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    आगरा में बाबरी मस्जिद, जहां पढ़ी गई थी बाबर के जनाजे की नमाज Agra News

    By Tanu GuptaEdited By:
    Updated: Sun, 03 Nov 2019 09:32 PM (IST)

    एत्माद्दौला क्षेत्र में चारबाग के पास बनवाई थी बाबर ने। बाबर की मृत्यु के बाद छह माह तक चारबाग में रखा रहा था शव।

    आगरा में बाबरी मस्जिद, जहां पढ़ी गई थी बाबर के जनाजे की नमाज Agra News

    आगरा, ऋषि दीक्षित। अयोध्या में विवादित बाबरी मस्जिद के अस्तित्व और इतिहास पर सवाल उठाकर दुनियाभर में हंगामा होता रहा और आगरा की बाबरी मस्जिद अपनी बदहाली पर आंसू बहाती रही। यह विडंबना आज भी कायम है। इस मस्जिद को बाबर ने 1528 में बनवाया था। खास बात ये है कि 26 दिसंबर, 1530 को आगरा में बाबर की मृत्यु के बाद उसके जनाजे की नमाज भी इसी मस्जिद में पढ़ी गई थी। मस्जिद के सामने ही चारबाग में छह माह तक बाबर का शव रखा रहा, जिसे बाद में काबुल ले जाकर दफनाया गया।

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    बाबर पहली बार 10 मई, 1526 को आगरा आया था। इससे पहले उसके छोटे बेटे हुमायूं ने आगरा किले को कब्जे में ले लिया और उसका खजाना लूट लिया था। हुमायूं ने सुरक्षा की दृष्टि से यमुनापार पूर्वी क्षेत्र में डेरा डाला था। आज यह इलाका एत्माद्दौला कहलाता है। यहां बाबर ने आरामबाग (रामबाग) और चार बाग का निर्माण कराया। चारबाग के सामने ही उसने 1528 में बाबरी मस्जिद तामीर कराई थी, जिसमें आज भी विधिवत पांचों पहर की नमाज पढ़ी जाती है।

    बाबर के समय चारबाग पॉश इलाका था, लेकिन अब यह मलिन बस्ती में तब्दील हो गया है। यहां ऐतिहासिक बाबरी मस्जिद और चारबाग के आसपास की जमीनों पर माफिया ने कब्जा कर लिया है। अवैध बस्तियां भी बस गई हैं। चारबाग जहां बाबर का छह माह तक शव रखा रहा था, वह स्थान भारतीय पुरातत्व विभाग की देखरेख में है, लेकिन यह भी उपेक्षा की कहानी बयां कर रहा है। बाबरी मस्जिद के इमाम हाफिज मोहम्मद हारून के अनुसार मस्जिद में नमाज तो पांचों वक्त की पढ़ी जाती है, लेकिन जुमे की नमाज के दिन ही ज्यादा नमाजी आते हैं। उस दिन यहां नमाजियों की संख्या 600 पार कर जाती है। मोहम्मद हारून के अनुसार उनकी तीसरी पीढ़ी बाबरी मस्जिद में सेवा कर रही है। यहां नई पीढ़ी को तालीम भी दी जा रही है। यह आगरा की सबसे पुरानी मस्जिद है। इससे पहले आगरा में इस्लाम के अनुयायी नहीं थे और न ही कहीं कोई मस्जिद थी। सबसे पहले बाबर ने ही मस्जिद का निर्माण कराया था, लेकिन आज बहुत कम लोग ही इस ऐतिहासिक बाबरी मस्जिद के बारे में जानते हैं।

    चारबाग में थे बड़ी संख्या में पेड़

    चारबाग भी आरामबाग (रामबाग) की तरह आबाद था, यहां बड़ी संख्या में पेड़ पौधे थे। यह सुरम्य स्थान था, लेकिन आज यह इलाका वीरान हो गया है। बाग उजड़ चुका है, बचा है तो कुछ पक्का निर्माण, जिसमें बाबर का शव रखा गया था। चारों तरफ की जमीन पर कब्जा कर अवैध निर्माण कर लिया गया है। इस संबंध में मस्जिद से जुड़े कुछ लोगों ने जिला प्रशासन को भी अवगत कराया था, लेकिन कुछ लोगों की मिलीभगत के चलते इसे रोका नहीं जा सका।

    इबादत का समय

    फजर 6.00 बजे

    जोहर 1.30 बजे

    असर 4.30 बजे

    मगरिब 5.43 बजे

    इशा 7.30 बजे

    जुमा 1.30 बजे

    तुलु आफताब 6.23 बजे

    गुरुब आफताब 5.41 बजे

    क्‍या कहते हैं स्‍थानीय लोग

    हमारी तीसरी पीढ़ी मस्जिद में इबादत करा रही है। यहां आसपास के लोग ही नमाज पढऩे आते हैं। जुमे के दिन इनकी संख्या बढ़ जाती है। यह आगरा की सबसे पुरानी मस्जिद है। बाबर ने इसे स्वयं बनवाया था। यहीं पर उसके जनाजे की नमाज पढ़ी गई थी। उसका शव भी सामने स्थित चारबाग में बहुत दिनों तक रखा रहा था। बाद में उसे काबुल भेजा गया।

    -हाफिज मोहम्मद हारून (इमाम), बाबरी मस्जिद, आगरा

    यह बहुत पुराना इबादत स्थल है। बताया जाता है कि इस मस्जिद को स्वयं बाबर ने बनवाया था। हम बचपन से यहां इबादत के लिए आते हैं। पांचों वक्त की यहां नमाज पढ़ी जाती है। यहां पर नई पीढ़ी के बच्चों को तालीम भी दी जाती है।

    -गुल्लो (अकीदतमंद)

    मस्जिद और चारबाग की जमीन पर माफिया कब्जा करने में लगे हुए हैं। इसकी पूरी पैमाइश होनी चाहिए और जो जमीन घेरी गई है, उसको कब्जा मुक्त कराना चाहिए। इसके लिए प्रशासन से कई बार गुहार लगा चुके हैं, लेकिन कोई ध्यान नहीं देता है।

    -सुल्तान (समाजसेवी) 

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