क्या है अजमेर और आगरा का कनेक्शन, सैय्यदना शाह अमीर अबुल उला और ख्वाजा गरीब नवाज के बीच 400 साल पुराना रिश्ता
अजमेर में ख्वाजा मुईनउद्दीन चिश्ती के मुरीद होना चाहते थे सैय्यदना शाह अमीर अबुल उला। ख्वाजा गरीब नवाज के कहने पर आए थे आगरा। हजरत शाह अमीर अब्दुल्ला अहरारी के बने थे मुरीद। ख्वाजा गरीब नवाज के सालाना उर्स पर आगरा में कई शताब्दी से चली आ रही है रवायत।

आगरा, अली अब्बास। अजमेर के ख्वाजा गरीब नवाज के सलाना उर्स पर आगरा में भी सैय्यदना शाह अमीर अबुल उला पर छटी शरीफ (कुल शरीफ फातिहा) का आयोजन किया जाता है। यह परंपरा महीनों या सालों से नहीं बल्कि कई शताब्दी से चली आ रही है। इसका कारण ख्वाजा गरीब नवाज और सैय्यदना शाह अमीर अबुल उला के बीच 400 साल पुराना रिश्ता है। मंगलवार को न्यू आगरा स्थित अबुल उला दरगाह पर ख्वाजा गरीब नवाज के सालाना उर्स मुबारक के मौके पर छटी शरीफ (कुल शरीफ फातिहा) का आयोजन किया गया है।
दरगाह हज़रत सैय्यदना शाह अमीर अबुल उला और अजमेर के ख्वाजा गरीब नवाज के बीच लगभग 400 साल पुराना रिश्ता है। दरगाह के सज्जादानशीन व मुतावल्ली सैय्यद मोहतशिम अली अबुल उलाई के अनुसार रवायत है कि सैय्यदना शाह अमीर अबुल उला अजमेर में गरीब नवाज के मुरीद होना चाहते थे। गरीब नवाज ने उन्हें आगरा में हजरत शाह अमीर अब्दुल्ला अहरारी के पास जाने का हुक्म फरमाया।
जिस पर हज़रत सैय्यदना शाह अमीर अबुल उला ने कहा कि उनसे अजमेर छूट जाएगा। मगर, ख्वाजा गरीब नवाज के कहने यहां आकर वह हजरत शाह अमीर अब्दुल्ला अहरारी के मुरीद हुए। यह दरगाह एत्माद्दौला थाने के पास है। आगरा में रहते हुए उन्होंने हजरत मुईनउद्दीन चिश्ती (ख़्वाजा ग़रीब नवाज़) के सलाना उर्स मुबारक के मौके पर छटी शरीफ (कुल शरीफ फातिहा) कराना शुरू कर दिया।
सज्जादानशीन व मुतावल्ली सैय्यद मोहतशिम अली अबुल उलाई के अनुसार लगभग चार शताब्दी से कुल शरीफ की यह रवायत चली आ रही है। जिसे कायम रखते हुए मंगलवार को सुबह 10:30 बजे दरगाह हज़रत सैय्यदना शाह अमीर अबुल उला पर छटी शरीफ़ (कुल शरीफ़ फातिहा) किया जाएगा। सज्जादानशीन व मुतवल्ली सैय्यद मोहतशिम अली अबुल उलाई, सैय्यद विरासत अली अबुल उलाई, सैय्यद ईशाअत अली अबु उलाई व सैय्यद कैफ अली अबुल उलाई की मौजूदगी में किया गया। सज्जादानशीन ने बताया कि कोविड-19 के चलते लोगों ने फातिहा का एहतमाम अपने घरों पर किया।
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