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Ganga Dussehra 2020: दशहरा पर दस चीजों के दान से मिलतेे हैंं दस गुणा फल, पढ़ें इसका रहस्‍य

Ganga Dussehra 2020 1 जून को गंगा दशहरा है। इस दिन गंगा नदी में स्नान-ध्यान करने से व्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति मिलती है।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Fri, 29 May 2020 06:05 PM (IST)Updated: Sat, 30 May 2020 09:29 AM (IST)
Ganga Dussehra 2020: दशहरा पर दस चीजों के दान से मिलतेे हैंं दस गुणा फल, पढ़ें इसका रहस्‍य
Ganga Dussehra 2020: दशहरा पर दस चीजों के दान से मिलतेे हैंं दस गुणा फल, पढ़ें इसका रहस्‍य

​​​​​आगरा, जागरण संवाददाता। हिंदी पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह में शुक्ल पक्ष की दशमी को गंगा दशहरा मनाया जाता है। इस साल 1 जून को गंगा दशहरा है। इस दिन गंगा नदी में स्नान-ध्यान करने से व्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति मिलती है। इस दिन दान का भी अति विशेष महत्व है। ज्‍योतिषाचार्य डॉ शोनू मेहरोत्रा के अनुसार धार्मिक मान्यता है कि गंगा नाम के स्मरण मात्र से व्यक्ति के पाप मिट जाते हैं। हिन्दू धर्म में इस नदी को सबसे पवित्र नदी माना गया है। अतः इन्हें मां कहकर पुकारा जाता है। कोरोना महामारी के दौर में गंगा स्‍नान संभव नहीं है तो दान से इस पर्व पर पुण्‍य अर्जित कर सकते हैं। डॉ शोनू के अनुसार गंगा दशहरा के दिन किसी भी नदी में स्नान करके दान और तर्पण करने से मनुष्य जाने- अनजाने में किए गए कम से कम दस पापों से मुक्त होता है। इन दस पापों के हरण होने से ही इस तिथि का नाम गंगा दशहरा पड़ा है। गंगा दशहरा के दिन दान-पुण्य का विशेष महत्त्व है। इस दिन दान में सत्तू, मटका और हाथ का पंखा दान करने से दुगुना फल प्राप्त होता है। गंगा दशहरा के दिन श्रद्धालु जन जिस भी वस्तु का दान करें उनकी संख्या दस होनी चाहिए और जिस वस्तु से भी पूजन करें, उनकी संख्या भी दस ही होनी चाहिए। ऐसा करने से शुभ फलों में और अधिक वृद्धि होती है।

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ये है पूजन विधि

गंगा दशहरा के दिन गंगा में स्नान, ध्यान तथा दान करना चाहिए। गंगा स्त्रोत पढ़ना चाहिए। इससे दस तरह के पाप नष्ट होते हैं। गंगा पूजा में सभी वस्तुएं दस प्रकार की होनी चाहिए, जैसे- दस प्रकार के फूल, दस गंध, दस दीपक, दस प्रकार के नैवेद्य, दस पान के पत्ते, दस प्रकार के फल आदि, छाता, सूती वस्त्र, टोपी-अंगोछा, जूते-चप्पल आदि दान में देने चाहिए। इस दिन नहाते समय गंगा मैया का इस प्रकार ध्यान करें- गंगे च यमुने चैव गोदावरि सरस्वति। नर्मदे सिन्धु कावेरि जलेस्मिन सन्निधिं कुरु॥' प्रयाग, गढ़मुक्तेश्वर, हरिद्वार, ऋषिकेश और वाराणसी में श्रद्धालु भारी संख्या में गंगा स्नान का पुण्य कमाते हैं।


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