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    पांच रंगों की शिमला मिर्च की खेती से जिंदगी में खुशहाली की पैदावर Agra News

    By Tanu GuptaEdited By:
    Updated: Sun, 01 Mar 2020 12:37 PM (IST)

    सब्जी उत्पादन के क्षेत्र में मैनपुरी के देवेंद्र सिंह ने फहराया कामयाबी का झंडा। प्रेरणा ले छह गांव के किसानों ने पकड़ी खुशहाली की यह राह। ...और पढ़ें

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    पांच रंगों की शिमला मिर्च की खेती से जिंदगी में खुशहाली की पैदावर Agra News

    आगरा, दिलीप शर्मा। केंद्र सरकार किसानों की आय दोगुनी करने को पूरी ताकत लगाए हुए है। पर, हकीकत में सरकारी कोशिश केवल लक्ष्य प्राप्ति का सहायक संसाधन बन सकती है। कमाई की मंजिल तो खुद अन्नदाता को ही तय करनी है। नये प्रयोग, जैविक-वैज्ञानिक विधि का सहारा और मेहनत का समावेश हो जाए तो सफलता कदम चूमती है। गांव बड़ेपुर के किसान देवेंद्र सिंह ने यह कर दिखाया है। पांच रंग की शिमला मिर्च उगा उन्होंने खुद के जीवन की रंगत बदल दी है, जिसके कायल हैं आधा दर्जन गांव के किसान जो कर रहे हैं सब्जियों की खेती और दूर भगा रहे हैं गरीबी।

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    जैविक खाद और पांच रंग की शिमला मिर्च है खासियत

    देवेंद्र सिंह की खेती की सबसे बड़ी खासियत जैविक तरीकों से फसल उत्पादन है। वह 70 फीसद से अधिक जैविक खाद उपयोग में लाते हैं। इससे डिमांड रहती है। वहीं उनके द्वारा हरी, सफेद, पीली, नारंगी और नीले रंग की शिमला मिर्च उगाई जा रही है, जिसकी डिमांड अधिक है।

    ट्रांसपोर्ट की आ रही दिक्कत

    देवेंद्र सिंह ने बताया कि एक कृषि गोष्ठी में सब्जियों की खेती विषय पर जानकारी मिली थी। इसके बाद उन्होंने इसके प्रयोग के तौर पर शुरू किया। अब इससे उन्हें मुनाफा हो रहा है। शुरू में सब्जी के लिए बाजार तलाशने में मुश्किल हुई। आगरा और दिल्ली की मंडियों में संपर्क साधा। जिसके बाद वह आगरा और दिल्ली तक सब्जी खुद ले जाने लगे।

    संपन्नता ने चूमे कदम

    देवेंद्र सिंह की जिंदगी में आर्थिक उन्नति का स्वाद, सब्जियों की खेती ने ही डाला है। वह बटाई पर दूसरों के खेत लेकर फसल करते थे। मुनाफा बढ़ा तो बेवर कस्बा के नजदीक छह बीघा खेत खरीद लिया। परिवार का रहन-सहन भी बदल गया। देवेंद्र खुद इंटर पास हैं, लेकिन उन्होंने अपने बेटों को उच्च शिक्षा दिलाई। उनका बड़ा बेटा एक निजी कंपनी में काम कर रहा है जबकि छोटा बेटा बीएससी कृषि में पढ़ रहा है। वह उसे भी खेती के लिए प्रेरित कर रहे हैं।

    मिल चुके हैं तीन पुरस्कार

    देवेंद्र सिंह को वर्ष 2012-13 में आलू उत्पादन के लिए लखनऊ में पुरस्कार मिला था। सब्जियों की खेती के लिए वर्ष 2017 में पुरस्कृत किया गया। इस साल भी कृषि विभाग की ओर से उनको सम्मान प्रदान किया गया है।

    आधा दर्जन गांवों के किसान हुए प्रेरित

    देवेंद्र सिंह की सफलता से आसपास के करीब आधा दर्जन गांवों के किसान भी प्रेरित हुए हैं। मानपुर, टांकन, नगला, हजारा आदि गांवों में किसानों ने शिमला मिर्च आदि की खेती शुरू कर दी है।

    एक बीघा पर 25 हजार तक का मुनाफा 

    देवेंद्र सिंह हर सीजन में सब्जी कर रहे हैं। सबसे ज्यादा रकबा शिमला मिर्च का है। वह बताते हैं कि सबसे आखिरी (पिछैती) की फसल बोते हैं। इससे जब तक उपज तैयार होती है, उस समय बाजार में उसकी कमी होती है। ऐसे में फसल आसानी से और बेहतर दामों में बिक जाती है। एक बीघा पर 25 हजार रुपये तक मुनाफा मिल जाता है।

    ब्रोकली पर भी आजमा रहे प्रयोग

    देवेंद्र सिंह ने इस बार ब्रोकली की शुरुआत भी की है। ब्रोकली फिलहाल 10 बिसे में बोई है।

    10 साल से देवेंद्र उगा रहे सब्जियां 

    देवेंद्र सिंह बीते 10 साल से सब्जियों की खेती कर रहे हैं। पहले वह सामान्य फसलें करते थे। शुरुआत में आलू के साथ फूल गोभी, बंद गोभी, टमाटर की फसल की। इस बीच कृषि विशेषज्ञ से जानकारी लेते रहे। फिर शिमला मिर्च की खेती में हाथ आजमाया। यह प्रयोग कामयाब रहा तो दायरा बढ़ा दिया। वर्तमान में आठ बीघा में सब्जियां उगा रहे हैं। इनमें शिमला मिर्च, टमाटर, बंद गोभी, फूल गोभी हैं।