Vinay Kumar Pathak: सामान्य काल पर नहीं करते थे बात, पढ़िए उन पर लगे आरोपों की जानकारी
प्रो. विनय कुमार पाठक एकेटीयू के कुलपति रहे। वहीं आगरा के डा भीमराव आंबेडकर विवि का उन्हें अतिरिक्त प्रभार भी दिया गया था। उनके कार्यकाल के दौरान जो भी रिकार्ड थे वे एसटीएफ खंगाल रही है। वहीं उन पर कई आरोप लगे थे।

आगरा, जागरण संवाददाता। लखनऊ के इंदिरा नगर थाने में पूर्व कार्यवाहक कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक के विरुद्ध अभियोग पंजीकृत हुआ है। वे आगरा में कार्यकाल संभाल चुके हैं। पढ़िए उनके बारे में लगे आरोपों की जानकारी...
दो जून 1969 को कानपुर में जन्मे विनय कुमार पाठक ने 1991 में कानपुर के एचबीटीआइ से कंप्यूटर साइंस में बीटेक किया। 1998 में आइआइटी खड़गपुर से एमटेक किया।2004 में कंप्यूटर साइंस में पीएचडी की।सबसे पहले 2009 से 2012 तक प्रो. पाठक उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय, हल्द्वानी के कुलपति बने।
2013 से 2015 तक कोटा की वर्धमान महावीर ओपन यूनिवर्सिटी के कुलपति रहे। 2015 से 2021 तक वे अब्दुल कलाम आजाद टेक्निकल यूनिवर्सिटी(एकेटीयू) में कुलपति की जिम्मेदारी निभाई। इस बीच 2020 से 2021 तक लखनऊ की ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय के कुलपति का अतिरिक्त प्रभार रहा। इसी दौरान वे कानपुर विश्वविद्यालय के कुलपति बने। जनवरी 2022 से सितंबर तक उनके बाद डा. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के कुलपति का अतिरिक्त प्रभार भी रहा।
सामान्य काल पर नहीं करते थे बात
प्रो. विनय कुमार पाठक खास बात करने के लिए कभी भी सामान्य वायज काल नहीं करते थे। प्राप्त जानकारी के अनुसार वे अपने मोबाइल फोन एप्पल के फेस टाइम एप या वाट्सएप काल का ही सहारा लेते थे। इस बात का जिक्र डिजिटेक्स एजेंसी के मालिक डेविड द्वारा दर्ज कराए गए मुकदमे में भी है। डेविड ने बताया कि प्रो. पाठक ने अजय मिश्रा से एप्पल मोबाइल के फेस टाइम एप से बात कराई। डेविड को हिदायत दी गई थी कि वे फेस टाइम एप के माध्यम से ही संपर्क करेंगे और बात करेंगे। बात करने के बाद काल लाग से उसे डिलीट कर देंगे।
प्रो. पाठक पर लगे आरोप
- अलीगढ़ क्षेत्राधिकारी में होने के बाद और अलीगढ़ राज्य विश्वविद्यालय द्वारा आपत्ति करने के बाद भी 225 कालेजों के विभिन्न पाठ्यक्रमों को स्थायी कर दिया गया।इसमें कुल 10 करोड़ रूपये की धनराशि अनैतिक रूप से एकत्रित की गई।
- आंबेडकर विश्वविद्यालय के क्षेत्राधिकार के लगभग 270 कालेजों के विभिन्न पाठ्यक्रमों की नियम विरूद्ध मान्यता स्थायी कर दी गई। इनसे भी लगभग 15 करोड रूपये की धनराशि रिश्वत के रूप में ली गई।
- एक ही डिस्पेच नम्बर पर कई कालेजों को बैक डेट में लेटर जारी किए गए।फर्जी शिक्षक पकड़े जाने की शिकायत के बाद भी कालेजों को अवैध रूप से स्थायी संबद्धता दी गई।
- प्रो. विनय पाठक ने डिजिटलाइजेशन के नाम पर अपने रिश्तेदार आर्दश पाठक को अलीगढ़ मंडल से संबंधित कालेजों की पत्रावलियों को स्कैनिंग कराने के नाम पर लगभग 25 लाख रुपये का भुगतान किया गया।
- विश्वविद्यालय के विभागों का कम्प्यूटराइजेशन कराने के नाम पर कानपुर विश्वविद्यालय में जिस फर्म द्वारा कार्य किया जा रहा है उसी समान साफ्टवेयर को आगरा मंगाते हुए आधा अधूरा साफ्टवेयर अपलोड कर 35 लाख रुपये का भुगतान कर दिया गया।
लखनऊ के इंदिरा नगर थाने में पूर्व कार्यवाहक कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक के विरुद्ध अभियोग पंजीकृत होने के बाद सोमवार को एसटीएफ की आगरा यूनिट विश्वविद्यालय पहुंच गई। कई घंटे तक एसटीएफ की टीम विश्वविद्यालय में रही। टीम ने प्रो. पाठक के कार्यकाल के भुगतान की जानकारी जुटाई गई। कई मामलों में मानकों की अनदेखी कर निर्णय लेने के मामले सामने आए हैं।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।