ईरान के छात्राें में दिखा हिन्दी प्रेम: केंद्रीय हिंदी संस्थान आगरा में लेंगे क्लास; 24 देशाें से आए स्टूडेंटस
आगरा के केंद्रीय हिंदी संस्थान में 24 देशों के छात्र हिंदी सीख रहे हैं। नौ महीने का यह कोर्स गैर-हिंदी भाषियों को हिंदी सिखाने के लिए है। इस साल ईरान केन्या और नाइजर से पहली बार छात्र आए हैं। छात्रों को हिंदी के साथ भारतीय संस्कृति से भी परिचित कराया जाएगा। संस्थान का लक्ष्य हिंदी को वैश्विक स्तर पर ले जाना है। छात्र ताजमहल जैसे ऐतिहासिक स्थलों का भ्रमण करेंगे।

जागरण संवाददाता, आगरा। केंद्रीय हिंदी संस्थान में हिंदी को बढ़ावा देने के लिए नौ महीने का कोर्स संचालित करता है। जिसमें गैर हिंदी भाषी राज्यों के साथ कई देशों के छात्र शामिल होते हैं। यह कोर्स हर साल हिंदी पढ़ने, लिखने और समझने के लिए आयोजित किया जाता है।
इस बार भी 24 देशों के छात्र इसमें हिस्सा लेने आगरा पहुंचे हैं। इसमें खास बात यह है इस साल पहली बार ईरान से तीन और केन्या, नाइजर के साथ पेरू से एक-एक छात्र विदेश मंत्रालय की अनुमति मिलने बाद हिंदी सीखने के लिए आए हैं। यह कोर्स अगस्त से शुरू हुआ है, अप्रैल में पूरा होगा।
संस्थान में हिंदी सीख रहे हैं 24 देशों के छात्र
केंद्रीय हिंदी संस्थान के निदेशक डॉक्टर सुनील बाबुराव कुलकर्णी ने बताया यह कोर्स विदेशी छात्रों को हिंदी भाषा और भारतीय संस्कृति से जोड़ने का अच्छा मौका है। कोर्स के तहत छात्रों को हिंदी बोलना, पढ़ना, लिखना और समझना सिखाया जाएगा। साथ ही, भारतीय संस्कृति, साहित्य और परंपराओं से भी उनका परिचय कराया जाएगा। इस कोर्स में हिस्सा लेने वाले विदेशी छात्र उत्साहित हैं।
अगस्त में शुरू हुआ कोर्स अप्रैल में होगा पूरा
ईरान से आए छात्रों का कहना है वे हिंदी सीखकर भारत की संस्कृति को और करीब से जानना चाहते हैं। वहीं, केन्या, नाइजर और पेरू के छात्रों का मानना है हिंदी सीखने से उन्हें भारत के साथ व्यापार, शिक्षा और पर्यटन के क्षेत्र में नए अवसर मिलेंगे। संस्थान में इन छात्रों का स्वागत हुआ है। कोर्स के दौरान छात्रों को आगरा के ऐतिहासिक स्थलों जैसे ताजमहल और आगरा किला, घूमने का मौका भी मिलेगा। इससे वे भारत की समृद्ध विरासत को भी समझ सकेंगे।
वैश्विक स्तर पर हिंदी को ले जाना लक्ष्य
डॉक्टर कुलकर्णी ने कहा हिंदी को वैश्विक स्तर पर ले जाना संस्थान का मुख्य लक्ष्य है। इस कोर्स के जरिए न केवल हिंदी भाषा का प्रचार हो रहा है, बल्कि भारत और अन्य देशों के बीच सांस्कृतिक संबंध भी मजबूत हो रहे हैं। यह पहल हिंदी को दुनिया भर में लोकप्रिय बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
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