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तनाव को छूमंतर कर रही 'काऊ थेरेपी' जानिए कैसे

ताजनगरी में शुरू हुई काऊ थेरेपी गाय के गले लग े हैं लोग

By JagranEdited By: Published: Sat, 31 Oct 2020 08:43 PM (IST)Updated: Sat, 31 Oct 2020 08:43 PM (IST)
तनाव को छूमंतर कर रही 'काऊ थेरेपी' जानिए कैसे
तनाव को छूमंतर कर रही 'काऊ थेरेपी' जानिए कैसे

आगरा ( संजीव जैन)। भागमभाग भरी जिंदगी में हर कोई तनाव में है। सुकून के लिए हजारों रुपये खर्च करने के साथ तमाम जतन करते हैं। ऐसे में मानसिक शांति देने का काम कर रही हैं गो माता। यूरोपियन देशों के बाद आगरावासियों में भी तनाव कम करने को 'काऊ थेरेपी' ट्रेंड शुरू हो गया है। रामलाल वृद्धाश्रम में बुजुर्ग मन की शाति के लिए गाय को गले लगा रहे हैं।

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वृद्धाश्रम के अध्यक्ष शिव प्रसाद शर्मा ने बताया कि नीदरलैंड के बाद यूरोपियन देशों में 'काऊ थेरेपी' यानी गायों को गले लगाइए और सुकून पाइए ट्रेंड बढ़ रहा है। वृद्धाश्रम में काऊ थेरेपी की शुरुआत की गई है। एक बाड़े में 20 गायें रखी गई हैं, गायों को दिन भर में तीन बार स्नान कराया जाता है। स्वास्थ्य परीक्षण के लिए पशु चिकित्सक है। प्रत्येक गाय को नंबर आवंटित है, गाय भी इतनी प्रशिक्षित हैं कि नाम से पुकारने पर दौड़ी चली आती हैं। गो सेवा का ही प्रतिफल है कि यहां रहने वाले 253 बुजुर्गों में से किसी को कोरोना नही हुआ। सोनिया को गले लगाने से मिलता सुकून

दो साल से वृद्धाश्रम में रह रहे 60 वर्षीय नगेन्द्र सिंह को गाय की सेवा करने पर उन्हें शांति मिली। सोनिया, सोना, बताशो, गिलोरी, गुड़िया, भूरी व लाली नाम की ऐसी गाय हैं, जिनका नाम पुकारने पर वह पास आ जाती हैं। इनके पास बैठने से एक्टिव इंट्रेक्शन होता है। 70 वर्षीय नीलम भाटिया तीन साल पहले अपने पति सुरेश भाटिया के साथ यहां आई हैं। डेढ़ साल पहले उनके पति का निधन हो गया। नीलम गाय के दिल की धड़कन सुनकर अपना तनाव दूर कर रही हैं। 70 वर्षीय कश्मीरी, 75 वर्षीय महेश चंद अग्रवाल का भी यही हाल है। दिव्यांग राधेश्याम के हाथ-पैर में कंपन होता था, कई महीने गाय की सेवा करने पर यह समस्या खत्म हो गई।

क्या है काऊ थेरेपी

मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डा. बीएस तोमर बताते है कि गाय की पीठ थपथपाना और उसके साथ सटकर बैठना, उसे गले लगाना या चूमना, ये काऊ थेरेपी का हिस्सा है। गाय की ऊर्जा वृत्ति बहुत ही सशक्त होती है। जब हम गाय की पीठ पर हाथ फेरते हैं तो गाय की पीठ कंपायमान होती है। यह कंपन हथेली की नसों के माध्यम से हमारे पूरे शरीर में फैल जाता है। यही कंपन ऊर्जा या प्राण शक्ति है। गाय पर हाथ फेरने पर रक्तचाप तुरंत संतुलित हो जाता है। जाता है। हृदय पर दबाव घट जाता है। यकृत और गुर्दे अपना कार्य सही रूप से करने लगते हैं। हमारे पूरे शरीर पर इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

- डा. मुकेश श्रीवास्तव

पशु औषधि विज्ञान विभाग प्रभारी सहायक आचार्य, वेटेरिनरी विवि, मथुरा गाय पर हाथ फेरने से हाइपोथैलेमस से उत्तेजना और हार्मोनल प्रोलैक्टिन की रिहाई होती है। फैक्टर को छूने और रिलीज करने के स्पर्श से फैक्टर को रोकना और दूध छोड़ने की तुलना में अधिक ऑक्सीटोसिन जारी करना है।

- डा. रामसागर

कोठारी पशु अस्पताल प्रभारी, वेटेरिनरी विवि, मथुरा


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