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    International Day of Happiness: दिल रहना चाहिए खुश, तनाव भरी जिंदगी में खुशी और सुकून का लगा सकते हैं तड़का

    By Prateek GuptaEdited By:
    Updated: Sat, 20 Mar 2021 07:56 AM (IST)

    अंतरराष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस पर विशेष। खुशी और सुकून का हो गया वर्तमान में बाजारीकरण। कोरोना वायरस संक्रमण काल में बढ़ गया तनाव का फीसद। लोग लेने लग गए दवाओं का सहारा। टीवी कार्यक्रमों योग और मेडिटेशन का भी लिया आसरा। व्‍यस्‍त जीवन में से निकालिए अपने लिए फुर्सत के पल।

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    तनावमुक्‍त जीवन से राहत चाहिए तो कुछ पल हंसी ठिठोली के भी निकालिए। प्रतीकात्‍मक फोटो

    आगरा, प्रभजोत कौर। उसका घर मेरे घर से अच्छा क्यों? उसकी कार मेरी कार से बड़ी कैसे? मेरे बेटे के नंबर पड़ोसी के नंबर से कम कैसे रह गए? मुझे नौकरी में तरक्की कब मिलेगी? इन सवालों में उलझी जिंदगी भाभी जी का सही पकड़े हैं, हप्पू सिंह का दादा कहना, कपिल शर्मा शो के डाक्टर गुलाटी का अपनी बेइज्जती करने में खुशी के कुछ पल ढूंढ रही है। टीवी से लेकर इंटरनेट मीडिया और पत्रिकाओं से लेकर योगा तक, लोग तनाव को दूर करने का रास्ता ढूंढ रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस पर खुशी और सुकून के इस बाजारीकरण पर प्रकाश डालती रिपोर्ट-

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    राष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस का इतिहास

    भूटान की पहल पर संयुक्त राष्‍ट्र संघ ने वर्ष 2013 में 20 मार्च को अंतरराष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस के रूप में घोषित किया है। इसका उद्देश्य खुशी के महत्व को समझाना है। विश्व भर में यह दिवस खुशी के महत्व को समझने के लिए मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा जारी प्रसन्नता रिपोर्ट 2020 में भारत को 153 देशों में 144वां स्थान मिला था। इस सूची में फिनलैंड पहले नंबर पर रहा था। इस साल संयुक्त राष्ट्र ने सभी 206 देशों को ग्लोबल हैप्पीनेस के दस कदम अपनाने का आव्हान किया है।

    कोरोना काल में बढ़ गया तनाव का फीसद

    लाकडाउन के बाद से लोगों की जिंदगियों में तनाव का फीसद बढ़ गया है। एक आंकड़े के अनुसार लाकडाउन से पहले 60 फीसद लोग तनाव में थे, जो अब 80 से 90 फीसद हो गया है। इनमें भी कामकाजी युवा, छात्र व महिलाएं ज्यादा हैं।

    धारावाहिकों या कार्यक्रमों में ढूंढ रहे खुशी

    टीवी पर हर चैनल पर एेसे धारावाहिक या कार्यक्रम आ रहे हैं, जो लोगों को आधे घंटे का सुकून या खुशी दे रहे हैं। न्यू आगरा में रहने वाली सुनीता गुप्ता हर रोज वागले की दुनिया देखती हैं। सुनीता का कहना है कि जिंदगी की मुश्किलों को जिस आसानी से सुलझाने की कोशिशें इसमें दिखाई जाती हैं, उसे सीखने की कोशिश करती हूं। स्नातक कर रहे राम शर्मा कपिल शर्मा का शो देखते हैं। राम कहते हैं कि पूरे हफ्ते की टेंशन खत्म हो जाती है। कारपोरेट सेक्टर में काम करने वाली गौरी सिंह इंटरनेट मीडिया पर एेसे शो देखती हैं, जो उन्हें खुशी, हंसी और सुकून दे।

    स्ट्रेस बस्टर दवाओं की बढ़ गई मांग

    कोरोना काल के बाद तनाव दूर करने वाली दवाओं की मांग में दोगुना का इजाफा हुआ है। मेडिकल स्टोर संचालक पुनीत कालरा बताते हैं कि आगरा में हर रोज कोरोना काल से पहले ढाई लाख रुपये की स्ट्रेस बस्टर दवाएं बिकती थीं, जिनकी बिक्री अब पांच लाख रुपये हो गई है।

    योग और ध्यान कक्षाओं में बढ़ी संख्या

    तनाव दूर करने के लिए लोग अब योग और ध्यान कक्षाओं का सहारा ले रहे हैं। योग गुरु अलका दुआ का कहना है महिलाएं अब इंटरनेट मीडिया के माध्यम से योग की क्लास ले रही हैं। हर हफ्ते 30 से 40 महिलाएं क्लास में जुड़ती हैं। यह संख्या कोरोना काल में बढ़ गई है।

    सामान्य रूप से हर इंसान की जिंदगी में तनाव है। लोग 100 साल की जिंदगी एक साल में जीना चाहते हैं, इसलिए तनाव में रहते हैं। तनाव भौतिकवादी और उपभोक्तावादी लाइफस्टाइल के कारण भी बढ़ा है। पिछले एक साल में सामाजिक स्तर पर तनाव का स्तर बढ़ा है।

    - डा. दिनेश राठौर, मनोचिकित्सक

    तनाव दूर करने के टिप्स

    - भाग दौड़ वाली जिंदगी से ब्रेक लें। ब्रेक लेने से नई शक्ति और ऊर्जा मिलती है।

    - एेसे दोस्त बनाएं, जिनसे दोस्ती बिना किसी उद्देश्य की हो। दोस्तों के साथ मन हल्का करने में मदद मिलती है।

    - अपनी रूचि में ध्यान लगाएं। एेसा काम करें, जिसे करने में खुशी मिलती हो।

    - हर काम में जीतने के लिए न दौड़ें। क्षमताएं होने का मतलब यह नहीं होता कि हर चीज हासिल करनी हो। इससे दबाव ज्यादा होता है और जल्दी थक जाएंगे।

    - हर काम में व्यवहारिक उद्देश्य रखें।

    - उम्मीदें छोटी-छोटी रखें। उम्मीदों को सालों में और ना हीं पहरों में बांटे।

    - हर रोज कम से कम 30 से 40 मिनट योग या ध्यान करें।

    - वर्तमान में जिएं। नकारात्मकता को दूर रखें।