Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Guru Purnima 2022: इस तरह करें गुरु पूर्णिमा पर अपने गुरु की पूजा, पढ़ें गुरु के दिए मंत्र का क्या होता है महत्व

    By Tanu GuptaEdited By:
    Updated: Tue, 12 Jul 2022 04:15 PM (IST)

    Guru Purnima 2022 13 जुलाई को गुरु पूर्णिमा है और चतुर्मास भी कल से आरम्भ हो जाता है। गुरु पूर्णिमा पर सभी अपने अपने गुरु की पूजा करते हैं। इस दिन वेदव्यास का जन्म हुआ था। चातुर्मास के पहले महीने में हरे पत्तेवाली सब्जी नहीं खानी चाहिए।

    Hero Image
    Guru Purnima 2022: 3 जुलाई को गुरु पूर्णिमा है और चतुर्मास भी कल से आरम्भ हो रहा है।

    आगरा, जागरण संवाददाता। गुरु गोविंद दोऊ खड़े काके लागू पाय बलिहारी गुरु आपकी गोविंद दियो बताए...गुरु पूर्णिमा कल यानी 13 जुलाई को गुरु पूर्णिमा है और चतुर्मास भी कल से आरम्भ हो जाता है। गुरु पूर्णिमा पर सभी अपने अपने गुरु की पूजा करते हैं। इस दिन वेदव्यास का जन्म हुआ था। इस्कॉन मंदिर से जुड़े ज्योतिषशास्त्री पंकज प्रभु के अनुसार व्यास का अर्थ होता है विस्तार करना, जिन्होंने 1 वेद से 3 और वेदों का विस्तार करा वह वेदव्यास कहलाए वास्तव में उनका नाम कृष्ण द्वपायन है सत्यवती जी के पुत्र और भीष्म के बड़े भाई हैं। सांवले होने के कारण वह कृष्ण कहलाए और दो दीप या दो नदियों के बीच मे उनका आश्रम था। इसलिए वह द्वपायन कहलाए गए 18 पुराण 108 उपनिषदों के रचेता भी यही है। महाभारत का कारण भी इन्हें माना जाता है लेकिन महाभारत लिखी थी गणेश जी ने। महाभारत की जो भी घटना है वह वेदव्यास देखते थे और लिखते गणेश जी थे। अभी तक 27 वेदव्यास हो चुके हैं 28 वें वेदव्यास अश्वत्थामा होंगे। कल कई लोग अपने अपने गुरु की पूजा करेंगें क्योंकि उन सभी गुरुओ को वेदव्यास का प्रतिनिधि माना जाता है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    इन चीजों का करें परहेज

    कल से चतुर्मास का पहला महीना है। पहले महीने में हरे पत्तेवाली सब्जी नहीं खानी चाहिए, जैसे हरा साग पालक आदि वस्तु और अपना भजन कीर्तन आदि ज्यादा करना चाहिए।

    पढ़ें क्या है गुरुमंत्र का महत्व

    गुरु जो मंत्र देते हैं हमें वह गुरु मंत्र कहलाता है और शिष्य के लिए वही सर्वोपरि होता है। जिस तरह से अलग- अलग संप्रदाय में अलग-अलग मंत्र दिए जाते हैं। जैसे हरे कृष्णा हरे कृष्णा कृष्णा कृष्णा हरे हरे हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे यह वैष्णव संप्रदाय का मंत्र है। गुरु जो मंत्र देता है वह मंत्र गोली की तरह काम करता है और गुरु एक बंदूक की तरह होते हैं। जिस तरह से अगर आप हाथ से गोली को दीवार में दीवार में मारते हैं तो गोली उतना असर नहीं करती है लेकिन अगर वही गोली आप बंदूक में भर के मारते हैं तो दीवार में छेद हो जाता है या दीवार टूट भी जाती है उसी तरह से गुरु के मुख से निकला वह जो मंत्र है वह गोली की तरह काम करता है जो गुरु के मुख से निकला हुआ मंत्र ही काम करता है। हो सकता है उस मंत्र को आपने कई बार पुस्तकों ग्रंथ में पड़ा हो तो वह मंत्र इतना काम नहीं करेगा जितना कि गुरु मुख से निकला हुआ। वही मंत्र आपके जीवन को बदल देता है और संप्रदाय हीना मंत्र निष्फल मत यह श्लोक पद्म पुराण में शिव जी पार्वती से बोल रहे हैं कि जो संप्रदाय से मंत्र नहीं लेता है। वह मंत्र कुछ भी प्रभाव नहीं डालता है।

    व्यक्ति के जीवन में तो शिवजी कहते हैं। संप्रदाय हीना मंत्र निष्फल मत श्री रुद्र कुमार ब्रह्मा संप्रदाय मंत्र क्षिति इति पावणा यानी कि श्रीमान लक्ष्मी जी का भी संप्रदाय चला आ रहा है। इसमें रामानुजाचार्य यमुना जो चेहरे को श्री रामभद्राचार्य जी वर्तमान समय में है। जय श्री संप्रदाय है यानी लक्ष्मी जी से चला आ रहा है, जिसका दक्षिण भारत में बहुत ज्यादा प्रभाव है दूसरा संप्रदाय रुद्र संप्रदाय है जिसका के वृंदावन में हम कई आचार्यों को देखते हैं तीसरा संप्रदाय है कुमार संप्रदाय ब्रह्मा जी के 4 पुत्र कुमार कहलाते हैं तो इनका संप्रदाय इसका प्रभाव भी वृंदावन ब्रज क्षेत्र में बहुत ज्यादा है। चौथा संप्रदाय है ब्रह्म संप्रदाय ब्रह्मा जी से चला आ रहा है जिसमें कि भगवान कृष्ण ब्रह्मा जी नारद ऋषि इस तरह से करते करते इस संप्रदाय में स्वामी प्रोपा जी भी आए जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय श्री कृष्ण भावना मृत संघ की स्थापना की जिसे हम इस्कॉन के नाम से जानते हैं। यह चार मुख्य संप्रदाय हैं इस संप्रदाय के अंतर्गत कई और संप्रदाय बने जिसमें अलग-अलग आचार्य आए जैसे कि श्री रामानंदाचार्य यह श्री संप्रदाय के ही एक शाखा के आचार्य हैं जिनके शिष्य कबीर हुए और भी कई लोग हुए उसी तरह से क्या है कि जब हम किसी संप्रदाय के आचार्य से मंत्र लेते हैं तो वही मंत्र गुरु मुख्य मंत्र कहलाता है और वही मंत्र हमारा उद्धार करता है। हमारा कल्याण करता है। हमारा मोक्ष प्रदान करता है। इसलिए गुरु के मुख से जो मंत्र मिलता है वह मंत्र ही सर्वोपरि कहा गया है चाहे कोई और संप्रदाय का मंत्र भले ही क्यों ना अच्छा हो परंतु अपने गुरु मुख से या गुरु परंपरा से जो मंत्र मिलता है। वही मंत्र हमें जपना चाहिए इसलिए कहा गया है गुरुमुख पद्म वाक्य चिते ते करिया एक एकया और न करिए मन आशा इसका अर्थ है। गुरु के मुख से निकला हुआ जो मंत्र है वही शिष्य के लिए सर्वोपरि होता है और कोई मंत्र कि हमें आशा नहीं करनी चाहिए तो यही गुरु मंत्र का महत्व है।  

    ज्योतिषशास्त्री पंकज प्रभु

    comedy show banner
    comedy show banner