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    आगरा में जेडी आरपी शर्मा रिहा, विजिलेंस ने किया था गिरफ्तार, घरवाले बोले- हुई न्याय की जीत

    Updated: Sat, 19 Oct 2024 01:35 AM (IST)

    आगरा के मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक आरपी शर्मा को मेरठ विजिलेंस जेल से रिहा कर दिया गया है। न्यायालय से जमानत मिलने के बाद शुक्रवार को उन्हें रिहा किया गया। उनकी रिहाई पर परिजनों शिक्षकों प्रधानाचार्यों कर्मचारियों और अधिकारियों ने स्वागत किया। परिजनों ने इसे न्याय की जीत बताया। शर्मा को अगस्त में रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।

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    मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक आरपी शर्मा शुक्रवार देर शाम मेरठ जेल से रिहा हो गए।

    जागरण संवाददाता, आगरा। विजिलेंस द्वारा गिरफ्तार किए गए मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक आरपी शर्मा शुक्रवार देर शाम मेरठ विजिलेंस जेल से रिहा हो गए। उनकी रिहाई पर परिजनों संग आगरा के तमाम शिक्षक, प्रधानाचार्य, कर्मचारी और अधिकारियों के साथ प्रदेश के अन्य शिक्षा अधिकारी भी स्वागत करने पहुंचे। देर रात वह घर लौट आए। परिजनों ने उनकी रिहाई को न्याय की जीत करार दिया।

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    परिजनों ने ढोल-नगाड़ों संग किया स्वागत

    गुरुवार को न्यायालय से जमानत मिलने के बाद शुक्रवार को दिनभर उनकी रिहाई से जुड़ी औपचारिकताओं में परिजन लगे रहे। रिहाई का आदेश लेकर परवाना देरी से पहुंचा, तो औपचारिकता पूरी होने में शाम हो गई। 

    आरपी शर्मा की रिहाई की सूचना पर आगरा से तमाम शिक्षक, प्रधानाचार्य, शिक्षक नेता, कर्मचारी और अधिकारी उनका स्वागत करने पहुंचे। साथ ही प्रदेश के कई अन्य जिलों से भी शिक्षा अधिकारियों ने पहुंचकर उनका स्वागत कर संबल प्रदान किया। इसके बाद वह परिजनों संग देर रात अपने संजय प्लेस एचआईजी स्थित आवास पर पहुंचे, जहां परिजनों ने उनका ढोल-नगाड़ों संग स्वागत किया।

    परिजन बोले- न्याय की हुई जीत, राहत की सांस

    जेडी आरपी शर्मा की पत्नी डॉ. दीपाली शर्मा का कहना था कि यह न्याय की जीत है। पिछले दो महीनों में उनके परिवार ने निर्दोष होते हुए भी इतना बुरा समय देखा, जिसकी उन्होंने कभी कल्पना तक नहीं की थी, लेकिन परिवार, विभाग और समाज से मिले सहयोग ने हमारी हिम्मत को बनाए रखा। आज उन्हें जमानत मिलने पर हम सभी ने राहत की सांस ली है।

    यह था पूरा मामला

    विजिलेंस ने जेडी आरपी शर्मा को 17 अगस्त को उनके पंचकुइयां, शिक्षा भवन स्थित कार्यालय से तीन लाख रुपये की रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया था। विजिलेंस की कार्रवाई पर तमाम तरह के प्रश्न भी उठे थे, जिसके वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुए। 

    साथ ही आरोप लगाने वाले शिक्षक अजय पाल सिंह उर्फ अजय चौधरी की नियुक्ति पर उठी उंगलियों के बाद शासन ने उसे निरस्त करने के लिए जिला विद्यालय निरीक्षक को निर्देशित किया था। 

    यूपी एजुकेशनल ऑफिसर्स एसोसिएशन की मांग पर हुई उच्च स्तरीय जांच

    यूपी एजुकेशनल ऑफिसर्स एसोसिएशन अध्यक्ष कौस्तुभ कुमार की मांग पर शासन दो सदस्यीय उच्च स्तरीय जांच समिति बनाई थी, जिसकी जांच के आधार पर मामले की जांच विजिलेंस से लेकर सीबीसीआईडी को सौंपते हुए एसपी विजिलेंस के साथ चार विजिलेंस कर्मियों का स्थानांतरण कर दिया था।

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