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    सिर्फ रिवाज ही नहीं है पैरों में बिछिये पहनना, फायदे जानकर आप भी रह जाएंगे हैरान

    By Tanu GuptaEdited By:
    Updated: Mon, 21 Feb 2022 04:06 PM (IST)

    पैर की दूसरी उंगली की नसें सीधे दिल और महिलाओं के गर्भाशय से जुड़ी रहती हैं। ऐसे में जब इस उंगली पर बिछिया से दबाव पड़ता है तो नसें भी दबती हैं जिससे नसों में खून का संचार सुचारू ढंग से चलता है।

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    जानिए महिलाएं क्यों पहनती हैं पैरों में चांदी के बिछिये।

    आगरा, जागरण संवाददाता। भारतीय संस्कृति में सुहाग− सौभाग्य की निशानी पैरों की उंगली के बिछिये, जिसे आजकल अविवाहित लड़कियां भी पहनती हैं। बिछिये सिर्फ श्रंगार का हिस्सा नहीं है। इसे पहनने के फायदे एक नहीं बल्कि बहुत सारे हैं। ज्योतिषविद दीप्ति जैन के अनुसार हमारे देश में महिलाएं विवाह के बाद बिछिये पहनती हैं। आमतौर पर उन्हें पैर की दूसरी उंगली, यानी अंगूठे की बगल वाली उंगली में पहना जाता है। कई महिलाएं अंगूठे में भी बिछिया पहनती हैं। आज के वक्त में जब समाज विकसित हो रहा है तो कई महिलाएं बिछिया को दखियानूसी विचारधारा की उपज मानती हैं मगर उन्हें ये नहीं पता कि बिछिया सिर्फ मान्यताओं या रीति-रिवाजों का पालन करने के लिए नहीं पहना जाता। इसका वैज्ञानिक कारण भी है जिसे जान लेना हर औरत के लिए जरूरी है।

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    महिलाओं का स्वास्थ्य के लिए है वरदान

    माना जाता है कि पैर की दूसरी उंगली की नसें सीधे दिल और महिलाओं के गर्भाशय से जुड़ी रहती हैं। ऐसे में जब इस उंगली पर बिछिया से दबाव पड़ता है तो नसें भी दबती हैं जिससे नसों में खून का संचार सुचारू ढंग से चलता है। ये बिछिया एक्यूप्रेशर का काम करती है। इस तरह महिलाओं का ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रहता है और यूट्रस तक जाने वाला खून भी सही ढंग से बहता है जिससे महावरी में कोई समस्या पैदा नहीं होती। जिन महिलाओं को अनियमित पीरियड्स की शिकायत होती है, उनके लिए भी बिछिया पहनना अच्छा होता है। रक्त को प्राण माना गया है इसलिए कहते हैं कि महिलाओं के प्राण अंगूठे से होकर गुजरते हैं, ऐसे में उसे संचालित रखना बेहद जरूरी है।

    चांदी की ही बिछिया क्यों

    आपने हमेशा देखा होगा कि बिछिया सिर्फ चांदी की ही पहनी जाती है। सोने की बिछिया औरतें नहीं पहनती हैं। इसके पीछे भी खास कारण है। सोने को देवी लक्ष्मी का रूप माना जाता है। ऐसे में औरतें कमर के नीचे सोने से बना कोई भी आभूषण नहीं पहनती हैं क्योंकि वो देवी का अपमान माना जाता है। दूसरा कारण ये भी है कि सिल्वर को विद्युत का सुचालक माना जाता है। चांदी, धरती की पोलर ऊर्जाओं को सोखकर हमारे शरीर में पहुंचाती है। इस तरह इस ऊर्जा का हमारे पूरे शरीर में संचार होता है। 

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