Gangster Surrender: खाकी की यारी के सहारे पुलिस की आंखों में धूल झौंक समर्पण को पहुंचा गैंगस्टर
Gangster Surrender पुलिस दबिश देती रह गई गैंगस्टर मोनू यादव का अदालत में समर्पण। एत्माद्दौला थाने में तीन दिन पहले ही दर्ज हुआ है गैंगस्टर का मुकदमा।
आगरा, जागरण संवाददाता। हिस्ट्रीशीटर और गैंगस्टर मोनू यादव की तलाश में पुलिस दबिश दे रही थी। मगर, वह पुलिस को चकमा देता रहा। शुक्रवार को उसने पुलिस की आंखों में धूल झोंककर अदालत में समर्पण कर दिया। उसकी पुलिससकर्मियों से यारी इस बार भी काम आई।
एत्माद्दौला के नगला रामबल निवासी हिस्ट्रीशीटर मोनू यादव के खिलाफ करीब 22 से अधिक मुकदमे हैं। मगर, उसके खिलाफ अभी तक गैंगस्टर एक्ट की कार्रवाई नहीं हुई थी। कानपुर में विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद यहां भी पुलिस हरकत में आई। मोनू यादव के खिलाफ एक सप्ताह में एत्माद्दौला थाने में चौथ वसूली के दो मुकदमे दर्ज हुए। इसके बाद 14 जुलाई को पुलिस ने उसके खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया। इसमें उसका भाई सोनू यादव और साथी आशीष चौधरी भी शामिल है। क्राइम ब्रांच टीम और थाना पुलिस उसकी तलाश में लगी थीं। मगर, वह शहर और राज्य बदलता रहा। शुक्रवार को सुबह नौ बजे ही वह दीवानी में पहुंच गया। इसके बाद उसने कोर्ट में एत्माद्दौला थाने में दर्ज चौथ वसूली के मुकदमे में समर्पण कर दिया। पुलिस को जब तक भनक लगी तब तक वह न्यायिक हिरासत में जेल जा चुका था।
एक दर्जन पुलिसकर्मियों से है यारी
गैंगस्टर मोनू यादव की जिले के एक दर्जन पुलिसकर्मियों से यारी है। वह इन पर मोटा खर्च करता है। उसके लिए वे अपने विभाग से भी विश्वासघात करते हैं। पुलिस दबिश और अधिकारियों की सख्ती या नरमी की वे समय-समय पर जानकारी देते रहते हैं। इसके बाद ही गैगस्टर आगे की रणनीति बनाता है। कई पुलिसकर्मी तो उसके साथ जमीनों के कब्जे में भी शामिल रहे हैं। इनमें से कुछ एत्माद्दौला थाने में तैनात रह चुके हैं तो कुछ अलग विंग में तैनात हैं।
पेशेवरो के संपर्क में
एत्माद्दौला का हिस्ट्रीशीटर मोनू हरेंद्र राणा, वीनेश और बमरौली अहीर के लाखन जैसे पेशेवर बदमाशों के संपर्क में भी है। पिछले दिनों मलपुरा के धनौली में राजेश उर्फ राजे की हत्या के मामले में जेल गए जीते की लोकेशन रामबाग क्षेत्र में मिली थी। तब पुलिस को जानकारी मिली थी कि वह मोनू यादव के यहां शरण लिए है। पुलिस ने दबिश दी तो मोनू यादव घर से फरार मिला। तभी से पुलिस उसके पीछे लगी थी।
केवल एक बार गिरफ्तार कर सकी है पुलिस
हिस्ट्रीशीटर मोनू यादव बेहद शातिर है। उसके खिलाफ 22 से अधिक मुकदमे हैं। जिनमें से एक लूट के दौरान हत्या व अन्य मारपीट, जानलेवा हमले और चौथ वसूली के हैं। वह पुलिस की सख्ती देखते ही कोर्ट में समर्पण कर देता है। कई बार तो वह जमानत तुड़वाकर जेल में गया। 12 जून 2018 को उसे तत्कालीन इंस्पेक्टर एत्माद्दौला कमलेश सिंह ने उसे गिरफ्तार कर जेल भेजा था। उसके साथी आशीष चौधरी को भी उन्होंने जेल भेजा।
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