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    आगरा की श्रीकृष्ण लीला, 1924 से हो रहा आयोजन, कभी धोती-कुर्ता पहनकर मैदान में होती थी लीला

    By Sandeep KumarEdited By: Abhishek Saxena
    Updated: Sun, 06 Nov 2022 10:40 PM (IST)

    Shri Krishna Leela आगरा के वाटर वर्क्स स्थित गोशाला में 1924 से हो रहा है श्रीकृष्ण लीला का आयोजन। पिछले 20 वर्ष से वृंदावन के श्रीराम शर्मा निमाई के निर्देशन में हो रहा लीला मंचन। कोविड काल की मुश्किलों में भी लघु रूप में आयोजन हुआ।

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    Shri Krishna Leela: कभी धोती-कुर्ता पहनकर मैदान में होती थी लीला

    आगरा, जागरण संवाददाता। वाटर वर्क्स स्थित गोशाला में होने वाली श्रीकृष्ण लीला शहर का प्राचीन आयोजन है, श्रीकृष्ण लीला समिति ने वर्ष 1924 में इसकी शुरुआत की। तब से अब तक आयोजन ने कई पड़ाव व दौर देखे। पहले जहां कलाकार धोती-कुर्ता पहनकर खुले मैदान में सीमित संसाधनों के बीच लीला मंचन करते थे, अब भव्य मंच पर आकर्षक श्रृंगार और पोशाकों में लीला का प्रस्तुतिकरण होता है।

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    मंच की भी नहीं थी व्यवस्था

    पहले आयोजन सीमित संसाधनों में होता था, कलाकार धोती-कुर्ता व सामान्य वेश-भूषा में लीलाओं की प्रस्तुति देते थे। मंच की व्यवस्था भी नहीं थी, इसलिए खुले मैदान में लीलाएं होती थी, श्रद्धालु गोल घेरा बनाकर लीलाएं देखते थे। इस कारण वह ठीस से लीला देख भी नहीं पाो थे, लेकिन लोगों का उत्साह बहुत होता था, स्वरूपों को भगवान की भांति ही पूजा जाता था। अब श्रीकृष्ण लीला कमेटी ने तमाम संसाधन जुटाए हैं। अच्छा मंच, पंडाल, साउंड सिस्टम, लाइट के साथ स्वरूपों के लिए आकर्षक पोशाक व श्रृंगार ने इसकी रौनक और बढ़ा दी है।

    दूसरी जगह सजती थी द्वारिकापुरी

    रंगशाला के संयोजक केके सिंघल बताते हैं कि पहले बग्घियां पर केरोसीन की पैट्रोमैक्स की रोशनी के बीच शोभायात्रा निकाली जाती थी, संसाधन सीमित थे। विजय नगर कालोनी और बंबई वाली बगीची में द्वारिका पुरी सजाई गई, तो श्रीकृष्ण और दाऊजी की सवारी रात तीन बजे पहुंचने पर भी लोगों की भीड़ कम नहीं हुई। अब आकर्षक रथ, बैंडबाजे, लाइटिंग आदि से आकर्षण और बढ़ गया है। आठ नवंबर को श्रीकृष्ण-बलराम की शोभायात्रा निकाली जाएगी, जिसमें आकर्षक झांकियां शामिल होंगी। शोभायात्रा वाटर वर्क्स गोशाला से प्रारंभ होकर क्षेत्र का भ्रमण कर गोशाला में बनाई गई द्वारिका पुरी आकर संपन्न होगी। तैयारियों को पूरा करने में अशोक काका कारीगर के साथ लगे हैं।

    कई अड़चनों के बाद भी न रुका कारवां

    श्रीकृष्ण लीला समिति के अध्यक्ष मनीष अग्रवाल बताते हैं कि 99 वर्ष से श्रीकृष्ण लीला का अवाधित आयोजन होता है। 2005 से पूर्व समिति शिथिल होने से आयोजन प्रभावित हुआ, तत्कालीन संयोजक पं. महेशचंद शर्मा ने मुझसे लीला संचालन का संकल्प लिया, जिसके बाद विनोद कुमार अग्रवाल को समिति अध्यक्ष बनाया गया, उन्होंने मजबूती से दायित्व संभाला और श्रीकृष्ण लीला महिला उत्थान समिति का गठन कर कमला नगर में निश्शुल्क कढ़ाई, कंप्यूटर प्रशिक्षण केंद्र खोला। 2016 में उनका निधन हमारे लिए वज्रपात था, तब मैंने अध्यक्ष पद संभाला और आयोजन लगातार जारी है।

    कंस वध सोमवार को, होगा पुतला दहन

    श्रीकृष्ण लीला में सोमवार को अक्रूर गमन और कंस वध की लीला होगी। कंस वध के बाद 70 फीट का अट्टाहास करते उसके पुतले का दहन होगा। दानपुर, बुलंदशहर के कारीगर अशफाक अपने 20 कारीगरों के साथ पिछले 14 दिन से पुतला तैयार करने में जुटे हैं। उन्होंने बताया कि कंस के हंसता हुआ और हाथ में घूमती हुई ढाल लेकर खड़े पुतले का दहन होगा। एक घंट आतिशबाजी होगी, जिसमें श्रीकृष्ण व गाय की प्रतिमा, नाचता मोर, झूला झूलते श्रीकृष्ण व श्रीकृष्ण लीला महोत्सव समिति आदि लिखा जाएगा।

    मैं पिछले 20 से वृंदावन से अपनी 20 सदस्यीय मंडली के साथ लीला मंचन कराने आता हूं। इन 20 सालों में मैंने बहुत बदलाव देखा है। श्रद्धालुओं में उत्साह बढ़ा है और लीला कमेटी भी मजबूत हुई है। उम्मीद है इन आयोजनों से हम अपने प्राचीन इतिहास को संभाल पाएंगे। - श्रीराम शर्मा निमाई, लीला निर्देशक