प्रवेश बदलेंगे कई और ग्रह भी।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Thu, 12 Mar 2020 08:16 AM (IST)Updated: Thu, 12 Mar 2020 07:54 PM (IST)
अब एक माह तक नहीं बजेगा बैंड- बाजा और न चढ़ेगी कोई बरात, बस इन तिथियों पर ही सुनाई देगी शहनाई
अब एक माह तक नहीं बजेगा बैंड- बाजा और न चढ़ेगी कोई बरात, बस इन तिथियों पर ही सुनाई देगी शहनाई

आगरा, जागरण संवाददाता। सूर्य को सृष्टि में तेज का प्रतीक माना जाता है। शास्त्रोक्त मान्यता है कि सूर्यदेव की उपासना से यश,कीर्ति, वैभव और मान-सम्मान की प्राप्ति होती है। इसलिए सूर्य उपासना का बड़ा महत्व बताया गया है। खरमास या मलमास सूर्य से संबंधित है इसलिए इन दिनों में सूर्य उपासना के साथ दान, धर्म और उपासना का विशेष महत्व बतलाया गया है। 14 मार्च को सूर्यदेव मीन राशि में प्रवेश करेंगे इसलिए 14 मार्च से लेकर 13 अप्रैल तक खरमास रहेगा। इस अवधि में शहनाई बंद रहेगी।

loksabha election banner

ज्योतिषविद् पंडित चंद्रेश कौशिक, सविता खंडेलवाल व पंडित अवधेश शर्मा के अनुसार 14 मार्च को सूर्य ग्रह कुंभ से मीन राशि में प्रवेश करेगा। इस वजह से मलमास शुरू हो जाएगा। 22 मार्च को मंगल ग्रह धनु से मकर राशि, बृहस्पति ग्रह 29 मार्च को राशि बदलकर धनु से मकर व शुक्र 28 मार्च को मेष से वृष राशि में प्रवेश करेगा। उन्होंने बताया कि 14 अप्रैल से विवाह मुहूर्त 30 जून तक रहेगा। एक जुलाई को देवशयनी एकादशी के साथ चातुर्मास शुरू हो जाएगा। इसके कारण विवाह आदि मांगलिक कार्य नहीं होंगे।

अब इन तिथियों में होगा विवाह मुहूर्त

अप्रैल- 14, 15, 25, 26

मई- 1, 2, 3, 4, 6, 8, 9, 10, 11, 13, 17, 18, 19, 23, 24, 25

जून- 13, 14, 15, 25, 26, 27, 28, 29, 30

नवंबर- 26, 29, 30

दिसंबर- 1, 2, 6, 7, 8, 9, 10, 11

धार्मिक अनुष्ठान कर सकेंगे

पंडितों ने बताया कि खरमास में मांगलिक कार्य बंद रहेंगे। विवाह के लिए खरीदारी भी की जा सकती है।

खरमास पर क्या करें

खरमास के दौरान जितना संभव हो सके गरीबों, असहायों और जरूरतमंदों को दान करें। सुबह जल्दी उठ जाएं और स्नान आदि से निवृत्त होकर सूर्य को अर्घ्य दें और सूर्य आराधना करें।

खरमास पर न करें ये काम

खरमास के दौरान शुभ कार्यों का निषेध बताया गया है। इसलिए इन दिनों में मांगलिक कार्य जैसे विवाह, सगाई, गृह निर्माण, गृह प्रवेश, नए कारोबार का प्रारंभ आदि कार्य नहीं करना चाहिए।

चतुर्थी और गुरुवार का योग आज

गुरूवार यानी 12 मार्च को चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की गणेश चतुर्थी व्रत है। गुरुवार को ये तिथि होने से इस दिन गणेशजी के साथ ही भगवान विष्णु और गुरु ग्रह के लिए विशेष पूजा-पाठ करनी चाहिए।

ज्योतिषविद् पंडित चंद्रेश कौशिक, सविता खंडेलवाल व पंडित अवधेश शर्मा के अनुसार गणेशजी की पूजा में पूरा शिव परिवार शामिल करना चाहिए। शिव परिवार में शिवजी, माता पार्वती, गणेशजी, कार्तिकेय स्वामी, नंदी और गणेशजी की पत्नियां रिद्धि-सिद्धि शामिल हैं। इन सभी देवी-देवताओं की पूजा एक साथ करनी चाहिए।

गणेश चतुर्थी व्रत की सरल विधि

ये व्रत करने वाले भक्त स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें। घर के मंदिर में सोने, चांदी, पीतल, तांबा या मिट्टी से बनी गणेश और पूरे शिव परिवार की प्रतिमाएं स्थापित करें। सभी देवी-देवताओं को सिंदूर, दूर्वा, फूल, चावल, फल, प्रसाद चढ़ाएं। धूप-दीप जलाएं। श्री गणेशाय नम: मंत्र का जाप करते हुए पूजा करें। भगवान के सामने व्रत करने का संकल्प लें और पूरे दिन अन्न ग्रहण न करें। व्रत में फलाहार कर सकते हैं। पानी, दूध, फलों का रस आदि चीजें भी ले सकते हैं। इस पूजा में भगवान विष्णु और महालक्ष्मी की मूर्तियां भी रख सकते हैं। विष्णु मंत्र ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय का जाप करें। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.