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अब घर चलो-यही थे कलम के सिपाही नीरज के आखिरी शब्द

दिल्ली के एम्स में भर्ती गोपालदास नीरज ने शरीर छोड़ने के पहले कुछ कहने के बजाय कागज पर लिखकर बताया था-मैं ठीक हूं, अब घर चलो। आज फिर हालत बिगड़ी तो अंतिम सांस ले ली।

By Nawal MishraEdited By: Published: Thu, 19 Jul 2018 06:00 PM (IST)Updated: Fri, 20 Jul 2018 08:24 AM (IST)
अब घर चलो-यही थे कलम के सिपाही नीरज के आखिरी शब्द
अब घर चलो-यही थे कलम के सिपाही नीरज के आखिरी शब्द

लखनऊ (जेएनएन)। हम तो मस्त फकीर, हमारा कोई नहीं ठिकाना रे। है बहुत अंधियार अब सूरज निकलना चाहिये। और कारवां गुज़र गया। जैसे अमर गीतों से धरा पर अपनी छाप छोड़ने वाले पद्मभूषण कवि गोपालदास नीरज ने आज आखिरी सांस ले ली। नीरज के पुरस्कारों की लंबी फेहरिस्त है। आगरा में उनकी हालत बिगड़ने के कारण बुधवार को एम्स लाया गया था। बढ़ती पीड़ा को देख इस पीड़ा के राजकुमार ने दुनिया को अलविदा कह दिया। उल्लेखनीय है कि नीरज के गीत लोगों के लिए ऑक्सीजन की तरह रहे हैं। यही ऑक्सीजन उनके काम आने पर बुधवार को वह होश में आकर मुस्कुराने लगे थे और कलम के इस सिपाही की कलम के आखिरी शब्द निकले (मैं ठीक हूं, अब घर चलो)। दरअसल, उनके फेफड़ों के संक्रमण को देखते आगे की जांच के लिए उन्हें एम्स दिल्ली के पल्मोनरी डिपार्टमेंट में बुधवार रात भर्ती कराया गया था।

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कवि नीरज एक परिचय

कवि नीरज का जन्म उत्तर प्रदेश के इटावा जिला के गांव पुरावली में 4 जनवरी 1924 को हुआ। उनकी काव्य पुस्तकों में दर्द दिया है, आसावरी, बादलों से सलाम लेता हूँ, गीत जो गाए नहीं, नीरज की पाती, नीरज दोहावली, गीत-अगीत, कारवां गुजर गया, पुष्प पारिजात के, काव्यांजलि, नीरज संचयन, नीरज के संग-कविता के सात रंग, बादर बरस गयो, मुक्तकी, दो गीत, नदी किनारे, लहर पुकारे, प्राण-गीत, फिर दीप जलेगा, तुम्हारे लिये, वंशीवट सूना है और नीरज की गीतिकाएँ शामिल हैं। गोपाल दास नीरज ने कई प्रसिद्ध फ़िल्मों के गीतों की रचना भी की है।

आज गुरुवार को उनकी हालत ठीक नहीं थी। इसके अलावा उन्हें सांस संबंधी दिक्कत थी। उनके फेफड़ों में पस होने और ऑक्सीजन की कमी से दिमाग के डैमेज होने का खतरा होने की आशंका से डॉक्टर भी चिंतित दिख रहे थे। एम्स के डॉक्टरों से ऑनलाइन परामर्श लेने के बाद फेफड़े से पस निकाल दिया था। इसके बाद भी उनके स्वास्थ्य में सुधारने और बिगड़ने का क्रम जारी था।

नीरज के पुत्र के अनुसार वे बुधवार सुबह अपने बेड पर बैठ गए थे। कुछ कहने के बजाय कागज पर लिखकर बताया था-मैं ठीक हूं, अब घर चलो। आज फिर हालत बिगड़ी तो उसके बाद सुधर नहीं सकी और शाम उन्होंने अंतिम सांस ली।

प्रमुख कविता संग्रह

हिन्दी साहित्यकार संदर्भ कोश के अनुसार नीरज की कालक्रमानुसार प्रकाशित कृतियां 

  • संघर्ष (1944)
  • अन्तर्ध्वनि (1946)
  •  विभावरी (1948)
  • प्राणगीत (1951)
  • दर्द दिया है (1956)
  • बादर बरस गयो (1957)
  • मुक्तकी (1958)
  • दो गीत (1958)
  • नीरज की पाती (1958)
  • गीत भी अगीत भी (1959)
  • आसावरी (1963)
  • नदी किनारे (1963)
  • लहर पुकारे (1963)
  • कारवाँ गुजर गया (1964)
  • फिर दीप जलेगा (1970)
  • तुम्हारे लिये (1972)
  • नीरज की गीतिकाएँ (1987)

पुरस्कार एवं सम्मान

  • विश्व उर्दू परिषद् पुरस्कार
  • पद्म श्री सम्मान (1991), भारत सरकार
  • यश भारती एवं एक लाख रुपये का पुरस्कार (1994), उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान
  • पद्म भूषण सम्मान (2007), भारत सरकार 

फिल्म फेयर पुरस्कार

नीरज को फ़िल्म जगत में सर्वश्रेष्ठ गीत लेखन के लिये उन्नीस सौ सत्तर के दशक में लगातार तीन बार यह पुरस्कार दिया गया। उनके द्वारा लिखे गये पुररकृत गीत हैं-

  • 1970: काल का पहिया घूमे रे भइया! (फ़िल्म: चन्दा और बिजली)
  • 1971: बस यही अपराध मैं हर बार करता हूँ (फ़िल्म: पहचान)
  • 1972: ए भाई! ज़रा देख के चलो (फ़िल्म: मेरा नाम जोकर)

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