Delhi Pollution: दिल्ली को जहरीली हवा से बचाने को कदम, आगरा-भरतपुर सीमा सहित अन्य क्षेत्रों में 200 क्रशर बंद
दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए आगरा-भरतपुर सीमा पर स्थित 200 क्रशर बंद कर दिए गए हैं। इन क्रशरों से निकलने वाली धूल दिल्ली के वायु प्रदूषण को बढ़ा रही थी। प्रशासन ने गिट्टी और मौरंग के लिए ट्रांजिट परमिट भी रोक दिए हैं। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के निर्देश पर यह कार्रवाई की गई है, जिससे दिल्ली के प्रदूषण स्तर को कम किया जा सके।

सांकेतिक तस्वीर का प्रयोग किया गया है।
जागरण संवाददाता, आगरा। दिल्ली में तेजी से बढ़ते वायु प्रदूषण को कम करने के लिए हर कदम उठाया जा रहा है। वायु प्रदूषण पर नियंत्रण के सख्ती के बीच आगरा-भरतपुर राजस्थान की सीमा सहित अन्य क्षेत्रों में लगे 200 क्रशर को बंद कर दिया गया है।
जिसके बाद से यहां से निकलने वाली गिट्टी और मौरंग के लिए किसी भी ट्रक को ट्रांजिट परमिट जारी नहीं किया जा रहा है। क्रशर के बंद होने की जानकारी जिला प्रशासन आगरा को भी दी गई है।
अरावली पहाड़ियों आगरा और भरतपुर की सीमा का निर्धारण करती हैं। रूपवास बार्डर के तीन से छह किमी के क्षेत्र में 100 क्रशर लगी हैं। हर दिन पत्थरों को तोड़ा जाता है और कट कर बिक्री के लिए भेज दिया जाता है।
आगरा की तरफ एक भी प्लांट नहीं लगा है। दिल्ली में वायु प्रदूषण की स्थिति खराब हो चुकी है। कर्मचारियों को घर से कार्य करने के लिए कहा गया है। फैक्ट्रियों पर लगातार नजर रखी जा रही है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में प्रदूषण स्तर तेजी से बढ़ने के बाद कड़े प्रतिबंध लागू कर दिए गए हैं।
वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के निदेशक (तकनीकी) आरके अग्रवाल ने दिशा निर्देश जारी किए हैं। यह निर्देश मुख्य सचिव उप्र, राजस्थान सहित अन्य राज्यों के लिए हैं। इसी के चलते अरावली पहाड़ियों के सहारे जो भी क्रशर संचालित हैं।
उन सभी को अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया गया है। भरतपुर, अलवर सहित अन्य क्षेत्रों में 300 के आसपास क्रशर हैं। पत्थरों की कटिंग से धूल और सूक्ष्म कण निकलते हैं। इससे वायु प्रदूषण को बढ़ावा मिलता है।
क्रशर बंद होने से गिट्टी, मौरंग की आपूर्ति भी बंद हो गई है। जिला खनन अधिकारी मिथलेश पांडेय ने बताया कि आगरा-भरतपुर सीमा सहित अन्य क्षेत्रों में लगे क्रशर को अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया गया है। आगरा में एक भी क्रशर नहीं है।

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