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Guru Dadaji Maharaj: राधास्वामी मत के गुरु दादाजी महाराज का निधन, अंतिम दर्शन को उमड़े अनुयायी; शोक की लहर

राधास्वामी सत्संग केंद्र हजूरी भवन के अधिष्ठाता दादाजी महाराज प्रो. अगम प्रसाद माथुर ने बुधवार को चोला छोड़ दिया। उनके निधन की सूचना से दुनियाभर के अनुयायियों में शोक की लहर व्याप्त हो गई। पीपल मंडी स्थित हजूरी भवन में राधास्वामी नाम का जाप शुरू कर दिया गया।

By Jagran NewsEdited By: Shivam YadavPublished: Wed, 25 Jan 2023 09:06 PM (IST)Updated: Wed, 25 Jan 2023 09:06 PM (IST)
Guru Dadaji Maharaj: राधास्वामी मत के गुरु दादाजी महाराज का निधन, अंतिम दर्शन को उमड़े अनुयायी; शोक की लहर
उनके निधन की सूचना से दुनियाभर के अनुयायियों में शोक की लहर व्याप्त हो गई।

आगरा, जागरण संवाददाता: राधास्वामी सत्संग केंद्र हजूरी भवन के अधिष्ठाता दादाजी महाराज प्रो. अगम प्रसाद माथुर ने बुधवार को चोला छोड़ दिया। उनके निधन की सूचना से दुनियाभर के अनुयायियों में शोक की लहर व्याप्त हो गई। पीपल मंडी स्थित हजूरी भवन में राधास्वामी नाम का जाप शुरू कर दिया गया। अंतिम दर्शन के लिए हजूरी भवन में अनुयायियों का पहुंचना शुरू हो गया। उनकी अंतिम यात्रा 27 जनवरी को सुबह 10 बजे हजूरी भवन से ताजगंज के लिए प्रस्थान करेगी।

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दादाजी महाराज को बुधवार दोपहर सांस लेने में परेशानी हुई थी। इसके कुछ देर बाद उन्होंने देह त्याग दी। राधास्वामी सत्संग केंद्र हजूरी भवन की कमान दादाजी महाराज ने 29 वर्ष की आयु में वर्ष 1959 में संभाली थी। राधास्वामी मत के आदि केंद्र हजूरी भवन के वह पांचवें गुरु थे। धर्मगुरु के साथ ही उनकी ख्याति शिक्षाविद्, इतिहासवेत्ता, विचारक के रूप में रही। उन्होंने कई पुस्तकें लिखी हैं। 

देशभर में भ्रमण कर उन्होंने राधास्वामी मत के सिद्धांतों से लोगों को अवगत कराया। उनके निधन के बाद राधास्वामी मत के अनुयायियों का पीपल मंडी पहुंचना शुरू हो गया। उनकी आंखों से आंसू बह रहे थे। अनुयायियों ने लाइन में लगकर दादाजी महाराज के अंतिम दर्शन किए। 

राधास्वामी सत्संग केंद्र, हजूरी भवन द्वारा जारी सूचना के अनुसार, दादाजी महाराज की अंतिम यात्रा शुक्रवार को पीपल मंडी से ताजगंज के लिए प्रस्थान करेगी। गुरुवार को अनुयायी उनके अंतिम दर्शन कर सकेंगे।

दो बार रहे कुलपति

अगम प्रसाद माथुर का जन्म 27 जुलाई, 1939 को पीपल मंडी स्थित हजूरी भवन में हुआ था। उन्होंने सेंट जोंस कालेज से शिक्षा ग्रहण की। वर्ष 1952 में उन्होंने आगरा कालेज में अध्यापन शुरू किया। वर्ष 1982 से 1985 तक और 1988 से 1991 तक वह आगरा विश्वविद्यालय (वर्तमान डा. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय) के दो बार कुलपति रहे। वर्ष 1980 में उन्होंने यादगार-ए-सुलह-ए-कुल का आयोजन आगरा किला व फतेहपुर सीकरी में कराया था।

1885 में बना था हजूरी भवन

राधास्वामी मत के दूसरे आचार्य हजूर महाराज ने वर्ष 1885 में पीपल मंडी स्थित अपनी जन्मस्थली के नजदीक तीन टीलों को खरीदकर सात चौक वाला मकान बनवाया था। मत संस्थापक और आचार्य हजूर महाराज की पवित्र कर्मस्थली को राधास्वामी मतावलंबी हजूरी भवन के नाम से पुकारते हैं। 

यहां पर हजूर महाराज, तृतीय आचार्य लालाजी महाराज, चतुर्थ आचार्य कुंवरजी महाराज की पवित्र समाध, उनकी पवित्र लीला स्थली और निज कक्ष, हजूरी रसोई और हजूरी आवास मौजूद हैं। 

हजूरी रसोई में हजूर महाराज ने साधुओं व बाहर से आने वाले अनुयायियों के निशुल्क भोजन व प्रसाद की व्यवस्था की थी। वर्ष 1980 में दादाजी महाराज के निर्देशन में रसोई की चार मंजिला इमारत बनवाई गई थी। रसोई में सुबह व शाम एक हजार से अधिक लोग भोजन करते हैं।


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