Famous Temples In Agra दक्षिण भारतीय शैली का एक मंदिर जहां विराजते हैं भगवान गणेश, पद्मश्री पेरूमल सत्यपति ने बनाई प्रतिमा
Famous Temples In Agraदेवों में प्रथम पूज्य गणेशजी की पूजा के बिना कोई कार्य शुरू नहीं होता है। भगवान गणेश कई रूप में विभिन्न शहरों में स्थापित हैं। आगरा में वरद वल्लभा के स्वरूप में श्रीगणेश स्थापित हैं। गणेश की पूजा होती है वो दक्षिण भारतीय शैली में बना है।

आगरा, जागरण टीम। आगरा में दक्षिण भारतीय शैली में विघ्न विनाशक भगवान गणेश का अष्टकोणीय मंदिर 12 वर्षों की अथक साधना के बाद बना है। ये मंदिर आगरा कानपुर हाईवे पर छलेसर में बनाया गया है। दक्षिण भारतीय शैली में गणेश जी का मंदिर का निर्माण हुआ है। इस मंदिर में स्थापित प्रतिभा को पद्मश्री पेरूमल सत्पति ने बनाया है। वरद वल्लभा गणपति की प्रतिमा बनाने में ही एक वर्ष का लंबा समय लगा है।
ब्लू ग्रेनाइट से बनी प्रतिमा
छलेसर में मंदिर में पद्मश्री पेरूमल सत्पति द्वारा एक वर्ष में बनाई गई वरद वल्लभा गणपति की प्रतिमा स्थापित है। एनआरएल ग्रुप के चेयरमैन हरिमोहन गर्ग ने बताया कि पद्मश्री पेरूमल सत्पति ने ब्लू ग्रेनाइट के एक पत्थर को एक वर्ष तक अनवरत तराश कर वरद वल्लभा गणपति की प्रतिमा को आकार दिया है। प्रतिमा चार फुट ऊंची है और इसका वजन करीब तीन टन है। इसे क्रेन से उठाकर मंदिर में स्थापित किया गया।
मंदिर के शिखर के कलश पर मोर पंख लगाया है। वरद वल्लभा गणपति मंदिर के शिखर पर स्थापित कलश का कुंभाभिषेकम हुआ था और ध्वज पताका फहराई गई। प्राण प्रतिष्ठा समारोह में यज्ञशाला पूजा, महापूर्ण आहुति और स्पर्श आहुति के बाद नाड़ी संतानम क्रिया द्वारा यज्ञशाला में भगवान गणेश के सिर से पैर तक पूरे शरीर को जीवन प्रदान किया गया था।
प्रतिमा की खासियत
- 10 फुट ऊंचे और आठ फुट चौड़े सिंहासन पर भगवान गणपति की प्रतिमा विराजमान है।
- प्रतिमा चार फुट ऊंची है और इसका वजन करीब तीन टन है।
मंदिर का समय
वरद वल्लभा मंदिर में सुबह सात से 11 और शाम को पांच से रात 8:30 बजे तक प्रतिदिन भक्त भगवान के दर्शन कर सकेंगे। रात्रि के समय मंदिर की लाइटिंग सभी को अपनी ओर आकर्षित करती है।
ऐसे पहुंचे
वरद वल्लभा मंदिर पहुंचने के कई रास्ते हैं। शहर से ये मंदिर आगरा-फिरोजाबाद हाईवे पर स्थित है। भगवान टाकीज से करीब सात किलोमीटर दूर ये मंदिर छलेसर में बना है। यमुना एक्सप्रेस के छलेसर कट से महज चंद कदमों की दूरी ये मंदिर स्थापित है।
आगरा से फिरोजाबाद की तरफ जाने वाले संसाधनों से मंदिर पहुंचा जा सकता है। आटो, टैक्सी या जेनर्म की बसों से भी यहां पहुंचने की सुविधा है।
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