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    आगरा में GST घोटाले का पर्दाफाश, सात फर्जी फर्म बनाकर ITC में किया करोड़ों का खेल; दो पर FIR

    Updated: Mon, 03 Nov 2025 08:43 AM (IST)

    राज्य वस्तु एवं सेवा कर (एसजीएसटी) ने फर्जी फर्मों द्वारा आइटीसी में करोड़ों के घोटाले का पर्दाफाश किया है। कागजों पर चल रही सात फर्मों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है, जो सत्यापन में अस्तित्वहीन पाई गईं। इन फर्मों ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर पंजीकरण कराकर राजस्व को नुकसान पहुंचाया। पुलिस और विभाग मामले की जांच कर रहे हैं।

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    जागरण संवाददाता, आगरा। राज्य वस्तु एवं सेवा कर (एसजीएसटी) ने फर्जी फर्माें द्वारा किए जा रहे इनपुट टैक्स क्रेडिट (आइटीसी) के बड़े खेल को पकड़ा है। लंबे समय तक रेकी के बाद कागजों पर चल रही सात फर्मों के विरुद्ध आइटीसी क्लेम का मुकदमा दर्ज कराया गया है।

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    केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (सीजीएसटी) में पंजीकृत फर्में एसजीएसटी के सत्यापन में मौके पर नहीं पाई गईं। फर्जी दस्तावेजों के आधार पर फर्मों ने पंजीकरण कराया था। फर्मोंं द्वारा करोड़ों रुपये का गोलमाल कर राज्य कर विभाग काे राजस्व की क्षति पहुंचाए जाने की संभावना है। पुलिस व विभाग इसकी जांच में जुटे हैं।

    एसजीएसटी की विशेष अनुसंधान शाखा-बी ने लखनऊ मुख्यालय के निर्देश पर सात फर्मों की रेकी की थी। इनमें चार जून, 2022 से 10 जून, 2024 की अवधि में सक्रिय रहीं दिगनेर के पते पर पंजीकृत ओम ट्रेडर्स और पुनियापाड़ा के पते पर पंजीकृत श्रीराम ट्रेडर्स को अस्तित्वहीन पाया गया।

    ओम ट्रेडर्स के पते को इस वर्ष 24 मई को संशोधित कर 24/16 पुनिया पाड़ा किया गया था, जो श्रीराम ट्रेडर्स का भी पता था। फर्जी फर्माें ने सुनियोजित तरीके से आइटीसी का लाभ पहुंचाने को कूटरचित अभिलेखों के आधार पर पंजीयन प्राप्त कर विभाग को राजस्व की क्षति पहुंचाई।

    राज्य कर अधिकारी अतुल कुमार आर्य की तहरीर पर लोहामंडी थाने में दोनों फर्मों का पंजीकरण कराने वाले दीपक सोनी और संदीप के विरुद्ध धोखाधड़ी व कूटरचित दस्तावेज की धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया गया है। इसके साथ ही 11 नवंबर, 2024 से 30 अप्रैल, 2025 तक सक्रिय रहीं आरएस ट्रेडर्स, बालाजी ट्रेडर्स, आकाश ट्रेडर्स, सिंह ट्रेडर्स, पीके ट्रेडर्स की भी जांच की।

    अस्तित्वहीन फर्जी फर्मों ने सुनियोजित तरीके से दूसरी फर्मों को आइटीसी का लाभ पहुंचाने को कूटरचित प्रपत्रों के आधार पर पंजीयन प्राप्त कर राज्य कर विभाग को राजस्व की क्षति पहुंचाई। राज्य कर अधिकारी प्रशांत कुमार गौतम की तहरीर पर इन फर्मों का पंजीकरण कराने वाले क्रमश: अंकित कुमार, शिवम प्रताप, आकाश, दीपक और लवकुश के विरुद्ध धोखाधड़ी व कूटरचित दस्तावेज की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है।

    संयुक्त आयुक्त चंद्रकांत रलहन ने बताया कि लखनऊ मुख्यालय के निर्देशों पर सीजीएसटी में पंजीकृत सात फर्मों की जांच की गई थी। फर्जी फर्में आइटीसी पास आन करने के खेल में शामिल थीं।

    फार्म का नाम पंजीयन कराने वाला पता
    ओम ट्रेडर्स दीपक सोनी दिगनेर
    श्रीराम ट्रेडर्स संदीप 24/16 पुनिया पाड़ा
    आरएस ट्रेडर्स अंकित कुमार मकान नंबर 51 एमजी रोड
    बालाजी ट्रेडर्स शिवम प्रताप मकान नंबर 6/365 बेलनगंज
    आकाश ट्रेडर्स आकाश मकान नंबर 18/270 आरामबाग, आगरा बाइपास निकट लाइफ केयर हास्पिटल
    सिंह ट्रेडर्स दीपक कठवारी आगरा
    पीके ट्रेडर्स लवकुश पीएस कछपुरा वार्ड नंबर 14 नगला देवजीत

     

    जीएसटी विशेषज्ञ सीए सौरभ अग्रवाल ने बताया कि एक फर्म माल की खरीद पर जो कर चुकाती है, वह फार्म का इनपुट टैक्स क्रेडिट (आइटीसी) होता है। मान लेते हैं कि फर्म से 100 रुपये की खरीद पर 18 रुपये का कर बना। इस माल को फर्म ने 200 रुपये में बेच दिया, जिस पर 36 रुपये कर बना।

    बिक्री पर बने 36 रुपये के कर में से खरीद पर बने 18 रुपये के कर को काटना ही आइटीसी समायोजन कहलाता है। 36 रुपये को पास आन आइटीसी कहते हैं। बिना वास्तविक सप्लाई के केवल फर्जी बिल जारी कर दिया जाता है।

    सीजीएसटी में जांच पर नहीं ध्यान

    सीजीएसटी में फर्मों के पंजीकरण के बाद उनके सत्यापन पर अधिक ध्यान नहीं दिया जाता है। एसजीएसटी द्वारा सात फर्मों की रेकी और भौतिक सत्यापन से इस बात को बल मिला है।