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    Holi 2022: ब्रज की होली का कैलेंडर, कब− कहां मचेगा हुड़दंग, नोट कर लें अभी से तारीख

    By Tanu GuptaEdited By:
    Updated: Sun, 06 Mar 2022 10:15 AM (IST)

    Holi 2022 वसंत पंचमी से हुआ होली महोत्सव में छाने लगेगी रंगत। 11 और 12 मार्च को लठामार होली के बाद 14 मार्च को रंगभरनी एकादशी पर द्वारकाधीश मंदिर में ठाकुरजी रंगों की होली खेलेंगे। जन्मस्थान पर भी श्रद्धालु लठामार होली का आनंद लेंगे।

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    Holi 2022: ब्रज के हर शहर− गांव में होली की छाइ है अभी से उमंग। फाइल फोटो

    आगरा, जागरण टीम। ब्रज में अब होली की मस्ती की थाह नहीं होगी। अबीर गुलाल उड़ने के साथ ही होली के रंग चटक हो जाएंगे। ब्रज में सबसे पहले महावन स्थित गुरु शरणानंद के रमणरेती आश्रम में होली खेली जाती है, इसी के साथ ब्रज में होली की मस्ती में श्रद्धालु झूमने लगते हैं। रज की होली देश-दुनिया के श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र है।

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    होली के आयोजन में भगवान श्रीकृष्णराधा की लीलाएं जीवंत होती हैं। होली का नाम आते ही आंखों के सामने गोपियाें द्वारा बरसाए जाने वाले लठ, आसमान में अबीर गुलाल के बदरा छाने लगते हैं। रविवार से होली की मस्ती चरम पर होगी। रमणरेती आश्रम में आयोजित कार्ष्णि गोपाल जयंती महोत्सव के चौथे दिन सुबह दस बजे से ठा. रमण बिहारीजी के साथ संत व भक्त होली खेलेंगे। कोरोनाकाल में भले ही रंगों की होली नहीं होगी, लेकिन फूलों और अबीर गुलाल की होली में श्रद्धालु सराबोर हो जाएंगे। गुलाब, कमल, चंपा, चमेली, लिली, डाहलिया, सूरजमुखी, कनेर, गुलमोहर आदि फूल मंगाए गए हैं। इसके साथ ही ब्रज की हवा में होली की मस्ती घुल जाएगी। दस मार्च को बरसाना में लड्डू होली और 11 मार्च को लठामार होली में देश-दुनिया के श्रद्धालु उमड़ेंगे। 12 को नंदगांव की होली का भी अपना जलवा रहेगा। रंगभरनी एकादशी 14 मार्च की है। रंगभरनी एकादशी पर द्वारकाधीश मंदिर में ठाकुरजी रंगों की होली खेलेंगे, वहीं जन्मस्थान पर भी श्रद्धालु लठामार होली का आनंद लेंगे। होली के आयोजनों की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं।

    राधावल्लभ मंदिर में खूब झूमे श्रद्धालु

    प्राचीन राधावल्लभ मंदिर में होली का उल्लास छाया है। शनिवार को कमर गुलाल का फेंटा बांध हुरियारे के रूप में ठाकुर राधावल्लभललाल ने दर्शन दिए, तो श्रद्धालु भाव-विभोर हो गए। सेवायतों ने आराध्य के प्रतिनिधि के रूप में श्रद्धालुओं पर गुलाल उड़ाया तो उन्होंने प्रसादी के रूप में माथे से लगाया। मंदिर परिसर जयकारों से गूंज उठा। श्रद्धालु रसिया गायन पर जमकर झूमे। अबीर-गुलाल से सराबोर श्रद्धालुओं की भीड़ मंदिर में खासी रही। होली तक मंदिर में श्रद्धालु आस्था और श्रद्धा के संग रंगों की मस्ती में चूर रहेंगे।