Diwali Shubh Muhurat: गणेश लक्ष्मी-पूजन का ये है शुभ मुहूर्त, ताज के शहर में कब है गोवर्धन और भाई दूज?
आज दीपावली का त्योहार मनाया जा रहा है। यह पर्व पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है।

प्रस्तुतीकरण के लिए सांकेतिक तस्वीर का प्रयोग किया गया है।
जागरण संवाददाता, आगरा। दीपोत्सव की खुशियां चारों ओर बिखरना आरंभ हो गई हैं। पर्व के दूसरे दिन रविवार को पूरे शहर में नरक चतुर्दशी पर्व श्रद्धा और पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ मनाया गया। इस दिन को छोटी दीपावली, रूप चौदस या नरक चौदस नाम से जाना जाता है। इस दिन श्रद्धालुओं ने स्नान-ध्यान कर विधिवत पूजा-अर्चना की और रात्रि में घरों के बाहर आटे व तेल का दीपक जलाए। हालांकि कुछ लोगों ने उदयातिथि के के आधार पर धनतेरस पर्व भी मनाया। इस कारण बाजारों में रविवार को भी खरीदारों की भीड़ लगी रही।
यम को दीपदान कर टला अकाल मृत्यु का भय
रूप चौदस व नरक चतुर्दशी को लेकर अलग-अलग मान्यता है। नरक चतुर्सदी को लेकर मान्यता है कि इस दिन यमदेव की आराधना करने से अकाल मृत्यु के संकट के साथ कष्टों और पापों का भय दूर होता है। परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है। वहीं रूप चतुर्दशी को लेकर मान्यता है कि इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस का वध करके 16 हजार स्त्रियों को मुक्त कराया था। यह बुराई पर अच्छाई की जीत और अंधकार पर प्रकाश की जीत का प्रतीक है।
उदयातिथि के कारण कुछ लोगों ने मनाई धनतेरस
रूप चौसद की सुबह तिल का तेल लगाने के बाद तिल मिले पानी से नहाने की परंपरा है। ऐसा करने से लक्ष्मीजी खुश होती हैं और समृद्धि बढ़ती हैं। शाम को मंदिरों में तिल के तेल से दीपक लगाए गए। वहीं यमुना घाटों और मंदिरों में भी श्रद्धालुओं ने पहुंचकर दीपदान किया। घरों पर महिलाओं ने तिल, आटे, और तिल के तेल से बने दीपक जलाकर यमराज की आराधना की। इसमें आटे की चार मुंह वाले दीए बनाकर उन्हें तिल के तेल से प्रज्वलित किया गया।
धनतेरस की भी रही मान्यता
त्रयोदशी तिथि 18 अक्टूबर को प्रारंभ होकर 19 अक्टूबर को दोपहर 1:51 बजे तक रही। उदयातिथि के कारण कई लोगों ने धनतेरस पर्व रविवार को मनाया। इस कारण रविवार को भी बाजारों में सोने-चांदी के आभूषण. सिक्के, बर्तन, दीपक और लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियों की खरीदारी करने पहुचें। सुभाष बाजार, बेलनगंज, सदर आदि बाजारों में लोगों की भीड़ रही।
शहर में छाई दीपमालाओं की छटा
दीपोत्सव पर पूरे शहर झिलमिल रोशनी से जगमगा रहा है। रविवार शाम सूर्यास्त होने के बाद शहर का हर कोना रंग-बिरंगी झालरों और दीपों की पंक्तियों से जगमगा उठा। यम दीपदान की परंपरा निभाते हुए घर-घर के बाहर आटे से बनाकर प्रज्वलित किए गए।
आज छाएंगी दीपावली की खुशियां
अमावस्या तिथि 20 अक्टूबर को दोपहर 3:44 बजे से प्रारंभ होकर 21 अक्टूबर को शाम 5:54 बजे तक रहेगी। दीपावली पर लक्ष्मी जी का पूजन रात्रि काल में करने की मान्यता है। इस कारण कार्तिक अमावस्या 20 अक्टूबर को मनाना कल्याणकारी होगा क्योंकि इसी दिन प्रदोष और निशीथ काल का संयोग भी बन रहा है, जो दीपावली पूजन में होना चाहिए। लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त शाम 7:07 से रात 8:16 बजे तक रहेगा।
22 को गोवर्धन और 23 को भाई दूज
गोवर्धन व अन्नकूट पूजा कार्तिक मास, शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि को होगी। प्रतिपदा तिथि 21 अक्टूबर को शाम 5:54 बजे प्रारंभ होकर 22 अक्टूबर को रात 8:16 बजे तक रहेगी। ऐसे में उदयातिथि के अनुसार, 22 अक्टूबर को गोवर्धन पर्व मनाना शास्त्र सम्मत होगा।
भाई दूज पर्व कार्तिक मास, शुक्ल पक्ष द्वितीया तिथि को मनाते हैं। कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि 22 अक्टूबर को रात 8:16 बजे आरंभ होगी और 23 अक्टूबर रात 10:46 बजे तक रहेगी। इस कारण पंचांग गणना के अनुसार भाई दूज पर्व 23 तारीख को मनाया उचित होगा।
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