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    IMA POP: आईएमए के मेस संचालक से अब सैन्य अधिकारी...देशभक्ति का जज्बा पिता से सीखा, ऐसी है रमन सक्सेना की कहानी

    रमन सक्सेना ने दृढ़ इच्छाशक्ति और कड़ी मेहनत से आईएमए से पास आउट होकर सैन्य अधिकारी बनने का सपना पूरा किया। पांच सितारा होटल की नौकरी छोड़कर सेना में भर्ती हुए रमन ने आईएमए की मेस में तैनाती के दौरान कैडेट्स के अनुशासन और शालीनता से प्रेरित होकर अधिकारी बनने का फैसला किया। दो बार असफलता के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और तीसरे प्रयास में सफलता हासिल की।

    By Jagran News Edited By: Abhishek Saxena Updated: Sun, 15 Dec 2024 09:00 AM (IST)
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    आइएमए की पीपिंग सैरेमनी के बाद हवा में उछलकर खुशी मनाते जाहिर करते नवनियुक्त सैन्य अधिकारी। जागरण

    जेएनएन, आगरा। दृढ़ इच्छाशक्ति और समर्पण के साथ कड़ी मेहनत की जाए तो सफलता की सीढ़ियां चढ़ने से कोई नहीं रोक सकता। इंडियन मिलिट्री एकेडमी (आईएमए) से पास आउट होकर सैन्य अधिकारी बने आगरा निवासी रमन सक्सेना की कहानी कुछ ऐसी ही है।

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    आईएमए की मेस का संचालन करते हुए वह जेंटलमैन कैडेट से इस कदर प्रेरित हुए कि सैन्य अफसर बनने की ठान ली। इसके लिए उन्होंने लगातार मेहनत की और अब अधिकारी बनकर भारतीय सेना का हिस्सा बन गए हैं। उनके पिता भी सेना में कैप्टन पद से सेवानिवृत्त हैं।

    2007 में लिया था होटल मैनेजमेंट में दाखिला

    आगरा के फतेहाबाद, शमसाबाद रोड निवासी रमन सक्सेना ने बताया कि उन्होंने वर्ष 2007 में होटल मैनेजमेंट में दाखिला लिया था। यह कोर्स पूरा करने के बाद वह एक पांच सितारा होटल में नौकरी करने लगे। चूंकि, पिता उमेश सक्सेना सेना में थे, इसलिए बेटे के दिल में भी देश सेवा का जज्बा भरा हुआ था। इसलिए पांच सितारा होटल की नौकरी में रमन का मन नहीं रमा और उन्होंने सेना में जाने की तैयारी शुरू कर दी।

    आईएमए की पीपिंग सेरेमनी में सैन्य अधिकारी बने आगरा निवासी रमन सक्सेना l जागरण

    वर्ष 2014 में कैटरिंग जेसीओ के पद पर हुए थे सेना में भर्ती

    वर्ष 2014 में वह आर्मी सर्विस कोर के तहत कैटरिंग जेसीओ के पद पर सेना में भर्ती हो गए। पाक कला में उनकी विशेषज्ञता को देखते हुए देहरादून स्थित आईएमए की मेस में तैनाती मिली। यहां जेंटलमैन कैडेट और सेना के अधिकारियों की शालीनता व अनुशासन देखकर उन्होंने भी अधिकारी बनने की ठान ली।

    नौकरी के साथ की कड़ी मेहनत, तीसरे प्रयास में मिली सफलता

    इसके लिए उन्होंने नौकरी के साथ कड़ी मेहनत की। सेना के अधिकारियों से भी मार्गदर्शन और प्रेरणा मिली। दो बार एसएसबी इंटरव्यू में असफलता के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी। तीसरे प्रयास में उन्हें सफलता मिली और सैन्य अधिकारी बनने के दरवाजे उनके लिए खुल गए।

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    सैन्य अधिकारी बनने के लिए शिद्दत से जुटे थे रमन सक्सेना

    रमन बताते हैं कि आईएमए देहरादून में उन्होंने वर्ष 2017 तक सेवा दी। इसके बाद पुणे और फिर दिल्ली भेज दिया गया। वहां भी वह सैन्य अधिकारी बनने की तैयारी में शिद्दत से जुटे रहे। उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय पिता, आईएमए के पूर्व कैडेट और सैन्य अधिकारियों को दिया। उनके पिता वर्ष 2012 में सेवानिवृत्त हुए थे।