आगरा में भी किए थे तरुण सागर महाराज ने कड़वे प्रवचन, सरसंघचालक मोहन भागवत से हुई थी मुलाकात
दो फरवरी 2014 में हुआ था आगरा सीमा में मुनि महाराज का मंगल प्रवेश। पुलक सागर महाराज से भी आगरा में वर्षो बाद हुआ था मिलन।
आगरा(जेएनएन): क्रांतिकारी संत के नाम से प्रसिद्ध जैन मुनि तरुण सागर महाराज का आगमन आगरा में भी हुआ था। उनके कड़वे प्रवचनों की वर्षा से आगरावासी भी तृप्त हुए थे। यहीं पर उनकी मुलाकात सरसंघचालक मोहन भागवत से भी हुई थी।
51 वर्ष की आयु में शनिवार सुबह करीब तीन बजे जैन मुनि ने अंतिम सांस ली। सामाजिक मुद्दों पर मुखरता से अपनी राय रखने वाले तरुण सागर महाराज के प्रवचनों के कायल सरसंघ चालक भी थे।
दो फरवरी 2014 में भरतपुर से आगरा की सीमा चौशाहपुर में मुनि महाराज का मंगल प्रवेश हुआ था। चौशाहपुर से भ्रमण करते हुए तरुण सागर आगरा में आए थे। यहां 11 फरवरी से 13 फरवरी के मध्य हरीपर्वत स्थित एमडी जैन इंटर कॉलेज के शांतिनाथ सभागार में कड़वे प्रवचन किए थे। यहीं पर उनसे भेंट करने सरसंघचालक मोहन भागवत भी आए थे। उन्होंने यहां मुनि महाराज के प्रवचन सुन देश के मौजूदा हालातों पर चर्चा भी की थी।
कमला नगर में हुआ था भव्य पाद प्रक्षालन: जैन मुनि तरुण सागर महाराज ने आगरा प्रवास के दौरान जैन मंदिर डी ब्लॉक, कमला नगर में भी कड़वे प्रवचन दिए थे। प्रियकारिणी महिला मंडल की सदस्य सुलेखा जैन के अनुसार एमडी जैन प्रवचन कार्यक्रम के बाद मुनि महाराज का कमला नगर में मंगल प्रवेश हुआ था। कमला नगर स्थित सेंट्रल बैंक रोड पर उनका पाद प्रक्षालन किया गया था। यहां मंदिर के सामने स्थित पार्क में लगे पंडाल में मुनि महाराज ने प्रवचन दिए थे। इसी दौरान आगरा प्रवास के लिए आए पुलक सागर महाराज से भी उनकी वर्षो बाद मुलाकात हुई थी। दोनों मुनि महाराजा एक ही गुरु पुष्पदंत सागर महाराज के शिष्य थे। कमला नगर में प्रवचन के दौरान वे प्रतिदिन आनंद यात्रा कराते थे, जिसमें भजन एवं प्रश्नोत्तरी भी होती थी। उस वर्ष होली उन्होंने आगरा में ही मनाई थी। उनके प्रवचनों को आगरा कभी भुला नहीं सकता।
हर धर्म- जाति के लोगों ने सुने कड़वे वचन: आगरा प्रवास से पूर्व मुनि महाराज के कड़वे प्रवचन अधिकांश शहरवासियों ने सिर्फ टीवी चैनलों पर ही देखे थे। उनके प्रवचन जनमानस के लिए जीवन का सबक होते थे। उनके विचारों की प्रबलता का ही परिणाम था कि एमडी जैन और कमला नगर में हुए उनके प्रवचनों को सुनने के लिए आगरा के हर धर्म और जाति वर्ग लोगों में विशेष उत्साह देखा गया था।