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    Sawan Ka Somwar: बहुत कड़े नियमों का पालन करते हैं कांवड़िये, जमीन पर नहीं रख सकते, डाक कांवड़ का जबरदस्त क्रेज

    By Abhishek SaxenaEdited By:
    Updated: Sun, 31 Jul 2022 03:14 PM (IST)

    Sawan Ka Somwar यूपी ही नहीं कासगंज की सोरों गंगानदी से हजारों की संख्या में मध्यप्रदेश राजस्थान के कांवड़यात्री आते हैं। देव स्थानों पर पहुंचने के लिए रविवार को बड़ी संख्या में डाक कांवड़िये शिवमंदिरों के लिए निकले।

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    Sawan Ka Somwar तीसरे सोमवार के लिए कांवड़ यात्रा की धूम

    आगरा, जागरण टीम। सावन के तीसरे सोमवार के लिए कांवड़ यात्रा की धूम मची है। सड़कों पर कांवड़ यात्रियों की सतरंगी छटा दिखाई दे रही है। दूरदराज के श्रद्धालु सोरों से गंगाजल लेकर अपने मनौती वाले देवस्थानों की ओर जा रहे हैं। इस बार डाक कांवड़ ले जाने वालों की तादात भी काफी दिखाई दे रही है।

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    दिन-रात निकल रहे कांवड़ यात्री

    शनिवार-रविवार को दिन और रात कांवड़ यात्रियों के जत्थे शहर से होकर गुजरते रहे और लोग जयकारे लगाते हुए चल रहे थे। सुबह से ही सबसे ज्यादा तादात आगरा जनपद के पिनाहट, बटेश्वर, फतेहाबाद, बाह, भिंड़, मुरैना, धौलपुर, भरतपुर के लोगों की दिखाई दी। सोमवार तक यह श्रद्धालु अपने मनौती वाले देव स्थानों तक पहुंच जाएंगे और जलाभिषेक करेंगे।

    कांवड़ियों के लिए लगाए गए हैं शिविर

    कांवड़ियों के लिए इस बार प्रशासन ने भी व्यापक व्यवस्थाएं की हैं, जगह-जगह शिविर लगाए हैं और सुरक्षा के भी खास इंतजाम किए गए हैं। पुलिस की पार्टियां पेट्रोलिंग कर रहीं हैं तथा ग्रामीण क्षेत्रों में गश्त भी बढ़ा दिया गया है। अपर पुलिस अधीक्षक धनंजय कुशवाह ने बताया कि कांवड़ यात्रियों की सुरक्षा के सभी इंतजाम है, सड़कों पर पर्याप्त गश्त की व्यवस्था है।

    कावड़ यात्रा के कड़े नियम

    • कांवड़ यात्रा के दौरान भक्तों को सात्विक भोजन करना होता है
    • मांसाहार और शराब आदि का सेवन निषेध है
    • विश्राम के समय कांवड़ को पेड़ या किसी के सहारे लटकाना होता है
    • यात्रा के दौरान कहीं भी कांवड़ जमीन पर नहीं रखी जाती
    • कांवड़ यात्रा के दौरान जिस मंदिर में जलाभिषेक का संकल्प लिया जाता है वहां तक पैदल चलकर जाना होता है
    • कांवड़ यात्रा नियमों के साथ पूरी करने पर भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों को मन मांगा वरदान देते हैं

    सामान्य कांवड़ यात्रा

    सामान्य कांवड़ यात्रा में भक्त अपनी सुविधा के अनुसार चलते फिरते कांवड़ यात्रा निकालते हैं। इस तरह के कांवड़ यात्री अधिकांशत: लोकल के होते हैं।

    डाक कांवड़ यात्रा

    डाक कावड़ यात्रा में झांकी भी सजाई जाती है, शिव भक्त धूमधाम से झूमते, गाते और नाचते कांवड़ की यात्रा निकालते हैं। डाक कांवड़ हाथ में गंगाजल की शीशी लेकर निकाली जाती है। श्रद्धालु थकने के बाद दूसरे साथी को गंगाजल पकड़ा देते हैं और फिर वह दौड़ने लगता है।

    खड़ी कांवड़ यात्रा

    खड़ी कावड़ यात्रा बहुत कठिन यात्रा होती है जो यात्रा लेकर चलते हैं वह कहीं रुकते नहीं हैं लगातार चलते रहते हैं। यह यात्रा बहुत कम लोग निकाल पाते हैं। हालांकि एटा से होकर ऐसे कांवड़ यात्री भी गुजर रहे हैं। 

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