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    Padma Award 2021: ताजनगरी के लिए कल का दिन होगा खास, डा. ऊषा यादव को मिलेगा पद्मश्री सम्मान

    By Tanu GuptaEdited By:
    Updated: Mon, 08 Nov 2021 01:52 PM (IST)

    Padma Award 2021 दिल्ली में होने वाले समारोह में शामिल होने पहुंचीं। अब तक 100 से अधिक किताबों का किया है सृजन। नार्थ ईदगाह निवासी डा. ऊषा यादव ने बृज संस्कृति के उन्नयन के लिए काफी काम किया है।

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    आगरा की साहित्यकार डॉ उषा यादव को मिलेगा पद्मश्री अवार्ड।

    आगरा, जागरण संवाददाता। मंगलवार का दिन आगरा के लिए बेहद खास होगा। इस दिन दिल्ली में होने वाले समारोह में आगरा के हिंदी साहित्य की शान, लेखिका और शिक्षाविद डा. ऊषा यादव को पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया जाएगा। समारोह में शामिल होने के लिए वह दिल्ली पहुंच चुकी हैं।

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    उन्होंने बताया कि कार्यक्रम मंगलवार को सुबह नौ बजे शुरू होगा और दोपहर साढ़े 12 बजे तक चलेगा। सुबह आठ बजकर 45 मिनट पर कार्यक्रम में प्रवेश दिया जाएगा। वह समारोह में अपने पति डा. आरके सिंह और बेटी डा. कामना सिंह के साथ शामिल होंगी। इसके लिए उन्होंने रविवार को अपनी कोविड-19 की जांच भी कराई है, जिसकी रिपोर्ट सोमवार को आएगी।

    100 से अधिक किताबें लिखी

    नार्थ ईदगाह निवासी डा. ऊषा यादव ने बृज संस्कृति के उन्नयन के लिए काफी काम किया है। बृज परंपरा को बनाए रखने के लिए उनके दर्जनों आलेख राष्ट्रीय स्तर की पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं। कहानी संग्रह टुकड़े-टुकड़े सुख, सपनों का इंद्रधनुष, उपन्यास प्रकाश की ओर, आंखों का आकाश सहित 100 से अधिक किताबें लिख चुकी हैं। बच्चों पर भी उनका साहित्य केंद्रित रहा और उनका बाल साहित्य बेहद पसंद किया गया। डा. ऊषा यादव के पिता चंद्रपाल सिंह मयंक बाल साहित्यकार थे।

    बचपन से था लिखने का शौक

    डा. ऊषा यादव बताती हैं कि परिवार में हमेशा से ही लिखने-पढ़ने का माहौल था, तो वह भी इसकी ओर आकर्षित हो गई। उनकी पहली कविता स्कूल की पत्रिका में प्रकाशित हुई, जब वह नौवीं कक्षा में थीं।उसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। उनके पसंदीदा साहित्यकार प्रेमचंद और शरद जोशी हैं।

    मिल चुके हैं तमाम पुरस्कार

    डा. यादव को अब तक तमाम पुरस्कार मिल चुके हैं। उनके हिस्से की धूप उपन्यास के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने महात्मा गांधी द्विवार्षिक हिंदी लेखन पुरस्कार दिया। उप्र हिंदी संस्थान ने बाल साहित्य भारती पुरस्कार दिया। इलाहाबाद में मीरा फाउंडेशन ने मीरा स्मृति सम्मान दिया। काहे री नलिनी उपन्यास के लिए मध्यप्रदेश साहित्य अकादमी ने सम्मानित किया। भोपाल में बाल कल्याण एवं बाल साहित्य शोध केंद्र ने सम्मानित किया ।