पंचकों के पांच दिन दे सकते हैं अनूठी सौगात, जानिये आखिर क्या होता है जीवन पर इनका प्रभाव
पंचकों के पांच दिन शुभ फल देने वाले भी होते हैं। इसको समझने के लिए मृत्यु पंचक, चोर पंचक, अग्नि पंचक, राज पंचक, रोग पंचक और सामान्य पंचक के प्रभाव को जानना चाहिए।
आगरा [जागरण संवाददाता]: कई बार यह सुना जाता है कि इस शुभ काम को जल्दी कर लोग वरना पंचक लग जाएंगे। या किसी की मृत्यु हो गई हो तो आमतौर पर सबसे पहले मृत्य के समय के पंचक पंडित द्वारा दिखवाए जाते हैं। धर्म वैज्ञानिक पंडित वैभव जोशी बताते हैं कि पंचक यानी पांच दिन। इन दिनों कोई शुभ कार्य नहीं करना हैं परंतु ये साफतौर पर सिर्फ भ्रम है। पंडित वैभव के अनुसार पंचकों के भी कई भेद होते हैं। कुछ पंचक ऐसे होते हैं जिनमें किया गया कार्य शुभ फल देते हैं। वहीं कुछ पंचक अशुभ फल भी देते हैं।
वार अनुसार पंचक परिणाम
रोग पंचक
पंडित वैभव जोशी के अनुसार रविवार के दिन से शुरू होने वाले पंचक रोग पंचक कहलाता है, इसके प्रभाव से ये पाँच दिन शारीरिक और मानसिक परेशानियों वाले होते हैं। इस समय किसी भी प्रकार के शुभ कार्य नहीं करने चाहिये, हर तरह के मांगलिक कार्यों में ये पंचक अशुभ माना जाता है।
राज पंचक
सोमवार से शुरू होने वाले पंचक को राज पंचक कहते है, ये पंचक शुभ माने जाते है। इसके प्रभाव से इन पांच दिनों में सरकारी कार्यों में सफलता मिलती है, राज पंचक में सम्पत्ति से जुड़े कार्य करना भी शुभ रहता है।
अग्नि पंचक
मंगलवार को शुरू होने वाला पंचक अग्नि पंचक कहलाता है। इन पांच दिनों में कोर्ट-कचहरी और विवाद आदि के फैसले, अपना हक प्राप्त करने वाले काम किये जा सकते है। इस पंचक में अग्नि का भय होता है। इन पंचकों में किसी भी तरह का निर्माण कार्य, औजार और मशीनरी कामों की शुरूआत को अशुभ माना जाता है।
चोर पंचक
शुक्रवार को शुरू होने वाला पंचक चोर पंचक कहलाता है। इन दिनों में यात्रादि करने की सख्त मनाही है व इन दिनों में लेनदेन व्यापार और किसी भी तरह के सौदे-समझौते नहीं करने चाहिये मना किये कार्य करने से धनहानि, धोके, और चोरी हो सकती है।
मृत्यु पंचक
शनिवार को शुरू होने वाला पंचक मृत्यु पंचक कहलाता है। इसके नाम से ही पता चलता है कि अशुभ दिन से शुरू होने वाला ये पंचक मृत्यु के बराबर कष्टदायी होता है। इन पांच दिनों में जोखिम भरे काम नहीं करना चाहिये, इसके प्रभाव से विवाद, चोट, दुर्घटना आदि होने का खतरा रहता है।
सामान्य
इसके अलावा बुधवार और गुरूवार को शुरु होने वाले पंचक में ऊपर दी गयी बातों का पालन करना जरूरी नहीं माना गया हैं। इन दो दिनों में शुरू होने वाले पंचकों में इन कामों के अलावा किसी भी तरह के शुभ काम किये जा सकते हैं।
पंचकों में कौन से कार्य नहीं करने चाहिए
- पंचक में चारपाई बनाना अच्छा नहीं माना जाता है, विद्वानों के अनुसार ऐसा करने से कोई बड़ा संकट खड़ा हो सकता है।
- पंचक के दौरान जिस समय घनिष्ठा नक्षत्र हो उस समय घास-फूस, लकड़ी आदि जलने वाली वाली वस्तुऐं इकट्ठी नहीं करनी चाहिये। अर्थात काष्ट संग्रह नहीं करना चाहिये।
- पंचक के दौरान दक्षिण की यात्रा नहीं करनी चाहिये, क्योकि दक्षिण दिशा में काल का वास होता है, इस समय दक्षिण की यात्रा को हानिकारक माना गया है।
- पंचक के दौरान जब रेवती नक्षत्र हो तब छत का निर्माण नहीं करना चाहिये। इस समय अगर छत का निर्माण किया गया तो धन हानि और घर में क्लेश बना रहता है।
- पंचकों में शव का दाह संस्कार (अंतिम संस्कार) नहीं करना चाहिये। अगर ऐसा करना ही पड़े तो किसी योग्य पंडित से विधि विधान से पंचक शान्ति कराकर ही करें।
पंचक के नक्षत्रों का अशुभ प्रभाव
- धनिष्ठा नक्षत्र में आग लगने का भय रहता है।
- शतभिषा में वाद विवाद होने का भय रहता है।
- पूर्वा-भाद्रपद नक्षत्र रोग कारक होता है।
- उत्तरा-भाद्रपद नक्षत्र में धनहानि के योग बनते है।
- रेवती नक्षत्र में नुकसान व मानसिक तनाव होने संभावनाएं प्रबल रहती हैं।
पंचक के नक्षत्रों में कौन से शुभ कार्य किये जा सकते है़
पंडित वैभव बताते हैं कि धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा-भाद्रपद, उत्तरा-भाद्रपद व रेवती नक्षत्र में व्यापार, मुंडन, सगाई, विवाह आदि कार्यों के लिऐ शुभ माने गये हैं।
पंचक के नक्षत्रों के शुभ फल
- धनिष्ठा और शतभिषा नक्षत्रों को चर संज्ञक माना गया है, इसमें चलित कार्यों को शुभ माना गया है, जैसे वाहन खरीदना, यात्रा करना, मशीनरी संबन्धित कार्य करना शुभ होता है।
- उत्तरा-भाद्रपद नक्षत्र स्थिर संज्ञक माना जाता है। स्थिरता वाले कार्य करना शुभ होता है जैसे- जमीन खरीदना, गृह-प्रवेश करना, फल वाले वृक्ष के बीज बोना, शान्ति पूजन का कार्य करना।
- रेवती नक्षत्र मैत्री संज्ञक माना जाता है, इसमें कपड़े से संबन्धित सौदा करना, किसी वाद-विवाद का निपटारा करना व गहने खरीदना शुभ होता है।