हार्ट, शुगर और अस्थमा मरीजों को 90 दिन तक खतरा... सतर्क रहने की सलाह, इन अस्पतालों में इलाज की सुविधा
सर्दी के मौसम में वायु प्रदूषण बढ़ने से हृदय, मधुमेह और अस्थमा रोगियों के लिए खतरा बढ़ गया है। कार्बन मोनोऑक्साइड का स्तर बढ़ने से चक्कर, बेहोशी और सांस लेने में तकलीफ हो सकती है। स्वास्थ्य विभाग ने अस्पतालों में इलाज की व्यवस्था की है। सुबह-शाम टहलने से बचने और प्रदूषण से बचाव करने की सलाह दी गई है।

सांकेतिक तस्वीर।
जागरण संवाददाता, आगरा। सर्दी की दस्तक के साथ ही वायु प्रदूषण और धुंध छाने से आने वाले 90 दिनों तक ह्रदय, मधुमेह और अस्थमा रोगियों के लिए खतरा है। सर्द हवा चलने से वातावरण में निचले स्तर पर प्रदूषक तत्वों का स्तर बढ़ने लगा है।
वातावरण में कार्बन मोनोऑक्साइड का स्तर बढ़ने से ह्रदय और मधुमेह रोगियों को चक्कर आ सकते हैं, बेहोशी छा सकती है। वहीं, अस्थमा राेगियों को अटैक पड़ सकता है। दिल की धड़कन बढ़ने के साथ सांस लेने में परेशानी हो सकती है। इसे देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने भी तैयारी शुरू कर दी है।
सर्दी में धुंध छाने और निचले स्तर पर कार्बन मोनोऑक्साइड, आजोन का स्तर बढ़ने से बेहोशी और चक्कर
सुबह और रात में सर्द हवा चल रही है, तापमान में लगातार गिरावट आ रही है। इसके साथ ही सुबह और रात में धुंध भी छाएगी। इससे प्रदूषक तत्व निचली सतह पर बने रहेंगे। इसमें भी अति सूक्ष्म कण, सूक्ष्म कण के साथ ही कार्बन मोनोऑक्साइड और ओजोन का स्तर भी बढ़ने लगता है। इस मौसम में सुबह और शाम टहलने जा रहे ह्रदय रोगियों को चक्कर आ सकते हैं, बेहोशी छा सकती है, थोड़ा चलने पर सांस फूल सकती है। इससे दिल पर दबाव बढ़ने लगता है और दिल की धड़कन बढ़ जाती है। हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक पड़ सकता है।
सीएमओ डॉ अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि फरवरी तक ह्रदय, मधुमेह और अस्थमा रोगियों को खतरा रहता है। इसके लिए एसएन मेडिकल कॉलेज, जिला अस्पताल के साथ ही सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर इंतजाम किए जा रहे हैं।
यहां करा सकते हैं इलाज
- एसएन मेडिकल कॉलेज की सुपरस्पेशयिलिटी विंग में ह्रदय रोगियों और ब्रेन स्ट्रोक के मरीजों के अलग से वार्ड हैं, मरीज यहां इलाज करा सकते हैं।
- हार्ट अटैक के मरीजों की सुपरस्पेशियलिटी विंग में एंजियोग्राफी और एंजियोप्लास्टी की सुविधा है।
- रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग में अस्थमा अटैक, सीओपीडी और टीबी के गंभीर मरीजों के लिए आईसीयू और वार्ड है।
- मेडिसिन में 32 बेड का आईसीयू और एनेस्थीसिया विभाग में 22 बेड का नया आइसीयू
- जिला अस्पताल में छह बेड का आईसीयू है
ये करें
- सुबह और शाम को धुंध छाने पर ह्रदय, मधुमेह और सांस रोगी टहलने ना जाएं, धूप निकलने पर ही टहलें
- प्रदूषण अधिक होने पर घर पर ही रहें, मास्क और रूमाल का इस्तेमाल करें
- पानी का सेवन अधिक करें, पौष्टिक आहार लें
- घर में लकड़ी ना जलाएं, धुआं ना करें
- रक्तचाप और शुगर का स्तर बढ़ने पर डाक्टर से परामर्श लेकर दवा की डोज में बदलाव करा लें
तापमान में गिरावट से कार्बनमोनोऑक्साइड का स्तर निचली सतह पर बढ़ने लगता है, इससे मधुमेह और ह्रदय रोगियों की धड़कन बढ़ने लगती है, सांस लेने में परेशानी के साथ ही बेहोशी और चक्कर भी आ सकते हैं। ब्रेन स्ट्रोक का खतरा भी अधिक रहता है। डॉ. अतुल कुलश्रेष्ठ, मधुमेह रोग विशेषज्ञ
सर्दियों में पीएम 2.5 के साथ ही ओजोन का स्तर बढ़ने से सांस राेगियों में अस्थमा अटैक की आशंका बढ़ जाती है। असीओपीडी और टीबी के मरीजों को भी परेशानी होने लगती है। प्रदूषण और सर्दी से बचाव करने से मरीज ठीक रह सकते हैं। डॉ. जीवी सिंह, अध्यक्ष रेस्पिरेटरी मेडिसिन, एसएन मेडिकल कॉलेज
सर्दी के मौसम में खून की नलिकाएं सिकुड़ जाती हैं। वहीं, कार्बन मोनोआक्साइड का स्तर बढ़ने से खून का थक्का जमने की आशंका बढ़ने लगती है। इससे हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। वहीं, अचानक से रक्तचाप भी बढ़ सकता है। डॉ. सुशील सिंघल, कार्डियोथोरेसिक सर्जन, एसएन मेडिकल कॉलेज
पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों सर्दी जुकाम के साथ ही निमोनिया की समस्या ज्यादा रहती है। धूप निकलने पर कपड़े उतारकर बच्चों को ना लिटाएं, इससे सर्दी लग सकती है। ठंडे पदार्थ का सेवन ना कराएं। डॉ. नीरज यादव, अध्यक्ष बाल रोग विभाग एसएन मेडिकल कॉलेज

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