Utpanna Ekadashi 2022: कल है मार्गशीर्ष माह की एकादशी, पढ़ें पूजन के मुहूर्त और व्रत के पारण की पूरी जानकारी
Utpanna Ekadashi 2022 रविवार 20 नवंबर को उत्पन्ना एकादशी का व्रत है। व्रत का पारण सोमवार को सुबह सूर्याोदय से साढ़े सात बजे तक होगा। इस्कॉन से जुड़े ज्योतिशास्त्री पंकज प्रभु के अनुसार एकादशी अगले दिन द्वादशी पर व्रत का पारण करने से ही व्रत को पूर्ण माना जाता है।

आगरा, तनु गुप्ता। उत्पन्ना एकादशी व्रत मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है। जोकि इस बार कल यानी रविवार 20 नवंबर को है। इस दिन भगवान विष्णु और देवी एकादशी की पूजा की जाती है। ज्योतिषशास्त्री पंकज प्रभु ने बताया कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार उत्पन्ना एकादशी व्रत देवी एकादशी के स्मरण का दिन है क्योंकि इस दिन ही भगवान विष्णु से देवी एकादशी की उत्पत्ति हुई थी। देवी एकादशी को भगवान विष्णु की शक्तियों में से एक माना जाता है। वे राक्षस मुर का वध करने के लिए उत्पन्न हुई थीं।
उत्पन्ना एकादशी पूजा मुहूर्त
उत्पन्ना एकादशी की पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 08 बजकर 07 मिनट से दोपहर 12 बजकर 07 मिनट तक है। इसमें भी सुबह 09 बजकर 27 मिनट से दोपहर 12 बजकर 07 मिनट का समय अत्यंत शुभ है।
सर्वार्थ सिद्धि योग में उत्पन्ना एकादशी
उत्पन्ना एकादशी के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग, प्रीति योगख आयुष्मान योग और द्विपुष्कर योग बना हुआ है। इस तरह से देखा जाए तो उत्पन्ना एकादशी पर पांच शुभ योग बने हुए हैं। सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 06 बजकर 47 मिनट से देर रात 12 बजकर 36 मिनट तक है। इस समय में ही अमृत सिद्धि योग भी है।
एकाशी व्रत के पारण का महत्व
दशमी से लेकर द्वादशी तक व्रत के नियमों का पालन मनुष्य नहीं करते तो इससे उन्हें व्रत का पूरा पुण्य लाभ नहीं मिलता। ऐसे में हर किसी को यह पुण्य लाभ नहीं मिलता। सभी को यह जानना चाहिए कि व्रत के अगले दिन पारण करते हुए क्या गलतियां न करें। एकादशी पर नियम और संयम के साथ व्रत रखकर भगवान विष्णु की उपासना करने के बाद अगले दिन द्वादशी तिथि पर पारण में खास चीजों का ही सेवन करने का विधान है।
1- भगवान विष्णु को तुलसी बेहद प्रिय है और उनकी पूजा में यदि तुलसी न हो तो वह पूजा या भोग वह ग्रहण नहीं करते। इसलिए भगवान विष्णु के किसी भी व्रत में तुलसी का प्रयोग जरूर करें और एकादशी व्रत के पारण के लिए भी आप तुलसी पत्र को अपने मुख में डाल कर कर सकते हैं।
2- आंवले के पेड़ पर भगवान विष्णु का वास होता है, इसलिए आंवले का भी विशेष महत्व होता है। एकादशी व्रत का पारण आंवला खाकर करने से अखंड सौभाग्य, आरोग्य और संतान सुख की प्राप्ति होती है।
3- एकादशी व्रत के पारण पर चावल जरूर खाना चाहिए। एकादशी व्रत के दिन चावल खाना मना होता है। लेकिन द्वादशी के दिन चावल खाना उत्तम माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन चावल खाने से प्राणी रेंगने वाले जीव की योनि में जन्म पाता है, लेकिन द्वादशी को चावल खाकर व्रत का पारण करने से इस योनि से मुक्ति भी मिल जाती है।
4- सेम की सब्जी को कफ और पित्त नाशक माना गया है और व्रत पारण के लिहाज से भी यह उत्तम माना गया है। ऐसे में सेम धार्मिक और स्वास्थ्य के हिसाब से बेहतर पारण भोज्य माना गया है।
5- व्रत पारण में जो भी भोजन पकाया जाता है उसमें घी का प्रयोग करना चाहिए, गाय के शुद्ध घी से ही व्रत के पारण का भोजन बनाना चाहिए। घी को सबसे शुद्ध पदार्थ माना गया है और ये सेहत के लिए भी अच्छा होता है।
किन चीजों को न करें शामिल
मूली, बैंगन, साग, मसूर दाल, लहसुन, प्याज आदि का पारण में प्रयोग निषेध है। बैंगन पित्त दोष को बढ़ाता है और उत्तेजनावर्द्धक होता है तो वहीं मसूर की दाल को अशुद्ध माना गया है। मूली की तासीर ठंडी होती है। इसलिए यह व्रत के ठीक बाद सेहत के लिए सही नहीं होती। लहसुन, प्याज तामसिक भोजन होता है। इसलिए इसका प्रयोग भी वर्जित है।
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ज्योतिषशास्त्री पंकज प्रभु

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