मां की बरसी पर पूरा हुआ वर्दी पहनने का सपना, परिवार और चार गांवों में पहली महिला उप निरीक्षक बनीं ये बेटियां
Agra News उप निरीक्षक सीधी भर्ती में आगरा की बेटियों ने बाजी मारी। ग्रामीण परिवेश में पली-बढ़ी बेटियां जब दारोगा बनीं तो परिवार में खुशी का माहौल है। आगरा के गांवों से दारोगा बनीं बेटियाें ने कड़ी मेहनत कर सफलता पाई।

आगरा, जागरण संवाददाता। चार बेटियों ने उप निरीक्षक सीधी भर्ती में चयनित होकर सिर्फ परिवार के साथ गांव की नाम भी रोशन किया। चारों बेटियां गांव अकोला, धनौली, नगला बसुआ और नगला बीच की पहली महिला उप निरीक्षक हैं। उनके पिता किसान, व्यापारी और होमगार्ड हैं।
साड़ी का काम करते हैं पिता
गांव धनौली मलपुरा निवासी 23 वर्षीय शीबा बताती हैं उनकी सफलता के पीछे पिता शशी कुमार की मेहनत है। वह सुबह चार बजे उनके साथ उठकर तीन से चार किलोमीटर रोज दौड़ लगाते थे। पिता साड़ी का काम है। वह केरल के मूल निवासी हैं। उनकी मां श्यामवती की 15 अप्रैल 2021 को मौत हो गई। पिता ने उनका हौसला नहीं टूटने दिया। वह कहती हैं कि मां की बरसी पर 15 अप्रैल 2022 को उनका परीक्षा परिणाम आया। वह जीवित नहीं हैं, लेकिन उनकी बरसी पर बेटी को वर्दी पहनने का सपना पूरा हो गया।
परिवार और गांव में कोई लड़की पुलिस में दरोगा नहीं
अकोला निवासी नेहा चाहर के पिता पीतम सिंह किसान हैं। नेहा बताती हैं कि उनके परिवार और गांव में कोई लड़की पुलिस में दारोगा नहीं है। जिसके चलते माता-पिता चाहते थे कि वह इस मिथक को तोड़ें। उन्होंने प्रयास किया और सफलता पाई। गांव नगला बसुआ मलपुरा निवासी पीयूषी के पिता सुरेंद्र पाल सिंह होमगार्ड हैं।उनके मामा मुख्य आरक्षी हैं। पीयूषी ने बताया कि पिता चाहते थे कि वह दारोगा बनें। पिता का सपना पूरा करने के लिए वह दो वर्ष से मेहनत कर रही थीं। सफलता उनके हाथ लग ही गई।
किसान हैं मनीषा चाहर के पिता
गांव नगला बीच मलपुरा निवासी मनीषा चाहर के पिता आजाद सिंह किसान हैं। मनीषा पुलिस विभाग में वर्ष 2020 में आरक्षी के रूप में भर्ती हुईं। पिता चाहते थे कि वह गांव की पहली महिला दारोगा बनें। वर्ष 2021 में दारोगा भर्ती की परीक्षा दी और सफल रहीं। शादी के बाद भी पूरा किया दारोगा बनने का सपना लगन सच्ची है तो सपने भी सच होते हैं। गांव जारुआ कटरा मलपुरा निवासी वर्षा रानी कुशवाह और सिकंदरा निवासी करुणा ने इसे साबित किया। वर्षा रानी की शादी एक वर्ष पहले हुई है। वह करीब तीन वर्ष से पुलिस भर्ती की तैयारी कर रही थीं। पिता बिजेंद्र सिंह और शादी के बाद पति गोविंद ने उनका हौसला बरकरा रखा। जिसके चलते वह सफल हो सकीं। सिकंदरा निवासी करुणा भी तीन वर्ष से पुलिस भर्ती की तैयारी कर रही थीं। शादी के बाद पति अमित कुमार ने प्रेरित किया। वह शिक्षक हैं।
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पहले प्रयास में मिली सफलता
रिजावली फिरोजाबाद की रहने वाली प्रिया सिंह के पिता शीलेंद्र सिंह की सड़क दुर्घटना में मौत हाे गई। वह पुलिस में थे। प्रिया उस समय पांच वर्ष की थीं। बचपन में पिता को वर्दी में देखा था।अपने पहले ही प्रयास में सफल होकर वह उन्होंने पिता का सपना पूरा किया। वहीं अंसल टाउन शमसाबाद रोड आगरा निवासी शालिनी यादव के पिता गोविंद यादव के पिता भी उप निरीक्षक हैं। प्रयागराज में तैनात हैं। शालिनी भी पहले प्रयास में सफल रहीं। द्वारिका कालोनी टूंडला की रहने वाली साधना यादव के पिता बलवीर रेलवे में लोको पायलट हैं। परिवार में कोई पुलिस में नहीं है। पिता चाहते थे कि वह पुलिस की वर्दी पहनें। वह पहले प्रयास में सफल रहीं।
सुहाग नगर दक्षिण फिरोजाबाद निवासी दीपिका पुत्री तेजेंद्र यादव भी पहले प्रयास में सफल रहीं। वह इससे पहले दो अन्य विभाग केंद्रीय लोक निर्माण विभाग और सीबीआइ में लिपिक के रूप में चयनित हो चुकी हैं।
पांच थानों के 45 युवा बने दारोगा
उप निरीक्षक की सीधी भर्ती में ग्रामीण क्षेत्र के पांच थानों में बाजी ने मारी। जिले में कुल 285 दारोगा भर्ती में चयनित हुए।जिसमें पश्चिमी जोन के 144 हैं। जिसमें इरादत नगर, कागारौल, खेरागढ़, जगनेर, सैंया मलपुरा से 45 लोग दारोगा बने हैं।
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