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    आर्यावर्त बैंक के लाकर से लाखों के गहने चोरी

    By JagranEdited By:
    Updated: Thu, 17 Dec 2020 05:00 AM (IST)

    ताजगंज थाने में अज्ञात के खिलाफ चोरी का मुकदमा दर्ज पुलिस ने बैंक से मांगी लाकर आपरेट करने वाले ग्राहकों की सूची

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    आर्यावर्त बैंक के लाकर से लाखों के गहने चोरी

    आगरा, जागरण संवाददाता । आर्यावर्त बैंक के लाकर में रखे लाखों रुपये के गहने चोरी हो गए। ग्राहक ने ताजगंज थाने में मुकदमा दर्ज करा दिया। मगर, नौ दिन में पुलिस की जांच शुरू नहीं हो सकी है। पीड़ित थाने और बैंक के चक्कर लगाकर परेशान हैं।

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    ताजगंज के लकावली निवासी रिटायर्ड बीएसएनएल कर्मचारी नारायन सिंह का कलाल खेरिया स्थित आर्यावर्त बैंक में खाता है। वर्ष 1998 से उन्होंने बैंक से लाकर की सुविधा भी ले रखी है। नारायन सिंह ने 23 नवंबर को लाकर से कुछ गहने निकाले थे। 25 नवंबर को उन्हें बैंक प्रबंधन द्वारा लाकर खुला होने की सूचना दी गई। उन्होंने बैंक जाकर चेक किया तो लाकर से पूरे गहने गायब थे। उन्होंने ताजगंज की तोरा पुलिस चौकी पर शिकायत की। जांच के बाद पुलिस ने इस मामले में सात दिसंबर को मुकदमा दर्ज कर लिया। मगर, अभी तक जांच शुरू नहीं हुई। नारायन सिंह के बेटे श्याम सिंह रेलवे में लोको पायलट हैं। उन्होंने बताया कि लाकर से उनके करीब 20 से 25 लाख रुपये कीमत के गहने चोरी हुए हैं। थाने और बैंक के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन अभी तक ठीक से जांच भी शुरू नहीं हुई है। इंस्पेक्टर ताजगंज नरेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि बैंक से 23 से 25 नवंबर के बीच लाकर आपरेट करने वाले ग्राहकों की सूची मांगी गई है। सूची मिलने के बाद ग्राहकों से पूछताछ की जाएगी। बैंक के स्टाफ से भी इस संबंध में पूछताछ की जाएगी। जांच शुरू हो चुकी है। शाखा प्रबंधक आनंद प्रकाश का कहना है कि लाकर ग्राहक खुद आपरेट करते हैं। इसमें बैंक की कोई जिम्मेदारी नहीं होती। लाकर खुला दिखने पर तत्काल ग्राहक को सूचना दी गई थी। विभागीय जांच भी कराई जा रही है। मुकदमे में नहीं खोली गहनों की कीमत

    लाकर से गहने चोरी के मुकदमे में पुलिस ने खेल किया। पीड़ित से तहरीर लिखवा लिया कि वह सूची बाद में देगा। जबकि घटना की जानकारी होने के 12 दिन बाद मुकदमा दर्ज किया गया। तब तक क्या पीड़ित को गायब गहनों के बारे में जानकारी नहीं हुई होगी? यह असंभव लग रहा है। पुलिस ने उससे मनमाफिक तहरीर लेकर मुकदमा दर्ज किया। ताकि एसआर केस न बने। एसआर फाइल खुलने पर इसकी प्रगति की आख्या एसपी सिटी, एसएसपी और आइजी को देनी पड़ती। उनके स्तर से केस की समीक्षा की जा सकती थी। ग्राहक के सवाल

    - 23 नवंबर को नारायन सिंह ने लाकर खोला था। वह उसका लाक नहीं लगाते तो चाबी ही बाहर नहीं निकलती।

    -अगर लाकर उसी दिन खुला रह गया तो बैंक कर्मचारियों की नजर उस पर क्यों नहीं पड़ी?

    -बिना दो चाबियां लगाए लाकर कैसे खुल गया।