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भजनों से बनाया दीवाना, अंतिमयात्रा में बहे आंसू, पढ़ें बाबा रसिका पागल के जीवन की कहानी

भजन सम्राट बाबा रसिका पागल की अंतिम यात्रा में उमड़ा हुजूम।अनुयायियों ने की सोहनी सेवा हर आंख हो गई नम। संत रसिका पागल का जन्म पुराना बजाजा स्थित राया गली में हुआ था। आजीविका चलाने के लिए रिक्शा चलाते।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Sun, 05 Dec 2021 05:27 PM (IST)Updated: Sun, 05 Dec 2021 05:27 PM (IST)
भजनों से बनाया दीवाना, अंतिमयात्रा में बहे आंसू, पढ़ें बाबा रसिका पागल के जीवन की कहानी
बाबा रसिका पागल की बुलंद आवाज सदा के लिए सो गई।

आगरा, जागरण टीम। आओ सुनाऊं तुम्हें ब्रज की कहानी.., कजरारे-कजरारे... तेरे मोटे-मोटे नैन। यही वह भजन थे, जिन्हें सुनने के लिए कान्हा के भक्त दीवाने थे। इन भजनों के जरिए ठाकुर बांकेबिहारी की महिमा गाने वाली बाबा रसिका पागल की बुलंद आवाज सदा के लिए सो गई। शनिवार रात लंबी बीमारी के बाद वह निकुंज लीला में प्रविष्ट हो गए।

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रविवार दोपहर उनकी अंतिम यात्रा निकली, तो अनुयायियों की आंखों से दुख का सागर बह चला। अपनी अलमस्त गायकी से ठा. बांके बिहारी की महिमा का बखान पूरे देश में करने वाले बाबा रसिका पागल लंबे समय से किडनी और शुगर की समस्या से जूझ रहे थे। शनिवार देर रात रामकृष्ण मिशन अस्पताल में वह चिर निद्रा में लीन हो गए। रात में ही चामुंडा कालोनी स्थित बाबा रसिका पागल के आश्रम पर अनुयायियों की भीड़ जुटने लगी। रात भर बाबा के पार्थिव शरीर के दर्शन का सिलसिला चलता रहा। सुबह ठीक 11 बजे आश्रम से रसिका पागल बाबा की अंतिम यात्रा शुरू हुई, तो हजारों अनुयायियों की अश्रुधारा फूट पड़ी। कुंजबिहारी श्री हरिदास बोलते हुए अंतिम यात्रा आगे बढ़ती गई और लोगों का हुजूम भी यात्रा में शामिल होता गया। सबसे आगे चार पहिया वाहन में रखे स्टीरियो में बाबा द्वारा गाए गए भजनों की गूंज के साथ कुंजबिहारी श्रीहरिदास के वाक्यों संग अंतिमयात्रा आगे बढ़ती रही। सड़क पर बाबा के अंतिम दर्शन को पहुंचे भक्त पुष्पवर्षा करते रहे। आगे-आगे अनुयायी सड़क पर सोहनी सेवा करते हुए चल रहे थे। आश्रम से शुरू हुई अंतिम यात्रा अटल्ला चुंगी, गांधी मार्ग होते हुए बांकेबिहारी मंदिर पहुंची, यहां से अठखंभा, रसिकबिहारी, बनखंडी, लोई बाजार होते हुए निधिवन राज मंदिर के सामने से राधारमण मंदिर, गोपीनाथ बाजार, रंगजी मंदिर होते हुए नगर निगम चौराहा से टटिया स्थान पर पहुंची। यहां पुष्पांजलि के बाद मोक्षधाम पहुंची। यहां वैदिक रीतिरिवाज के साथ बाबा रसिका पागल का अंतिम संस्कार हुआ।

रिक्शा चालक से बन गए भजन सम्राट

संत रसिका पागल का जन्म पुराना बजाजा स्थित राया गली में हुआ था। पिता रामसिंह तथा माता भौंता देवी के घर जन्मे रसिका पागल बाबा के दो बड़े भाई विशंभर तथा चंदन के अलावा बड़ी बहन पुष्पा थीं। बचपन का नाम गुड्डा था। बचपन से गायन और ढोलक बजाने का शौक था। दिन में आजीविका चलाने के लिए रिक्शा चलाते। रिक्शा चलाने के दौरान भी वे भजनों के जरिए श्रद्धालुओं को आकर्षित कर लेते थे। दिन में रिक्शा चलाने के बाद शाम को शयन आरती से पहले ठा. बांकेबिहारी मंदिर में लगी रेलिंग के सहारे खड़े होकर प्रतिदिन शाम को रसखान के सवैया सुनाते थे। जब कुछ श्रद्धालुओं ने बाबा को भजन के एवज में पैसे देना शुरू किया, तो उनका मंदिर में विरोध शुरू हो गया। बस यहीं से बाबा के जीवन में नया मोड़ आया और उन्होंने पैसे छूना बंद कर दिया और साधु बन गए। हरिदास संप्रदाय से जुड़ गए। भजन गायकी के क्षेत्र में आ गए। इसी दौरान बाबा ने स्वामी हरिदासीय परंपरा में दीक्षा ग्रहण की। मंदिर में गायन करते समय ही म्यूजिक कंपनी टी सीरीज के एक अधिकारी ने गायन सुना और अपनी कंपनी के लिए गाने का अनुरोध किया। इसके बाद बाबा की गायकी दुनिया के सामने आई।

इन भजनों ने बाबा रसिका पागल को बनाया भजन सम्राट

- करुणामयी कृपामयी मेरी दयामयी राधे...।

- मेरा दिल तो दीवाना हो गया.. मुरलीवाले तेरा...।

- चलो जी चलो जी चलो वृंदावन, मैं रटूंगी तेरा नाम राधा रानी..।

- कान्हा की दीवानी बन जाऊंगी, श्री राधा बरसाने वाली..।

- तेरो पुजारी है गिरधारी...।

- तू कान्हा मैं तेरी राधिका, बरसाने की राधा, श्री राधा राधा..।

- मेरे कान्हा पे टोना कर गई..।

- झूला झूलें श्यामा प्यारी..।

- कजरारे तेरे मोटे मोटे नैन...।

- आओ सुनाऊं तुम्हें ब्रज की कहानी..।

- पल भर के लिए कोई राधा नाम रट ले.. झूठा ही सही...।

- मीरा दीवानी हो गई, मीरा मस्तानी हो गई...।

- श्यामा प्यारी श्री कुंज बिहारी प्यारी की, जय जय श्री हरिदास दुलारी..।

- कृपा की न होती जो आदत तुम्हारी..।


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