CJI की कोर्ट में है सुनवाई! आगरा के रिटायर्ड रेलवे कर्मी को डिजिटल अरेस्ट कर 28 लाख ठगे
मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई की अदालत में एक चौंकाने वाली घटना हुई। एक सेवानिवृत्त रेलवे कर्मचारी को फर्जी डिजिटल सुनवाई के माध्यम से डिजिटल रूप से गिरफ्तार किया गया। धोखेबाजों ने इस तरीके से उससे 28 लाख रुपये ठग लिए। यह घटना डिजिटल अपराधों के बढ़ते खतरे को दर्शाती है।

प्रस्तुतीकरण के लिए सांकेतिक तस्वीर का प्रयोग किया गया है।
जागरण संवाददाता, आगरा। हेलो! तुम्हारे नाम से मुंबई में खरीदी सिम से अवैध विज्ञापन और संदेश भेज लोगों का उत्पीड़न किया जा रहा है। बैंक में खाता खोलकर काले धन का लेन देन किया जा रहा है। तुम्हारे मामले की सुनवाई जस्टिस बी.आर गवई की कोर्ट में वर्चुअल होगी।
देश की सुरक्षा से जुड़ा मामला है,किसी को बताया तो उसकी हत्या तक हो सकती है...... इसी तरह डराते हुए खुद को आईपीएस अधिकारी बताकर साइबर अपराधियों ने रेलवे के रिटायर्ड कर्मचारी को सात दिन डिजिटल अरेस्ट रखा। उसको डरा कर खाते से 28 लाख रुपये निकलवा लिए। सही समय पर समाचार पत्र में डिजिटल अरेस्ट की खबर पढ़ने के बाद बुजुर्ग को ठगी का अहसास हुआ और पुलिस से शिकायत की। पुलिस मुकदमा दर्ज कर जांच कर रही है।
रेलवे से रिटायर्ड वरिष्ठ नागरिक हैं चिंतामणि
बालूगंज स्थित मुरली मनोहर मंदिर के पास रहने वाले चिंतामणि शर्मा रेलवे से रिटायर्ड वरिष्ठ नागरिक हैं। चिंतामणि ने बताया कि 25 सितंबर को उनके पास अंजान व्यक्ति की काल आई। काल करने वाले ने खुद को भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण का पीआरओ विजय कुमार बताया। इसके बाद उनके नाम से मुंबई के तिलक नगर की एक दुकान से सिम खरीदे जाने और उस सिम से अश्लील विज्ञापन और लोगों को ब्लैकमेल किए जाने की जानकारी दी।
उनके नाम से मुंबई में एक बैंक खाता खोलने और काले धन का लेनदेन किए जाने के बारे में बताया। मुंबई पुलिस के पूछताछ करने के बारे में बताया। इसके बाद कथित मुंबई पुलिस अधिकारी संदीप राव ने बात की। आनलाइन वीडियो कॉलिंग पोर्टल से जांच किए जाने की बोल कनेक्ट करवाया। जांच कथित आईपीएस क्राइम ब्रांच मुंबई विजय खन्ना ने शुरू की।
वीडियो कॉल पर दिखा दी तस्वीर
वीडियो कॉल पर विजय ने जेट एयरवेज के नरेश गोयल से जुड़ा होने का आरोप लगाया और नरेश गोयल और अन्य आरोपितों के वीडियो, उनके नाम से जारी बैन डेबिट कार्ड और गिरफ्तार चार युवकों की तस्वीर दिखाई। सारा सामान नरेश गोयल से बरामद होने की जानकारी दी। इसके बाद एक एफआईआर की कॉपी, गोपनीय अनुबंध सहमति पत्र और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से जारी फर्जी गिरफ्तारी वारंट भेजा। इसके बाद मामला राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा बताकर किसी से भी जानकारी साझा नहीं करने को कहा। किसी अन्य को शामिल करने पर उसका एनकाउंटर होने की धमकी दी।
आरोपितों ने दी फर्जी पेशी की जानकारी
आरोपितों ने आगे कहा कि मामला इतना गंभीर है कि मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई के समक्ष वीडियो काल से पेशी होगी। पीड़ित चिंतामणि की ओर से एक कथित वकील नवीन सिंह को प्रतिनिधि बनाकर बात कराई। कथित न्यायालय में सुनवाई के बाद सात दिनों के अंदर सारी संपत्ति के दस्तावेज और बैंक खातों में जमा रकम को प्रवर्तन निदेशालय के पास जांच के लिए जमा कराने का आदेश दिया गया।
खाते में रुपये जमा कराने को कहा
अगले दिन आईपीएस विजय खन्ना ने दबाव बनाकर पेंशन खाते में जमा 18 लाख में से 17 लाख मुंबई के एक खाते में भेजने को कहा। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट का आदेश और राजस्व विभाग की रसीद साझा कर एक नया आनलाइन वीडियो काल पोर्टल से डिजिटल अरेस्ट किए जाने की बात बताई। 17 लाख जमा करने के बाद पत्नी के खाते में जमा 11 लाख भी जमा कराने को कहा। दिए गए हैदराबाद के खाते में रकम भेजने के बाद पत्नी के दूसरे खाते की रकम भेजने को कहा पर छुट्टियों के कारण लेनदेन नहीं हो पाया।
अखबार में डिजिटल अरेस्ट की खबर पढ़ने के बाद लगा ठगी का पता
इसी दौरान उन्होंने एक अखबार में डिजिटल अरेस्ट कर साइबर ठगी की खबर पढ़ी। उसमें ठगी का तरीका और ठगी करने वालों के फर्जी अधिकारियों वाले नाम भी उनके मामले में बात कर रहे आरोपियों के ही थे। इससे उन्हें शक हुआ और उन्होंने साइबर थाना को शिकायत की। डीसीपी सिटी सोनम कुमार ने बताया कि जांच के बाद मुकदमा दर्ज कर आरोपितों की तलाश की जा रही है।
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