बेरोजगारों से ठगी कर लग्जरी लाइफ जी रहा था शातिर, जानिए कैसे खुला राज Agra News
महाराष्ट्र और गुजरात के लोगों ने साइबर सेल पर ईमेल पर की थी शिकायत। 11 साल से चल रहा था ठगी का खेल।

आगरा, जागरण संवाददाता। नौकरी के नाम पर ठगी का खेल खेलने वाला गिरोह पुलिस के हत्थे चढ़ा है। 11 साल से लोगों को बेवकूफ बना हजारों रुपए ऐंठ कर गिरोह का सरगना लग्जरी लाइफ जी रहा था। मामले का खुलासा उस वक्त हुआ जब ठगी का शिकार हुए महाराष्ट्र और गुजरात के लोगों ने ने साइबर सेल पर ईमेल कर शिकायत की।
मामले के अनुसार आगरा की साइबर क्राइम यूनिट को मुंबई और अहमदाबाद निवासी दो लोगों के ईमेल प्राप्त हुए थे। जिसमें बताया गया था कि चर्चित अखबारों में नौकरी लगाने के नाम पर विज्ञापन देकर रजिस्ट्रेशन एवं सिक्योरिटी के नाम पर यूपी के बैंक खातों में रकम जमा कराकर ठगी एवं धोखाधड़ी की जा रही है।
मामले को गंभीरता से लेते हुए आईजी ए सतीश गणेश ने साइबर यूनिट को तत्काल कार्रवाई के निर्देश दिए। साइबर पुलिस ने प्राप्त हुई सूचना के आधार पर जांच की, जिसमें सिम कार्ड और बैंक खातों के फर्जी होने की जानकारी मिली। इसी आधार पर जांच आगे बढ़ाते हुए खातों में जमा हुई रकम के ट्रांसफर होने वाले खातों की पड़ताल की। इनमें अधिकांश बैंक खाते विज्ञापन एजेंसियों के थे। जिनमें पेटीएम और ईवॉलेट के माध्यम से भुगतान किया गया था। विज्ञापन के लिए ऑनलाइन संपर्क किया गया था और पहचान के लिए फर्जी आधार कार्ड दिए गए थे। इसी आधार पर पुलिस ने गिरोह को चिन्हित कर गिरफ्तार किये गए।
पकड़े गए शातिर
- मुकेश बाबू निवासी प्रतापपुर, बाह
- विजयकांत निवासी प्रतापपुर, बाह
- कृष्णवीर निवासी ग्राम हीरा सिंह की ठार, फीरोजाबाद
ऐसे करते थे शातिर शिकार
गिरोह का सरगना मुकेश 11 साल से ठगी का ये खेल कर रहा था। प्रमुख अखबारों में नौकरी के आकर्षक विज्ञापन देता था। जिसमें फोन नंबर पर संपर्क करने के लिए लिखा होता था। लोग नंबर पर फोन करते तो 550 रुपए रजिस्ट्रेशन फीस भरने को कहा जाता। फीस जमा करने के कुछ दिन बाद शिकार को फिर फोन किया जाता और टेलीफोनिक इंटरव्यू की बात कहकर 15000 रुपए एकाउंट में जमा करने को कहे जाते। जैसे ही शिकार पैसे जमा करता फोन स्विच ऑफ हो जाता था। एक दशक से अधिक समय से चल रहे इस खेल में गिरोह की मोटी कमाई हो गई थी। गांव के घर को मुकेश ने आलीशन बना लिया था। हर सुविधा से संपन्न घर में मुकेश लग्जरी जिंदगी जी रहा था।
आपस में रिश्तेदार हैं गिरोह के सदस्य
गिरोह का सरगना मुकेश और विजयकांत सगे भाई हैं। वहीं कृष्णवीर विजयकांत की पत्नी का भाई है। मात्र हाईस्कूल पास मुकेश ने ठगी का यह खेल अपने साले इंद्रपाल निवासी जैतपुर से दस साल पहले सीखा था। इंद्रपाल लंबे समय तक राजस्थान, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र आदि राज्यों में ठगी का खेल करता रहा है।
पत्रकारिता और अपराध का नाता
अभियुक्त मुकेश बाबू से एक अखबार के संवाददाता का परिचय पत्र और काफी संख्या में विजिटिंग कार्ड बरामद हुए हैं। मुकेश के अनुसार वो उस अखबार का तहसील बाह क्षेत्र में स्थानीय संवाददाता भी रहा है।
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