भारत- तिब्बत सहयोग मंच ने कहा ये 1962 नहीं, हद में रहे चीन
भारत- तिब्बत सहयोग मंच ने रविवार को चीन के खिलाफ जोरदार आवाज उठाई। राष्ट्रीय कार्यसमिति की दो दिवसीय बैठक के अंतिम दिन कहा गया कि यह 1962 नहीं है।
आगरा (जेएनएन)। भारत- तिब्बत सहयोग मंच ने रविवार को चीन के खिलाफ जोरदार आवाज उठाई। राष्ट्रीय कार्यसमिति की दो दिवसीय बैठक के अंतिम दिन कहा गया कि यह 1962 नहीं है। भारत सरकार को चीन से कड़ाई से कहना चाहिए कि वह हद में रहे। तिब्बत और कैलास मानसरोवर को चीन से आजाद कराने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पास कर कहा गया कि भारतीय चाइनीज आइटम न खरीदें। साथ ही धर्मगुरु दलाईलामा को 'भारत रत्न देने का प्रस्ताव पारित किया गया।
ताज ओरियंट होटल में चल रही बैठक में मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी ने कहा कि चीन साम्राज्यवादी है। पहले तिब्बत को कब्जाया, अब सिक्किम और भूटान पर नजर है। अब भारत को उसके इरादों पर रुख कड़ा करना होगा। भारत सरकार को दमदारी से कहना होगा कि बहुत हो चुका। अपनी हद में रहो चीन। यह तभी संभव है, जब यह जन-जन की आवाज बने।
कोश्यारी ने कहा कि 1962 जैसी गलती करने से पहले चीन को अब सौ बार सोचना पड़ेगा। अब भारत में सशक्त प्रधानमंत्री है, इसी वजह से चीन की सेना लद्दाख में 13 दिन रहने के बाद लौट गई। मंच के संरक्षक इंद्रेश ने 2019 तक मंच का विस्तार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर करने का आह्वान किया।
कोश्यारी पुन: राष्ट्रीय अध्यक्ष बने
भगत सिंह कोश्यारी को पुन: संगठन का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया है। इसके अलावा हरजीत सिंह ग्रेवाल को कार्यकारी अध्यक्ष, पूर्व सांसद आरके खिरमे, मास्टर मोहनलाल, अशोक को उपाध्यक्ष, पंकज गोयल और रजनीश त्यागी को महामंत्री नियुक्त किया है।
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