ब्रज का पानी बेकार, अब मिट्टी भी बीमार, जानिए कैसे सेहत खेत की हाे रही खराब
बंजर में तब्दील होने के कगार पर है 43 में से 32 विकासखंडों की मिट्टी। आलू को हो गया चेचक तेजी से घट रहे जीवांश कार्बन (नाइट्रोजन) फॉसफोरस और पोटाश बाह का बुरा हाल।
आगरा, संजीव जैन। किसानों की आर्थिक सेहत कैसे सुधरे जब पानी बेकार है और मिट्टी भी बीमार। आगरा मंडल में खारे पानी की समस्या नई नहीं है, लेकिन अब मिट्टी को भी रोग लगने की बात पता चली है। हाल में कराये गए मृदा परीक्षण से पता चला है कि रासायनिक खाद के लगातार प्रयोग से मिट्टी में मौजूद रहने वाले प्रमुख व सूक्ष्म पोषक तत्व खत्म होते जा रहे हैं। सब्जियों के राजा आलू की लगातार पैदावार लेने व खादों के धुआंधार इस्तेमाल के चलते यहां सतह से 45 सेमी नीचे की मिट्टी पत्थर के समान हो गई है। आगरा मंडल के कुल 43 विकास खंड क्षेत्रों में से 32 की स्थिति भयावह है। यहां आर्गेनिक कार्बन 0.8 फीसद से अधिक होने के बजाय घटकर .2 से .3 फीसद रह गया है। जिंक, आयरन, पोटाश, सल्फर का भी यही हाल है।
आगरा में बाह तहसील क्षेत्र के खेतों की माटी थककर चूर हो चुकी है। एक के बाद एक नई फसल लेने से मिट्टी को पोषक तत्वों को रिचार्ज करने का मौका नहीं मिल पा रहा है। नतीजतन, कैल्शियम और बोरान सरीखे सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी हो गई है। आलू की फसल चेचक की चपेट में आ गई। यह समस्या बीते सात वर्ष से है।
ऐसे मिली जानकारी
क्षेत्रीय भूमि परीक्षण प्रयोगशाला ने आगरा मंडल के 1527 गांव में 7, 99, 938 किसानों के खेतों से 1, 68, 429 नमूने लेकर उसका मृदा परीक्षण कराया। प्रयोगशाला रिपोर्ट अनुसार, 90 फीसद नमूनों में भूमि से जीवाश्म की मात्रा कम हो गई है। तीन साल पहले पैदावार करने वाले जीवाश्म की मात्रा . 7 पीपीएम थी, जो अब घटकर 0.2 से .3 पीपीएम रह गई है। सभी खेतों से मिट्टी खोदकर देखी, वहां 45-50 सेमी नीचे की ओर मिट्टी पत्थर के समान सख्त मिली है। जमीन से नमी गायब है। जिंक, आयरन, पोटाश, सल्फर आदि 16 पोषक तत्व जो जमीन की उर्वरा शक्ति को बढ़ाते हैं, में भारी कमी या अधिकता पाई गई है।
मानक का फीसद
पोषक तत्व मौजूद होना चाहिए
पोषक मानक पोषक तत्व
तत्व फीसद मौजूद होना
चाहिए
जीवांश कार्बन 0.20 0.80
फास्फेट 10.1-20.0 40.00
पोटाश 101-200 250.00
द्वितीय एवं सूक्ष्म पोषक तत्व
सल्फर 10.0 15.0
जिंक 00.6 01.20
लोहा 04.0 08.0
कॉपर 00.2 00.4
मैग्नीज 02.9 04.0
ऐसे हुआ मिट्टी का परीक्षण
जिला गांव नमूना संख्या
आगरा 498 55158
मथुरा 354 49526
फीरोजाबाद 380 33231
मैनपुरी 295 30514
ये पड़ रहा है असर
जीवाश्म कम होने से जमीन की उर्वरा शक्ति घट रही है। जिंक की कमी से पत्तियों में शिराओं के मध्य हरितिमाहीन के लक्षण दिखाई देते हैं। इनका रंग कांसा की तरह हो जाता है। मैग्नीज की कमी से पत्तियों का रंग पीला-धूसर या लाल धूसर हो जाता है। पोटेशियम की कमी से पुरानी पत्तियों का रंग पीला या भूरा हो जाता है। बाहरी किनारे फट जाते है। ऐसे में बढ़ते तापमान, जीवाश्म व सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी से गेहूं का उत्पादन इस क्षेत्र में 5-10 फीसद घटा है। अन्य फसलों पर भी उसका असर पड़ेगा।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
जीवाश्म की मात्रा सही बनाए रखने के लिए जरूरी है कि किसान एनपी को 4:2:1 के अनुपात में प्रयोग करें, लेकिन वह 28:5:1 के अनुपात में प्रयोग कर रहे हैं। डीएपी का प्रयोग खेत में बीज डालने से पहले होना चाहिए, पर वह बीज बोने के बाद इसका प्रयोग करते हैं। जैविक, केंचुआ खाद का प्रयोग वह नहीं कर रहा है। ऐसे में जमीन के जीवाश्म व सूक्ष्म तत्व कम हो रहे हैं। उत्पादन पर उसका असर पड़ रहा है।
-रामजी लाल, प्रभारी भूमि परीक्षण प्रयोगशाला।
उन्नत खेती के लिए स्वस्थ्य मिट्टी का होना जरूरी है। किसान मृदा परीक्षण कराने के बाद ही फसलों की बोआई करें। बीमार मिट्टी में फसलों में रोग लगने का खतरा रहता है।
-प्रमोद कुमार, सहायक निदेशक मृदा परीक्षण
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