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Krishna Janmashtami 2019: इन पांच भोगों से लड्डू गोपाल करेंगे पूरी हर कामना, जानिए 56 भोग का भी महत्‍व Agra News

भगवान कृष्‍ण को मिठाई खाने का शौक था इसलिए इस दिन घर में लड्डू गोपाल को खुश करने के लिए महिलाएं तरह-तरह के पकवान बनाती हैं और उसका प्रसाद चढ़ाती हैं।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Sat, 24 Aug 2019 01:22 PM (IST)Updated: Sat, 24 Aug 2019 08:22 PM (IST)
Krishna Janmashtami 2019: इन पांच भोगों से लड्डू गोपाल करेंगे पूरी हर कामना, जानिए 56 भोग का भी महत्‍व Agra News
Krishna Janmashtami 2019: इन पांच भोगों से लड्डू गोपाल करेंगे पूरी हर कामना, जानिए 56 भोग का भी महत्‍व Agra News

आगरा, जागरण संवाददाता। माखन चोर, लड्डू गोपाल, कान्‍हा, चितचोर, चाहें जितने ही नामों से पुकारों कन्‍हैया हर भाव, हर नाम से सुनते हैं। यूं तो कान्‍हा को प्रिय है माखन मिश्री का भोग लेकिन सुदामा के मुठठी भर सूखे चावलों से भी वो तृप्‍त हो जाते हैं। भगवान भूखें हैं तो बस भक्ति भाव के। इस बात को हर भक्‍त जानता है लेकिन फिर भी अपने गोपाल को मनाने के लिए आज घर घर में विशेष भोग बनाने की तैयारियां चल रही हैं। ज्‍योतिषाचार्य डॉ शोनू मेहरोत्रा के अनुसार यह सही है कि कन्‍हैया भक्ति भाव से ही तृप्‍त होते हैं लेकिन यदि प्रमुख पांच प्रसाद जन्‍माष्‍टमी की पूजा में चढ़ाएं जाएं तो विशेष फलदायी होते हैं। इसके पीछे मान्‍यता है कि

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भगवान कृष्‍ण को मिठाई खाने का शौक था इसलिए इस दिन घर में लड्डू गोपाल को खुश करने के लिए महिलाएं तरह-तरह के पकवान बनाती हैं और उसका प्रसाद चढ़ाती हैं।

ज्‍योतिषाचार्य डॉ शोनू मेहरोत्रा

आटे की पंजीरी

जन्‍माष्‍टमी के दिन प्रसाद के लिए बहुत सारे पकवान बनाए जाते हैं और आटे की पंजीरी उसमें से एक है। इसे बनाना बहुत ही आसान है, बस इसमें पड़ने वाली सामग्री और विधि का ध्‍यान रखा जाए तो यह बेहद स्‍वादिष्‍ट बनती है।

कैसे बनाएं

एक कढ़ाई लें और उसमें घी डाल कर खरबूजे के बीज भून लें। हलके सुनहरे होने के बाद इन्‍हें निकाल कर अलग रख दें। इसके बाद फिर कढ़ाई में घी डालें और कटे हुए मेवे डाल कर तल लें। इसके बाद एक बार फिर कढ़ाई में घी डालें और आटा व सूखे धनिय को धीमी आंच पर सुनहरा होने तक भूने। इसके बाद इसमें मेवा और खरबूजे के बीज डाल दें। सामग्री के ठंडा होने पर बूरा मिलाएं। इस तरह पंजीरी तैयार हो जाएगी। स्‍वाद के लिए आप इसमें पिसी हुई इलाइची भी मिला सकती हैं।

मक्‍खन मिश्री

लड्डू गोपाल को माखन चोर भी कहा जाता है और यह बात सभी जानते हैं कि लड्डू गोपाल को मक्‍खन मिश्री बहुत पसंद है। अगर आप जन्‍माष्‍टमी पर लड्डू गोपाल को खुश करना चाहती हैं तो मक्‍खन मिश्री का प्रसाद जरूर चढ़ाएं।

कैसे बनाएं

सबसे पहले एक बड़े बर्तन में दही डालें और फिर उसे मथनी से मथें। इसके बाद दही को ब्‍लैंडर में डालें। ब्‍लैंड करने से आसानी से मक्‍खन निकल आता है। मक्‍खन को एक कटोरी में निकालें और उपर से मिश्री और पिस्‍ता बादाम डाल दें। अच्‍छे फ्लेवर के लिए आप इसमें केसर भी डाल सकती हैं। भगवान कृष्ण की प्रेमिका ही नहीं गुरु भी थी राधा, जानें रहस्य

मखाना पाग

लड्डू गोपाल को मखना पाग मिठाई भी बहुत पसंद है। इसे बहुत ही आसानी से घर पर बनाया जा सकता है। मखाने के साथ आप अन्‍य मेवा को भी पाग सकती हैं।

कैसे बनाएं

इसके लिए मखानों को देसी घी में अच्‍छे से तले। इसके बाद तीन तार की चाशनी बनाएं और उसमें मखानों को डुबो दें। तीन तार की चाशनी बहुत गाढ़ी होती है यह मखानों में आसानी से लिपट जाती है।

पंचामृत

जन्‍माष्‍टमी में पंचामृत का विशेष महत्‍व है। यह ऐसा प्रसान है जिससे लड्डू गोपाल को नेहलाया जाता है और उस पंचामृत को प्रसाद की तरह लोग पीते हैं।

कैसे बनाएं

एक बर्तन में दही लें और अच्‍छे से फेंट लें। फिर इसमें दूध, शहद, गंगाजल और तुलसी डालें। इसके साथ ही इसमें मखाना, गरी, चिरोंजी, किशमिश और छुआरा जैसी मेवा डालें। अंत में थोड़ा सा घी डालें। पंचामृत तैयार हो जाएगा।

मखाने की खीर

लड्डू गोपाल को दूध, घी, मक्‍खन और मेवे से बने सारे पकवान बहुत पसंद है। इसलिए खीर भी लड्डू गोपाल का प्रसाद के तौर पर जन्‍माष्‍टमी के दिन चढ़ाई जाती है।

कैसे बनाएं

सबसे पहले काजू और बादाम को महीन-महीने काटकर अलग रख लें। मखानों को महीन-महीन काट लें और फिर मिक्‍सी में दरदरा पीस ले। अब एक पैन से घी गरम करें उसमें मखानों को एक मिनट के लिए भून लें। फिर उसमें दूध डालकर उबालें। मखाने पूरी तरह गल जएं तो उसमें कटे हुए मेवे को डालें और फिर चीनी डालें। खीर तैयार होने पर उपर से पिसी हुई इलाइची डालें।

सात दिन भूखे रहे भगवान तब चढ़ाए गए छप्‍पन भोग

ज्‍योतिषाचार्य डॉ शोनू बताती हैं कि शास्‍त्रों में वर्णित है कि बाल रूप में भगवान कृष्ण दिन में आठ बार (अष्ट पहर) भोजन करते थे। मां यशोदा उन्हें तरह-तरह के पकवान बनाकर खिलाती थीं। यह बात तब कि है जब इंद्र के प्रकोप से सारे ब्रज को बचाने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को उठाया था, तब लगातार सात दिन तक उन्होंने अन्न जल ग्रहण नहीं किया था। आठवें दिन जब बारिश थम गई, तब कृष्ण ने सभी ब्रजवासियों को अपने-अपने घर जाने को कहा और गोवर्धन पर्वत को जमीन पर रख दिया। इन सात दिनों तक भगवान कृष्ण भूख रहे थे।

मां यशोदा के साथ ही सभी ब्रजवासियों को यह जरा भी अच्छा नहीं लगा कि दिन में आठ बार भोजन करने वाले हमारा कन्हैया पूरे सात दिन भूखा रहा।

इसके बाद पूरे गांव वालों ने सातों दिन के आठ प्रहर के हिसाब से पकवान बनाए और भगवान को भोग लगाया। तब से छप्‍पन भोग की प्रथा चली आ रही है।

ये हैं वो छप्‍पन भोग

- भक्त (भात)

- सूप (दाल)

- प्रलेह (चटनी)

- सदिका (कढ़ी)

- दधिशाकजा (दही शाक की कढ़ी)

- सिखरिणी (सिखरन)

- अवलेह (शरबत)

- बालका (बाटी)

- इक्षु खेरिणी (मुरब्बा)

- त्रिकोण (शर्करा युक्त)

- बटक (बड़ा)

- मधु शीर्षक (मठरी)

- फेणिका (फेनी)

- परिष्टश्च (पूरी)

- शतपत्र (खजला)

- सधिद्रक (घेवर)

- चक्राम (मालपुआ)

- चिल्डिका (चोला)

- सुधाकुंडलिका (जलेबी)

- धृतपूर (मेसू)

- वायुपूर (रसगुल्ला)

- चन्द्रकला (पगी हुई)

- दधि (महारायता)

- स्थूली (थूली)

- कर्पूरनाड़ी (लौंगपूरी)

- खंड मंडल (खुरमा)

- गोधूम (दलिया)

- परिखा

- सुफलाढय़ा (सौंफ युक्त)

- दधिरूप (बिलसारू)

- मोदक (लड्डू)

- शाक (साग)

- सौधान (अधानौ अचार)

- मंडका (मोठ)

- पायस (खीर)

- दधि (दही)

- गोघृत

- हैयंगपीनम (मक्खन)

- मंडूरी (मलाई)

- कूपिका (रबड़ी)

- पर्पट (पापड़)

- शक्तिका (सीरा)

- लसिका (लस्सी)

- सुवत

- संघाय (मोहन)

- सुफला (सुपारी)

- सिता (इलायची)

- फल

- तांबूल

- मोहन भोग

- लवण

- कषाय

- मधुर

- तिक्त

- कुटू

- अम्ल  


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