Updated: Sat, 30 Aug 2025 05:00 AM (IST)
बच्चों में एंटोवायरस के संक्रमण से हाथ पैर और मुंह की बीमारी (एचएफएमडी) फैल रही है। मसूड़े गाल और जीभ में छाले हो रहे हैं जिनमें असहनीय दर्द हो रहा है। हाथ और पैरों में लाल दाने निकल रहे हैं। चिकित्सकों का कहना है कि पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों में इसका खतरा अधिक है। संक्रमण से बचने के लिए सावधानी बरतने की सलाह दी गई है। 
                      जागरण संवाददाता, आगरा। बच्चों में एंटोवायरल के संक्रमण से हाथ, पैर और मुंह की बीमारी (एचएफएमडी) फैल रही है। मसूड़े, गाल और जीभ में छाले हो रहे हैं। इनमें असहनीय दर्द हो रहा है। इसके साथ ही हाथ और पैरों में लाल दाने निकल रहे हैं और घाव हो रहे हैं। इसे ठीक होने में 10 से ज्यादा दिन लग रहे हैं।                
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                       सरकारी और निजी अस्पतालों में एचएफएमडी के मरीज बढ़ने लगे हैं।                       एसएन मेडिकल कॉलेज के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. नीरज यादव ने बताया कि पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों में एचएफएमडी होने का खतरा ज्यादा रहता है। बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है।                             
                                         ऐसे में एंटोवायरस से संक्रमित होने के बाद बुखार आने लगता है और मुंह में छाले हो जाते हैं, हाथ और पैर पर भी लाल दाने निकल आते हैं, इसमें दर्द बहुत होता है। इंडियन एकेडमी ऑफ पिडियाट्रिक्स आइएपी आगरा के उपाध्यक्ष डॉ. अरुण जैन ने बताया कि पिछले एक सप्ताह से हाथ, पैर और मुंह के बीमारी से पीड़ित बच्चे आ रहे हैं।                             
                                         इनके गाल, जीभ और मसूड़े पर छाले हो रहे हैं, असहनीय दर्द हो रहा है। इन बच्चों के संपर्क में आने से अन्य बच्चों में भी बीमारी फैलने का खतरा है। इसमें लक्षण के आधार पर दवा दी जाती है, यह वायरल संक्रमण है इसलिए ठीक होने में आठ से 10 दिन लग सकते हैं। इस दौरान बच्चों को स्कूल नहीं भेजना चाहिए, इससे अन्य बच्चों में भी बीमारी होने का खतरा रहता है।                             
                                                            ये हैं लक्षण                                   तेज बुखार , गले में दर्द और बार बार गला सूखना                                         मुंह के अंदर, जीभ, गाल व मसूड़ों में छोटे-छोटे दर्दनाक छाले या अल्सर                                               हाथों, पैरों के साथ ही शरीर के अन्य हिस्सों पर लाल दाने या छाले                                                      सिरदर्द, थकावट, भूख न लगना, चिड़चिड़ापन                                       शिशुओं में बार-बार लार गिरना                                                              पेट दर्द, उल्टी भी हो सकती है।                                                                                                                                                                                                                   
                                                                                                                                                                                                                                                                                         ऐसे फैलता है संक्रमण                                                                                                                                                                                                                                                              
                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                       संक्रमित बच्चे के खांसने, छींकने, बोलने या थूक के संपर्क से आने से स्वस्थ व्यक्ति संक्रमित हो सकता है                                                                                संक्रमित मल के संपर्क से (विशेष रूप से छोटे बच्चों में डायपर बदलते समय)                                                                                       स्कूल या डे-केयर में बच्चों के संपर्क से तेजी से फैल सकती है।                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                       
                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                   हाथों को बार-बार साबुन से धोना और सैनिटाइजर का प्रयोग करना,                                                                                                संक्रमित व्यक्ति और उसके उपयोग की वस्तुओं से दूरी बनाना,                                                                                                बच्चों को स्कूल न भेजें जब तक वे पूरी तरह ठीक न हों।                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                            
  
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