Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    State Teacher Award 2021: कासगंज की शिक्षिका संतोष को मिलेगा राज्य पुरस्कार, पढ़ें कैसे जिले में बालक- बालिका शिक्षा को बराबरी तक पहुंचाया

    By Tanu GuptaEdited By:
    Updated: Sat, 03 Sep 2022 01:20 PM (IST)

    State Teacher Award 2021 बालिकाओं को बराबरी पर लाईं संतोष। साेरों ब्लाक के प्राथमिक विद्यालय दतावली में विद्यार्थी संख्या सर्वाधिक। स्कूल की सुंदरता पर भी जोर राज्य शिक्षक पुरस्कार के लिए हुआ चयन। स्कूल की रंगाई-पुताई और सफाई के लिए लगाती हैं खुद के भी पास से पैसा।

    Hero Image
    साेरों ब्लाक के प्राथमिक विद्यालय दतावली की प्रधानाध्यपक संतोष।

    आगरा, जागरण टीम। कासगंज में सोरों ब्लाक के गांव दतावली के प्राथमिक विद्यालय की प्रधानाध्यापक संतोष का चयन राज्य शिक्षक पुरस्कार के लिए हुआ है। उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि ब्लाक क्षेत्र के अन्य विद्यालयों की अपेक्षा उनके यहां विद्यार्थियों की संख्या सर्वाधिक होना और इसमें भी बालक-बालिकाओं का अनुपात समान होना है। विद्यालय परिसर की सुंदरता पर भी उनका जोर रहा है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    मूलरूप से कासगंज के सहावर गेट की रहने वाली संतोष का चयन वर्ष 2010 में सहायक अध्यापक के रूप में देवरिया जिले में हुआ था। वर्ष 2012 में उनका स्थानांतरण कासगंज जिले में हुआ और उनको अमरपुर भिवावली के प्राथमिक स्कूल में सहायक अध्यापक के रूप में तैनाती मिली। वर्ष 2017 में वह प्रधानाध्यापक के रूप में प्रोन्नत हुईं और सोरों ब्लाक के गांव दतावली में तैनात हुईं। तब से अब तक वह इसी विद्यालय को संवारने में जुटी हैं। उनका कहना है कि जिस समय वह इस विद्यालय में आई थीं, तब छात्र संख्या सैंकड़ा भी पार नहीं कर रही थी। उन्होंने इसे बढ़ाने के लिए खुद अभिभावकों से संपर्क साधा। इस दौरान उनका इस बात पर भी जोर रहा है कि गांवों की बालिकाएं शिक्षा के वंचित न रहें। इसके लिए वह उन अभिभावकों से मिलीं जो लड़कियों को स्कूल नहीं भेजते थे। उन्हें समझाया और उनकी बच्चियों के नामांकन विद्यालय में कराए। इन्हीं प्रयासों के चलते आज उनके स्कूल में विद्यार्थियों की संख्या 454 पहुंच गई है। सबसे बड़ी बात यह है कि इसमें बालक-बालिकाओं का अनुपात समान है। 227 बालक हैं तो 227 ही बालिका।

    स्कूल की सुंदरता पर भी जोर

    प्रधानाध्यापक संतोष का जोर स्कूल की सुंदरता पर भी रहा है। स्कूल की रंगाई-पुताई और सफाई का वह पूरा ध्यान रखती हैं। इसके लिए शासन से मिली ग्रांट कम पड़ती है तो वह खुद के पास से भी पैसा लगाती हैं। संपन्न अभिभावकों से भी सहयोग लेने में नहीं हिचकतीं, मगर यह कार्य उनसे उनकी ही देखरेख में कराती हैं। हरियाली पर भी उनका जोर रहा है। उन्होंने बार-बार तो स्कूल में पौधारोपण नहीं किया, मगर अपनी तैनाती के दौरान जो पौधे लगाए थे, उन्हें ही देखरेख कर पल्लवित कर लिया है। आज उनमें से कई पौधे पेड़ बनकर छाया दे रहे हैं। चूंकि विद्यालय में पहले एक ही हेंडपंप था, सो बच्चों को दिक्कत होती थी। उन्होंने खुदके और जनसहयोग से दूसरा हेंडपंप भी विद्यालय परिसर में लगवाया है। पानी की एक टंकी भी है, जिसमें बारह टोंटियां लगी हैं। इस टंकी की भी वह अपनी देखरेख में नियमित सफाई कराती हैं। टोंटियां खराब होने पर किसी ग्रांट का इंतजार नहीं करतीं, उसे तत्काल अपने पास से ही बदलवा देती हैं।

    राज्य शिक्षक पुरस्कार के लिए जिले से दस शिक्षकों ने आवेदन किया था। दसों की फाइलें शासन को भेजी गई थीं। इसके बाद इन शिक्षकों का प्रदेश स्तर पर साक्षात्कार हुआ। इनमें सोरों ब्लाक के दतावली गांव के प्राथमिक विद्यालय की प्रधानाध्यापक संतोष का चयन हुआ है। वह विद्यालय की उन्नति के लिए अच्छे प्रयास कर रही हैं।

    -राजीव कुमार, बीएसए