Illegal Conversion Racket: सरगना अब्दुल रहमान के मोबाइल में मिला कुछ ऐसा, दिल्ली-कोलकाता-गोवा से निकला कनेक्शन
आगरा पुलिस ने धर्मांतरण मामले में 11 लोगों को गिरफ्तार किया है। अब्दुल रहमान के मोबाइल से 30 संदिग्ध नंबर मिले हैं जिनसे वह लगातार संपर्क में था। पुलिस ने सभी आरोपियों के मोबाइल फोन और लैपटॉप जब्त कर लिए हैं और उनके डेटा की जांच कर रही है। पुलिस का मकसद डिजिटल और फोरेंसिक सबूत जुटाना है ताकि आरोपियों को सजा दिलाई जा सके।

जासं, आगरा। पुलिस को अब्दुल रहमान के मोबाइल से 30 से अधिक नंबर संदिग्ध मिले हैं। उक्त नंबरों पर वह लगातार संपर्क में था। उसकी लंबी बातचीत हुई थी। यह नंबर दिल्ली के अलावा कोलकाता समेत अन्य शहरों के हैं। पुलिस अब इन संदिग्ध नंबरों के बारे में जानकारी जुटा रही है।
आशंका है कि संदिग्ध गिराेह के साथ मिलकर मतांतरण के लिए लोगों को जाल में फंसाने का काम कर रहे हैं। वहीं, आयशा, रहमान कुरैशी समेत 11 आरोपितों के मोबाइल को कब्जे में लेकर पुलिस उनकी काल डिटेल एवं डाटा की जांच कर रही है। पुलिस प्रत्येक आरोपित के विरुद्ध डिजिटल साक्ष्य को विवेचना में शामिल करेगी। जो उन्हें सजा दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
मतांतरण गिरोह से एक दर्जन से अधिक मोबाइल के अलावा लैपटाप भी बरामद किया है। पुुलिस और जांच टीमों की प्राथमिकता आरोपितों के विरुद्ध डिजिटल एवं फोरेंसिक साक्ष्य जुटाने की है। गिरोह के विरुद्ध पुलिस गवाहों के बयान पर ही निर्भर रहना नहीं चाहती है।
दिल्ली, कोलकाता और गोवा के हैं नंबर
इसी क्रम में अब्दुल रहमान के मोबाइल पुलिस को 30 से अधिक संदिग्ध नंबर मिले। यह नंबर दिल्ली के अलावा कोलकाता, गोवा समेत अन्य शहरों के हैं। जिनसे अब्दुल रहमान की लगातार लंबी बातचीत हुई है। पूछताछ में अब्दुल रहमान ने बताय कि यह नंबर उसके रिश्तेदारों और मित्रों के हैं। जांच टीमों ने संदिग्ध नंबरों की काल डिटेल निकाली है। जिससे कि उनके संपर्क में आए लोगों के बारे में छानबीन कर सके।
न्यायालय से सजा दिलाने के लिए आरोपितों के विरुद्ध डिजिटल एवं फोरेंसिक साक्ष्यों को भी साक्ष्य के रूप में अपनी विवेचना में शामिल करना चाहती है।जिससे कि गवाहों के मुकरने की स्थिति में डिजिटल साक्ष्य मतांतरण के आरोपों को सिद्ध करने में सहायक सिद्ध हों।
वह आरोपितों के मोबाइल और लैपटाप का डाटा अध्ययन कर रही है। डिजिटल साक्ष्यों को मजबूत बनाने के लिए साइबर क्राइम विशेषज्ञों की मदद ले रही है। जिससे कि उन्हें अपनी विवेचना में शामिल कर सके। गिरोह के विरुद्ध आरोप पत्र न्यायालय में इ इन साक्ष्यों काे भी शामिल करेगी।
शाहगंज के सराय ख्वाजा के रहने वाले रहमान कुरैशी के मोबाइल और लैपटाप से पुलिस को पाकिस्तानी यूट्यूबर से कनेक्शन मिला है। रहमान कुरैशी मतांतरण के जाल में फंसे लोगों को इससे संबंधित वीडियाे के लिंक भेजता था। उक्त वीडियो को देखने का दबाव बनाया जाता, जिससे कि वह मतांतरण के साथ ही कट्टरता की ओर बढ़ सकें।
इसी तरह अब्दुल रहमान के मोबाइल में रिवर्ट के नाम बड़ी संख्या में नंबर फीड हैं। आरोपितों से रिमांड पर पूछताछ कर रही पुलिस टीमों का मानना है कि मुकदमा चलने के दौरान मोबाइल डाटा ठोस साक्ष्य साबित होंगे।
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