रहें सावधान! युवाओं में बढ़ रहे हार्ट अटैक, एसएन में एंजियोग्राफी कराने वालों में 25 से 45 वर्ष के मरीज
युवाओं में फास्ट फूड तनाव और व्यायाम की कमी से हृदय रोग बढ़ रहा है। हृदय रोगियों में 40% युवा हैं। एसएन मेडिकल कॉलेज में एंजियोग्राफी कराने वालों में 25 से 45 आयु के 40% मरीज हैं। युवाओं में ब्लॉकेज का आकार बड़ा मिल रहा है जिसके लिए अधिक स्टेंट लग रहे हैं। बचाव के लिए सही जीवनशैली और खानपान पर ध्यान देना जरूरी है।

जागरण संवाददाता, आगरा। युवाओं में फास्ट फूड के सेवन, अत्यधिक तनाव और व्यायाम ना करने से नसों में सूजन आ रही है। इससे हृदय की धमनियों में ब्लाकेज हो रही है, ब्लाकेज का आकार भी है। सीने में दर्द, बेचैनी, घबराहट के साथ ही हार्ट अटैक पड़ने पर सरकारी और निजी अस्पताल में पहुंच रहे हृदय रोगियों में 40 प्रतिशत युवा है।
कुछ वर्ष पहले तक 50 वर्ष की आयु के बाद हृदय रोग की समस्या होती थी अब 25 वर्ष की आयु से ही उच्च रक्तचाप, हार्ट अटैक सहित हृदय रोग की समस्या हो रही है। सोमवार को विश्व हृदय दिवस पर बीमारी से बचाव के लिए लोगों को जागरूक किया जाएगा।
एसएन में सीने में दर्द, घबराहट, बेचैनी होने पर एंजियोग्राफी कराने वालों में 40 प्रतिशत की आयु 25 से 45 वर्ष
एसएन मेडिकल कालेज की सुपरस्पेशियलिटी विंग में इस वर्ष जनवरी में कैथ लैब शुरू की गई थी। आठ महीने में 560 एंजियोग्राफी की गई, इसमें 25 से 45 आयु के 40 प्रतिशत मरीज हैं। फास्ट फूड के सेवन, नींद पूरी ना होने, कालेस्ट्राल का स्तर बढ़ने और अत्यधिक तनाव से युवाओं की नसों में सूजन आ रही है, अत्यधिक तनाव लेने से ऐसे हार्मोन का स्राव हो रहा है, जिससे ह्रदय को खून की आपूर्ति करने वाली नलिकाओं में ब्लाकेज हो रही है। युवाओं की एंजियोग्राफी में ब्लाकेज बड़े आकार और कई जगह की मिल रही है, इसके लिए एक की जगह तीन तीन स्टेंट डाले जा रहे हैं। हार्ट सर्जरी भी की जा रही है।
नींद पूरी न होने और कालेस्ट्राल का स्तर बढ़ा बढ़ने से हार्ट अटैक
युवा पूरी नींद नहीं ले रहे हैं, रात में मोबाइल पर व्यस्त रहते हैं। नौकरी और परिवार का अत्यधिक तनाव है। घंटों बैठे रहते हैं, फास्ट फूड का सेवन ज्यादा कर रहे हैं इससे कालेस्ट्राल की मात्रा युवाओं में ज्यादा मिल रही है। इस कारण से युवाओं में हृदय रोग और हार्ट अटैक की समस्या तेजी से बढ़ रही है। डॉ. मनीष शर्मा वरिष्ठ ह्रदय रोग विशेषज्ञ
25 की आयु में करनी पड़ रही हार्ट सर्जरी
पांच वर्ष पहले तक 55 वर्ष से अधिक आयु के मरीजों में ब्लाकेज ज्यादा होने पर हार्ट सर्जरी करनी पड़ती थी लेकिन अब 25 वर्ष की आयु के मरीजों की भी हार्ट सर्जरी की जा रही है। अचानक से हार्ट अटैक पड़ने के मामलों में भी युवाओं की संख्या ज्यादा है। डॉ. सुशील सिंघल, कार्डियोथोरेसिक सर्जन, एसएन मेडिकल कॉलेज
45 वर्ष तक की आयु की महिलाओं में पुरुषों से कम हृदय रोग
महिलाओं में मीनोपोज से पहले एस्ट्रोजन हार्मोन का स्राव होता है। इससे के चलते हृदय रोग का खतरा बहुत कम रहता है। इसलिए 45 से कम आयु में पुरुषों की तुलना में महिलाओं में हृदय रोग की समस्या कम हो रही है लेकिन 45 की आयु के बाद महिलाओं में हृदय रोग की समस्या ज्यादा हो रही है। डॉ. बसंत कुमार गुप्ता, अध्यक्ष ह्रदय रोग विभाग एसएन मेडिकल कॉलेज
मधुमेह और मोटापा से भी बढ़ी हृदय रोग की समस्या
बच्चों में मोटापा बढ़ रहा है, इससे कम आयु में मधुमेह और हृदय रोग की समस्या हो रही है। 18 से 20 वर्ष की आयु में भी हार्ट अटैक के साथ मरीज आ रहे हैं। जिन लोगों को मधुमेह की समस्या है और मोटापा है उनमें हृदय रोग और हार्ट अटैक की आशंका बढ़ जाती है। डॉ. अतुल कुलश्रेष्ठ, वरिष्ठ फिजीशियन
युवाओं में हृदय रोग के कारण
अनियमित जीवनशैली: शारीरिक गतिविधियों की कमी, देर रात तक जागना और खराब दिनचर्या, मोटापा
मैदा और चिकनाई युक्त भोजन का सेवन : जंक फूड, उच्च वसा और नमक वाला भोजन, और फास्ट फूड का सेवन
धूमपान और शराब: अत्यधिक शराब का सेवन और तंबाकू हृदय की धमनियों को नुकसान पहुंचाता है,
तनाव: अत्यधिक मानसिक तनाव और अवसाद से ऐसे हार्मोन निकलते हैं जिससे खून की नलिकाओं में थक्का जमने की आशंका बढ़ जाती है।
अनुवांशिक कारण: परिवार में किसी सदस्य को ह्रदय रोग है तो बीमारी का खतरा बढ़ जाता है।
उच्च रक्तचाप और मधुमेह: जिन मरीजों को ये बीमारियां हैं उन्हें हार्ट अटैक का खतरा ज्यादा रहता है।
ह्रदय रोगी
25 से कम आयु 5 प्रतिशत
25 से 45 वर्ष की आयु 40 प्रतिशत
45 से 60 वर्ष की आयु 25 प्रतिशत
60 वर्ष से अधिक आयु 30 प्रतिशत
ये करें
फास्ट फूड से बचें, वजन ज्यादा है तो चिकनाई युक्त भोजन का सेवन ना करें
छह से आठ घंटे की नींद लें
मोबाइल का सीमित इस्तेमाल करें
तनाव मुक्त रहें, योग और मेडिटेशन करें
45 मिनट तेज चलें, एक घंटे आउटडोर गेम खेलें
हार्ट अटैक पड़ने पर ये करें
हार्ट अटैक पड़ने के बाद मरीज होश में है और सांस ले रहा है, तो उसे लिटाने की बजाय सीधा बैठाकर रखें ताकि सांस लेने में आसानी हो। एस्पिरिन (बिना कोटिंग वाली) उपलब्ध है, तो उसे चबाने के लिए दें। इससे खून पतला हो सकता है और हृदय पर दबाव कम हो सकता है। नाइट्रोग्लिसरीन (डाक्टर द्वारा पहले से बताई गई) उपलब्ध है और पीड़ित ने इसे पहले लिया हो, तो एक गोली जीभ के नीचे रख दें। बेहोश है और सांस नहीं ले पा रहा है तो सीपीआर देकर अस्पताल तक ले जा सकते हैं।
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