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    Ghevar Food: दीवाना करती है सीजनल मिठाई, इसके बिना अधूरे हैं सावन के त्योहार, अब इन फ्लेवर में खाइए

    By Abhishek SaxenaEdited By:
    Updated: Sat, 16 Jul 2022 06:17 PM (IST)

    Ghevar Sweets वैसे तो ब्रज की मिठाई के तौर पर जाना जाता है और ब्रज क्षेत्र में ही इसका प्रचलन ज्यादा है। आगरा फीरोजाबाद अलीगढ़ हाथरस और एटा तक घेवर खूब खाया जाता है। गणगौर के पर्व पर राजस्थान में घेवर खूब पसंद किया जाता है।

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    Ghevar Sweets सावन के महीने में घेवर की बिक्री होती है। Jagran

    आगरा, जागरण टीम। सावन के महीने में बारिश झूले और मिट्टी की सोंधी खुशबू ही नहीं घेवर की मिठास की बेहद खास होती है। साल के सिर्फ दो महीनों में मिलने वाली है खास मिठाई लोगों के लिए बेहद खास है। बाजार में इसकी रंगत छाने लगी है।

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    मूल रूप से राजस्थान की है मिठाई

    जयपुर में तो यह कई महीनों तक मिल सकता है, लेकिन ब्रज में यह मिठाई सीजनल ज्यादा है। शादी-ब्याह में तो घेवर आम बात है, लेकिन दुकानों पर यह केवल आषाढ़-सावन में ही मिलता है। घेवर की मिठाई आगरा में आषाढ़ और सावन के महीने में ही बनती और मिलती है। इसकी कई वैरायटी उपलब्ध हैं, यह एक से पांच नंबर तक के साइज में पनीर, सादा, मलाई, केसर, ड्राई फ्रूट, चॉकलेट समेत करीब 10 फ्लेवर में उपलब्ध है।

    आगरा में शाह टॉकीज के पीछे राजभोग रसायन के विक्रेता उद्देश्य बताते हैं कि घेवर 1 से 5 साइज में उपलब्ध है। रक्षाबंधन पर इसकी सबसे ज्यादा बिक्री होती है और एक दिन में एक-एक दुकान से डेढ़ सौ से 200 किलो घेवर बिकता है।

    इसलिए है खास मिठाई

    विक्रेता राजेंद्र कुमार बताते हैं कि घेवर मूल रूप से राजस्थानी मिठाई है। वहां यह 12 महीने उपलब्ध रहती है। लेकिन आगरा में यह दो ही महीने खाए जाता है। इसका कारण यहां का आद्रता भरा मौसम है। उमस भरे मौसम में घेवर हल्का कुरकुरा मुलायम होता है, जो मुंह में जाते ही घुल जाता है।

    इन चीजों से बनाते हैं घेवर

    घेवर बनाने में जितने कम सामान का इस्तेमाल होता है, इसे बनाना उतना ही कठिन है। इसकी एक विशेष तकनीक होती है जो इसके स्वाद को और बढ़ा देती है। घेवर में घी, मैदा शक्कर और दूध इन चारों चीजों का इस्तेमाल होता है। गरम घी में इस तरह से तैयार किया जाता है कि इसका आकार मधुमक्खी के छत्ते की तरह हो जाता है। चासनी में डालने के बाद बड़े चाव से परोसा जाता है।

    ये है पुराने दुकानदार

    मिठाई के पुराने विक्रेता हीरालाल, भगत, दाऊजी, मोर मुकुट, अग्रसेन, देवीराम आदि के यहां घेवर की सबसे ज्यादा मांग रहती है। हालांकि छोटे हलवाइयों के यहां भी इसे तैयार किया जाता है।

    घेवर खरीदें पर सावधानी से

    • अच्छी क्वालिटी का घेवर करीब आठ घंटे तक स्वादिष्ट बना रह सकता है। हालांकि फ्रिज में यह 24 घंटे रखा रह सकता है।
    • घेवर हमेशा प्रतिष्ठित दुकानों से ही लें, क्योंकि उनके यहां यह बनने के साथ ही बिकता रहता है और ताजा मिल सकता है।
    • मलाई का घेवर खरीदने में देख लें कि बदबू तो नहीं अा रही है अथवा फफूंद तो नहीं पड़ गई।
    • फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन विभाग द्वारा मिलावटखोरी के खिलाफ छापामारी न करने से मिलावट व अपमिश्रित और बासी घेवर बेचे जाने की आशंका बनी हुई है।

    शुगर फ्री घेवर भी इस बार खूब पसंद किया जा रहा है। इस बार शुगर फ्री घेवर की माग अच्छी है। साल में कुछ दिनों ही बिकने वाली इस मिठाई को खाने का शौक सभी को रहता है। डायबिटीज मरीज भी घेवर खाने से खुद को नहीं रोक पाते। उनके लिए शुगर फ्री घेवर खूब बिक रहा है।

    25 फीसदी तक बिक्री बढ़ रही हर साल शुगर फ्री घेवर की

    • 40 फीसदी तक लोग फीका घेवर लेकर जा रहे दुकानों से
    • 800 रुपए प्रति किलो तक का घेवर मौजूद है बाजार में ये हैं कीमतें
    • वनस्पति घी से बने घेवर की बिक्री 200 से 250 रुपये किलो।
    • देशी घी से निर्मित घेवर की बिक्री 400 से 600 रुपये किलो।
    • ड्राईफ्रूट घेवर 700 से 800 रुपये प्रति किलो ड्राई फ्रूट की मिठाइयां 

    एक अनुमान के मुताबिक शहर में आषाढ़ और सावन के महीने में ज्यादा की बिक्री होती है। सावन में पढ़ने वाली हरियाली तीज और रक्षाबंधन पर पूजा की थाली का हिस्सा होता है घेवर। वहीं सुहागिनों के किए जाने वाले बायने का हिस्सा भी घेवर होता है। वहीं रक्षाबंधन पर भाई को तिलक करने वाली बहन घेवर को अपने साथ अनिवार्य रूप से ले जाती हैं।

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