Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    World Sign language Day: हुनर बन गया जुबां, न सुन सकते और न बोल पर खड़े हैं अपने पैरों पर

    By Prateek GuptaEdited By:
    Updated: Wed, 23 Sep 2020 08:23 PM (IST)

    सांकेतिक भाषा दिवस पर विशेष। दूसरों पर बोझ बनने की जगह अपनों का सहारा बने दिव्यांगजन। लिप रीडिंग के हुनर को मांझ खड़ा किया खुद का व्यापार। आज सफलता के ...और पढ़ें

    Hero Image
    आगरा में पालीवाल पार्क चौराहे पर ग्राहक को पान देते जवाहर सैनी। फोटो- जागरण

    आगरा, अली अब्‍बास। जरूरी नहीं कि हर बात लफ्जों की गुलाम हो। जन्म से मूक-बधिर सगे भाइयों जवाहर सैनी, ओम प्रकाश सैनी और रामकुमार ने इस बात को सही साबित किया। उनका हुनर ही उनकी जुबां बन गया है। दूसरों पर बोझ बनने की जगह आज अपनों का सहारा बने हुए हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    हरीपर्वत के घटिया आजम खां क्षेत्र निवासी जवाहर सैनी और उनके छोटे भाई ओम प्रकाश सैनी जन्म से मूक-बधिर हैं। पिता बहुरीलाल दोनों को विजय नगर स्थित संकेत विद्यायल में प्रवेश दिलाने के साथ ही पालीवाल पार्क के सामने स्थित पान की दुकान पर अपने साथ लेकर जाते थे। यहां पर दोनों भाइयों ने बिना किसी प्रशिक्षक के लिप रीड़िंग सीख ली। करीब 35 साल से दुकान पर बैठ रहे दोनों भाई लिप रीडिंग में इतने निपुण हो चुके हैं कि ग्राहक को कभी गलत पान नहीं देते। जवाहर सैनी के तीन बेटे, एक बेटी है। ओम प्रकाश के एक बेटा है। दोनाें भाई परिवार से बात करने को वीडियो कॉल करते हैं। मोबाइल को हमेशा वाइब्रेशन पर रखते हैं, इससे कि कॉल आने पर उसका पता चल सके।

    कुछ यही कहानी छत्ता किे गधापाड़ा निवासी रामकुमार की है। जन्म से मूक-बधिर रामकुमार फोटो स्टेट और कोरियर की एजेसी चलाते हैं। वह दो भाइयों में छोटे हैं। मां सरोज देवी ने रामकुमार का संकेत स्कूल में प्रवेश कराया। वहां से अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद वर्ष 1989 में उन्होंने दुकान खोली थी। आज वह सफल व्यापारी हैं। परिवार में पत्नी के अलावा दो बच्चे हैं।

    विजय नगर में है संकेत विद्यालय

    विजय नगर में स्थित संकेत विद्यालय 150 बच्चों की क्षमता का है। इनमें 50 छात्रों के लिए छात्रावास की सुविधा है। जबकि 100 बच्चे डे स्कॉलर हैं।

    सांकेतिक भाषा दिवस की शुरुआत

    जो लोग सुन या बोल नहीं सकते उनके हाथों चेहरे और शरीर के हाव-भाव से बातचीत की भाषा को सांकेतिक भाषा (साइन ऑफ लैंग्वैज) कहा जाता है। अन्य भाषाओं की तरह सांकेतिक भाषा के भी अपने नियम और व्याकरण हैं, लेकिन यह लिखी नहीं जाती। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 23 सितंबर 2018 काे सांकेतिक भाषा दिवस घोषित किया। विश्व में अलग-अलग तरह की 300 सांकेतिक भाषा का इस्तेमाल किया जाता है।